बेटी ने पूरी की मां की अंतिम इच्छा, अस्पताल में ही रचाई शादी
नए जोड़े को दिया आशीर्वाद, फिर 2 घंटे बाद तोड़ा दम
गया। हिंदू धर्म की शादियां तमाम रस्में और रिवाज निभाने के बाद ही पूरी मानी जाती हैं। जब तक सभी रस्में पूरी नहीं हो जाती हैं, तब तक कन्या और वर पति-पत्नी नहीं बनते। लेकिन बिहार के एक निजी प्राइवेट अस्पताल में अनोखी शादी हुई है जिसमे न तो कोई बैंड बाजा था न बाराती। मां की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए अस्पताल में ही बेटी की शादी कर दी गई। शादी के बाद अक्सर जहाँ खुशी मनाई जाती है वहीं इस शादी के बाद परिवार सहित अस्पताल के कर्मियों की भी आंखें नम थी क्योंकि शादी के महज 2 घंटे बाद ही बीमार माँ की मौत हो गई।
दरअसल, यह शादी गया के आशा सिंह मोड़ मजिस्ट्रेट कॉलोनी के पास स्थित अर्श हॉस्पिटल के आईसीयू में हुई। यहाँ भर्ती मरीज पूनम कुमारी वर्मा जिले के गुरारू प्रखंड के बाली गांव के निवासी ललन कुमार की पत्नी है। पूनम कुमारी वर्मा कई दिनों से बीमार थी। सीरियस होने के बाद उन्हें अर्श हास्पिटल में भर्ती कराया गया था जहां डॉक्टर ने मरीज की हालत को गंभीर बताते हुए आशंका जताई थी कि किसी भी समय इनकी मौत हो सकती है। इसके बाद पूनम कुमारी वर्मा ने अपने परिजनों के सामने अंतिम इच्छा जताई कि उनकी बेटी चांदनी कुमारी की शादी उनके जिंदा रहते ही कर दी जाये।
अस्पताल में रचाई शादी
बता दें कि मरीज पूनम कुमारी वर्मा के परिजनों ने बताया कि चांदनी कुमारी की सगाई 26 दिसंबर को गुरुआ प्रखंड के सलेमपुर गांव के निवासी भारतीय सेना से सेवानिवृत्त विद्युत कुमार अंबेडकर एवं नीलम कुमारी के इंजीनियर पुत्र सुमित गौरव के साथ होना तय था। लेकिन लड़की की मां की जिद के कारण दोनों की शादी इंगेजमेंट की निर्धारित तिथि के एक दिन पहले ही कर दी गयी। दुखद बात यह रही कि शादी के महज दो घंटे बाद ही लड़की की मां का निधन हो गया। जिसके बाद सभी की आंखें नम हो गई।
2 घंटे बाद ही हो गई मौत
शादी होने के महज दो घंटे बाद ही अपनी मां को खोने वाली चांदनी कुमारी ने बताया कि उनकी मां पूनम कुमारी वर्मा मगध मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एएनएम के पद पर कार्यरत थीं और कोरोना काल से ही लगातार बीमार चल रही थी। वह हृदय रोग से पीड़ित थी। मां की इच्छा रखने के लिए अस्पताल में शादी की।