भाजपा नेता आरपी सिंह ने कहा कि गीता प्रेस सिर्फ सनातम धर्म की किताबें भगवद् गीता, रामायण, रामचरितमानस और अन्य ग्रंथ ही नहीं छापती। बल्कि इस्लाम और उर्दू की किताबें भी छापती है। जयराम रमेश का गीता प्रेस को देखने का नजरिया गलत है। वे इसे किस चश्में से देखते हैं, ये वे जानें। साथ ही सिंह ने राजद पर भी निशाना साधा।
वरिष्ठ भाजपा नेता आरपी सिंह ने गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार देने की तुलना सावरकर और गोडसे को सम्मान देने के समान कहे जाने पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। सिंह के पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं और पंजाब के पूर्व विधायक रहे हैं। आरपी सिंह ने सोमवार को औरंगाबाद में प्रेसवार्ता में वरिष्ठ कांग्रेस नेता के इस बयान की भर्त्सना की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता को यह पता होना चाहिए कि गीता प्रेस कांग्रेस के बनने से पहले 1860 में स्थापित हुई है।
सिंह ने कहा कि गीता प्रेस सिर्फ सनातम धर्म की किताबें भगवद् गीता, रामायण, रामचरितमानस और अन्य ग्रंथ ही नहीं छापती। बल्कि इस्लाम और उर्दू की किताबें भी छापती है। जयराम रमेश का गीता प्रेस को देखने का नजरिया गलत है। वे इसे किस चश्में से देखते हैं, ये वे जानें। लेकिन उनका नजरिया बेहद गलत है। उन्हें पता होना चाहिए कि गीता प्रेस का नाम जिस भगवद् गीता को छापने कारण गीता प्रेस है, वह गीता कोई मजहबी ग्रंथ नहीं है। यह ग्रंथ किसी मजहब का नहीं, बल्कि नीति का ग्रंथ है। इसके प्रति लोगों में अगाध सम्मान है।
आरपी सिंह ने कहा कि इनका काम सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध करना है। इन्हें मोदी विरोध के लिए किसी न किसी बहाने से मतलब है। ये कभी राम का नाम लेकर मोदी का विरोध करते हैं, अब गीता का नाम लेकर मोदी का विरोध कर रहे हैं। इनके पूरे बयान का मकसद भाजपा और मोदी का विरोध करना है।
भाजपा नेता आरपी सिंह ने कहा कि उनकी सलाह है कि जयराम रमेश गीता प्रेस से भगवद् गीता की एक प्रति मंगवाकर पढ़ लें। उनकी सारी भ्रांतियां दूर हो जाएंगी और अपने चश्में से देखने का उनका नजरिया भी बदल जाएगा। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि गीता प्रेम सिखाती है, वे उस प्रेम को सीखें।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की तो यह पुरानी आदत है कि इसके लोग कभी खुद को हिंदूवादी कहने लगते हैं। कभी खुद को जनेउधारी ब्राह्मण बताते हैं। यह सब करते हुए कांग्रेस देश में हिंदू और हिंदुत्व के नाम पर वैमनस्य फैलाने का काम करती है। यही काम जयराम रमेश गीता प्रेस और भगवद् गीता का विरोध के बहाने कर रहे हैं।
सिंह ने राजद को निशाने पर लिया, कहा- हां मस्जिद में ही लिखी गई थी रामचरितमानस
राजद के कद्दावर नेता और विधायक रीतलाल यादव को भाजपा नेता सरदार आरपी सिंह ने आड़े हाथ लिया। सरदार सिंह ने रीतलाल यादव के बयान ‘मस्जिद में लिखी गई थी रामचरितमानस’ पर स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा कि उनकी सोच मुस्लिम परस्त है। इस कारण वे ऐसा कह रहे हैं। उनका कहना भी गलत नहीं है क्योंकि आक्रांता बाबर ने रामजन्मभूमि को तोड़कर मस्जिद बनाई थी, उस स्थान पर आज भव्य राम मंदिर बन रहा है। पर इनकी सोच को क्या कहे। इनकी सोच पर तरस इस कारण आ रहा है क्योंकि ये मुस्लिम परस्ती में रामजन्म भूमि को आज भी बाबरी मस्जिद ही मानते हैं। उनके इस मुस्लिम परस्त रवैये से तो यह बात सही लगती है कि रामरितमानस मस्जिद में ही लिखी गई थी।