चार साल पहले घरवालों ने जिसका कर दिया था अंतिम संस्कार, वह अचानक लौट आया घर

Update: 2022-11-05 17:48 GMT
‍बिहार। बिहार की राजधानी पटना से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. दरअसल, पटना के दानापुर रामजी चक में एक युवक बीते चार साल से लापता था. उसके परिजनों ने दो साल पहले युवक को मृत मानकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया था. लेकिन छठ महापर्व में सुबह का अर्घ्य देकर जब परिजन घर वापस लौटे तो युवक घर के दरवाजे पर बैठा हुआ था. इस घटना की चर्चा अब दूर-दूर तक हो रही है. जिसने भी इस खबर को जाना, अब वह इसे छठी मैया और भगवान भास्कर का चमत्कार मान रहे हैं.
बता दें कि पटना के दानापुर रामजी चक निवासी नंदलाल साह के 40 वर्षीय पुत्र संजय चार साल पहले अचानक गायब हो गया था. नंदलाल साह ने अपने बेटे संजय को मृत मानकर दो साल पहले उसका विधि-विधान से अंतिम संस्कार कर दिया था. लेकिन छठ महापर्व के सुबह को संजय घर के दरवाजे पर बैठा मिला. अपने बेटे संजय को अचानक घर के दरवाजे पर बैठे देखकर परिजनों का खुशी का ठिकाना नहीं रहा. लोग अब इसे भगवान का चमत्कार मान रहे हैं. मामले को लेकर नंददाल साह ने बताया कि उनका बेटा संजय मानसिक रूप से बीमार हो गया था. चार साल पहले वह घर से अचानक गायब हो गया था. दो साल तक उसकी खोजबीन की. तब जाकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया था. लेकिन छठी मैया ने उसके बेटे को लौटा दिया है.
मानसिक रूप से बीमार संजय भटकते-भटकते किसी तरह अन्य प्रदेश में जा पहुंचा था. इसी दौरान कोटा के एक गैर सरकारी संगठन ने संजय को मुंबई के डॉ भरत भवानी ने श्रद्धा पुनर्वास केंद्र में भेज दिया. यहां डॉक्टर उदय सिंह के नेतृत्व में इलाज हुआ. इसके बाद संजय की सेहत में सुधार होने लगी. मामले को लेकर संजय का उपचार करने वाले डॉ. भरत ने बताया कि काउंसलिंग में संजय मगही में बातचीत करता था. मानसिक स्थिति में सुधार होने के बाद संजय ने अपना पता दानापुर पटना के रामजीचक बताया व अपने पिता का नाम नंदलाल बताया था. इसी आधार पर वे खोजबीन करते हुए संजय को उसके परिवार से मिला दिया.
अपने लापता बेटे को वापस पाकर संजय की मां खूब रोयी. संजय की मां ने कहा कि वे छठ व्रत करती हैं. हर साल छठ व्रत के दौरन अपने बेटे को याद कर उनकी आंखे नम हो जाती थी. संजय को मृत मानकर हमने उसका अंतिम संस्कार तक कर दिया था. घर की हर खुशी में परिवार को संजय की कमी खलती थी. लेकिन छठी मैया ने उसके बेटे को लौटा दिया है. यह किसी चमत्कार से कम नहीं है. संजय की मां ने डॉ. भरत का आभार भी व्यक्त किया.

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