ढिल्लों ने गुरुवार को शहर के फुलवारी शरीफ इलाके से पीएफआई के कुछ सदस्यों की गिरफ्तारी और भारत को इस्लामिक राज्य में बदलने की बात करने वाली प्रचार सामग्री की बरामदगी के बारे में पत्रकारों को जानकारी देते हुए यह टिप्पणी की थी।
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने शुक्रवार को बिहार में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी द्वारा आरएसएस की इस्लामिक चरमपंथी संगठन पीएफआई से तुलना करने पर निंदा की।
बेगुसराय से भाजपा सांसद गिरिराज सिंह ने एक ट्वीट साझा किया और पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मानवजीत सिंह ढिल्लन की टिप्पणी की आलोचना करते हुए कहा कि पीएफआई कार्यकर्ताओं के शारीरिक प्रशिक्षण की तुलना आरएसएस की शाखाओं से की जा रही है।
उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, "आरएसएस मतलब राष्ट्र प्रेम..आरएसएस मतलब राष्ट्र कल्याण..आरएसएस मतलब देश सेवा..आरएसएस मतलब जनकल्याण..आरएसएस मतलब मानवता और सौहार्द्र..आरएसएस मतलब संविधान के हिमायती। देश और दुनिया का हर समझदार व्यक्ति इस बात को जानता है, सिवाय कुछ 'एजेंडावादियों और तुष्टिकरण' के पैरोकारों के।"
ढिल्लों ने गुरुवार को शहर के फुलवारी शरीफ इलाके से पीएफआई के कुछ सदस्यों की गिरफ्तारी और भारत को इस्लामिक राज्य में बदलने की बात करने वाली प्रचार सामग्री की बरामदगी के बारे में पत्रकारों को जानकारी देते हुए यह टिप्पणी की थी। वहीं, राज्य के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक जे एस गंगवार ने एसएसपी की 'संदर्भ से बाहर की टिप्पणी' को खारिज कर दिया है।
शीर्ष पुलिस अधिकारी की टिप्पणी राजनीतिक मुद्दा नहीं : कुशवाहा
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जद (यू) के एक शीर्ष नेता ने शुक्रवार को कहा कि एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी द्वारा इस्लामिक चरमपंथी संगठन पीएफआई की आरएसएस के साथ विवादास्पद तुलना ने सहयोगी भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह एक 'राजनीतिक मुद्दा नहीं' था।
जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि यह फैसला विभाग के उच्च अधिकारियों को करना है कि क्या पटना के एसएसपी मानवजीत सिंह ढिल्लों किसी कार्रवाई के पात्र हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है और इस मामले पर हम कुछ नहीं कहेंगे। हम अधिकारी को लेकर टिप्पणी नहीं कर सकते हैं जो राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामले के बारे बात कर रहे थे।
संबंधित विभाग को मामले पर विचार करने दें'
पूर्व केंद्रीय मंत्री कुशवाहा से भाजपा द्वारा अधिकारी से माफी की मांग के बारे में भी पूछा गया, तो उन्होंने कहा, "मुझे नहीं मालूम कि माफी एक उपाय होगा। मैं दोहराता हूं कि कुछ कहना या न कहना हमारे हाथ में नहीं है। संबंधित विभाग को मामले पर विचार करने दें। एक सेवा कोड होना चाहिए। यदि अधिकारी ने कुछ भी गलत किया है, तो उसे विभागीय स्तर पर कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।"
क्या पीएफआई जैसे विवादास्पद संगठन के साथ आरएसएस की तुलना को उचित ठहराया जा सकता है, इस पर जद (यू) नेता को अपनी व्यक्तिगत राय साझा करने के लिए भी कहा गया था तो उन्होंने कहा, "इस देश में हमारे पास राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों के बारे में गैर-जिम्मेदाराना तरीके से बोलने वाले लोग हैं। मुझे लगता है कि अब इस तरह के मुद्दों को बड़ा बनाकर कोई फायदा नहीं है।"