मोतिहारी। बिहार के किसान खासकर उत्तर बिहार के किसान परंपरागत खेती से हटकर मसालों की खेती अगर करे तो भरपूर लाभ कमा सकते है।वैसे भारत में कई तरह के मसालों की खेती की जाती है,लेकिन अजवाइन जैसे मसाले के खेती लिए उत्तर बिहार की मिट्टी उपयुक्त है।उक्त बातें उधान पदाधिकारी रंधीर भारद्धाज ने हिन्दुस्थान समाचार से बताते हुए कहा। उन्होने बताया कि अजवाइन का वानस्पतिक नाम टेकिस्पर्मम एम्मी है। इसकी खेती से किसान काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।इसकी खेती के लिए मध्यम ठंडा एवं शुष्क जलवायु सबसे उपयुक्त माना गया है।क्योकी इस जलवायु में अजवाइन के पौधों का अच्छा विकास होता है।इसकी खेती के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है,जिसमें उचित जल निकास एवं पर्याप्त कार्बनिक पदार्थ उपलब्ध हों।साथ ही मिट्टी की मानक 6.5 से 7.5 पीएच होना चाहिए।
-अजवाईन के उन्नत किस्में
अजवाइन की उन्नत किस्मों में गुजरात अजवाइन-1, अजमेर अजवाइन-1, अजमेर अजवाइन-2, प्रताप अजवाइन-1 है।
- बुवाई का उचित समय
रबी की फसल के लिए सितंबर से अक्टूबर में बुवाई करना उपयुक्त माना गया है।
-बीज की मात्रा
अजवाईन के अच्छी पैदावार के लिए बीज की मात्रा करीब 2.5 से 3.5 किलोग्राम प्रति हेक्यटर होने चाहिए।
-बीज का कैसे करे उपचार
बुवाई से पहले बीजों को कार्बन्डेजिम/केप्टान/ थिरम 2-3 ग्राम प्रति किलोग्राम के हिसाब से उचारित कर लेना चाहिए।
-बुवाई की विधि
अजवाइन की बुवाई में कतार से कतार की दूरी 45 से.मी. होनी चाहिए, तो वहीं पौधे से पौधे की दूरी 20 से 30 से.मी. होनी चाहिए।
-खाद एवं उर्वरक की मात्रा
बुवाई से एक महीने पहले खेत में 8 से 10 टन प्रति हेक्टेयर सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं
इसके अलावा कम्पोस्ट भी अच्छी तरह मिला सकते हैं।
साथ ही आखिरी जुताई के समय खेत में 90 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम फॉस्फेट, 30 किलोग्राम पोटाश,नाइट्रोजन की आधी मात्रा, फॉस्फोरस तथा पोटाश की सम्पूर्ण मात्रा मिलाएं।
शेष उर्वरक बुवाई के 30 से 60 दिन बाद टॉपड्रेसिंग के रूप में सिंचाई के साथ देंना उपयुक्त होगा।
-कैसे करे सिचांई
अजवाइन की खेती में 4 से 5 सिंचाई 15 से 25 दिनों के अन्तराल में मिट्टी और मौसम के अनुकुल करनी चाहिए।साथ ही खरपतवार नियंत्रण के लिए
बुवाई के बाद और बीज अंकुरण से पहले ऑक्सीडाइआर्जिल का 75 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए।
बुवाई के 45 दिन बाद गुड़ाई भी जरूर करें।
-रोग से बचाव
आमतौर पर अजवाइन में छाछ्या रोग का प्रकोप देखने को मिलता है।इससे बचाव के लिए 20 से 25 किलोग्राम सल्फर को खड़ी फसल पर छिड़काव जरूरी है।साथ ही जड़ गलन में थाईरेम या केपटन 5 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से देना चाहिए।
माहू या एफिड रोग से बचाव के लिए डॉइमेथोएट 03 प्रतिशत और इमेडाक्लोरॉफीड 0.003 प्रतिशत का छिड़काव करें।
-कितना होगा उत्पादन
किसान भाईयों को सिंचित क्षेत्र में प्रति हेक्टेयर करीब 12 से 15 क्विंटल उपज मिल जाएगी।तो वहीं असिंचित क्षेत्र में प्रति हेक्टेयर करीब 4 से 6 क्विंटल तक उपज प्राप्त होगी।