बिहार: गया जिले के इमामगंज प्रखंड क्षेत्र के छोटका करासन गांव के रहने वाली पूनम कुमारी का चयन बिहार पुलिस मद्य निषेध में हुआ है. पिछले महीने ही इनका चयन हुआ है. इस उपलब्धि पर पूरे गांव तथा प्रखंड क्षेत्र में खुशी का माहौल है. गया के अति नक्सल क्षेत्र से निकलकर पूनम अब बिहार पुलिस के मद्य निषेध में अपनी सेवा देगी. पूनम के लिए यह सफर इतना आसान नहीं था. अत्यंत गरीबी में रहकर पूनम ने अपनी पढ़ाई लिखाई की और रोजाना 8 से 10 घंटे की पढ़ाई का नतीजा है कि आज इनका चयन बिहार पुलिस में हुआ है.
पूनम बेहद गरीब परिवार से आती है. उनके माता-पिता खेती मजदूरी करके अपने परिवार का जीवन यापन कर रहे हैं. उनकी माता जंगल से लकड़ी बिन कर लाती थी. उसे गंगटी बाजार में ले जाकर बेचती थी. लकड़ी बेचकर पूनम की मां कुछ पैसे इकट्ठे करती थी. उसी से अपनी बेटी को पढ़ाते थे. पूनम के बड़े भाई भी दूसरे राज्य में मजदूरी करते हैं. गांव से हीं आठवीं तक की पढ़ाई करने के बाद इमामगंज से मैट्रिक और इंटर की पढ़ाई पूरी की. इंटर की पढ़ाई पूरा करने के बाद पूनम बिहार पुलिस की तैयारी में जुट गई थी और इस बार उन्हें सफलता मिल गई है.
लकड़ी बेच बेटी को पढ़ाया
बिहार पुलिस के लिखित परीक्षा में पास होने के बाद फिजिकल ट्रेनिंग के लिए पूनम रोजाना सुबह 4 बजे उठकर इमामगंज जाती थी. जहां निशुल्क चल रहे मनजीत फिजिकल अकादमी में फिजिकल का प्रशिक्षण लेती थी. फिजिकल अकादमी के डायरेक्टर रिटायर्ड आर्मी मनजीत पूनम को फिजिकल का हर बारीकी सिखाया. शुरुआत में पूनम को दौड़ने तक नहीं आता था, लेकिन उन्होंने लगातार मेहनत की और रोजाना 5 किमी साइकिल से इमामगंज जाती और फिजिकल की तैयारी करती थी.
ये है पूनम का सफर
पूनम बताती है कि वह बहुत ही पिछडा इलाका से आती है. यहां की सड़क भी सही नहीं है. परीक्षा की तैयारी के लिए प्रतिदिन 5 किलोमीटर का सफर करना पड़ता था. धूप, गर्मी, ठंड और बरसात में प्रतिदिन कोचिंग जाती थी और रेगुलर पढ़ाई करती थी. लिखित परीक्षा पास होने के बाद फिजिकल ट्रेनिंग के लिए रोजाना सुबह 3 बजे उठते थे और तैयार होकर अपने घर से 4 बजे इमामगंज जाती थी. वहीं पूनम के माता सुमित्रा देवी बताती है कि अपने बच्चों के पढ़ाई लिखाई में उन्होंने काफी परेशानी उठाना पड़ा है. मेहनत मजदूरी करके जंगल से लकड़ी लाकर बाजार में बेचते थे और उसी पैसे से पूनम को पढ़ाया लिखाया.