केंद्र का अध्यादेश: रविशंकर प्रसाद बोले- दिल्ली अरविंद टेरिटरी नहीं, यूनियन टेरिटरी है
बिहार : बिहार के पटना में भाजपा ने शनिवार को कहा कि दिल्ली में अधिकारियों के तबादले और तैनाती के संबंध में केंद्र का अध्यादेश ‘पारदर्शिता और जवाबदेही’ सुनिश्चित करने के लिए लाया गया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने यहां मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने संविधान की अनुसूची 2 के तहत दिल्ली में प्रशासन के संबंध में किसी विशेष कानून की अनुपस्थिति का हवाला दिया था। उन्होंने कहा कि हमें अध्यादेश लाना पड़ा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कुछ दिनों के भीतर, दिल्ली सरकार ने खुद को मजबूत करना शुरू कर दिया। इसने 2010 बैच के आईएएस अधिकारी वाईके राजशेखर को स्थानांतरित कर दिया। वे शीश महल में अनियमितताओं की जांच कर रहे थे। प्रसाद का इशारा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आधिकारिक आवास के नवीनीकरण के लिए भारी खर्च का था।
‘स्थानांतरण-पोस्टिंग में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए लाए अध्यादेश’
रविशंकर प्रसाद ने बताया कि अध्यादेश के अनुसार, जो समिति अब इस तरह के तबादलों और नियुक्तियों की सिफारिश करेगी, उसकी अध्यक्षता अभी भी दिल्ली के मुख्यमंत्री करेंगे। प्रसाद ने कहा कि दिल्ली भारत का दिल है। यह पूरे देश की राजधानी है। यहां अक्सर दुनिया भर के गणमान्य लोग दौरा करते हैं। इसलिए हमें एक ऐसी प्रणाली की आवश्यकता थी जो स्थानांतरण और पोस्टिंग में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित कर सके। उन्होंने कहा कि दिल्ली यूनियन टेरिटरी है, न कि अरविंद केजरीवाल टेरिटरी।
पूर्व केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री ने कहा कि राजशेखर दिल्ली जल बोर्ड में कथित अनियमितताओं की भी जांच कर रहे थे। उन्होंने कहा कि न केवल उनका तबादला कर दिया गया है। बल्कि एक एनजीओ द्वारा लगाए गए झूठे आरोपों पर उनके खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया है।
प्रसाद ने सेवा सचिव आशीष मोरे सहित दो दलित आईएएस अधिकारियों को कथित तौर पर डराने-धमकाने की भी बात कही। इन अधिकारियों ने मंत्री सौरभ भारद्वाज के खिलाफ शिकायत करते हुए दिल्ली के मुख्य सचिव और उपराज्यपाल को पत्र लिखा था। प्रसाद ने कहा कि इसलिए, अध्यादेश लाना आवश्यक था, जो अधिकारियों के स्थानांतरण और पोस्टिंग में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करेगा और ईमानदार लोगों की रक्षा भी करेगा।
‘मनमोहन सरकार में भीपुराने नोट चलन से बाहर होते थे’
2,000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर करने के बारे में एक सवाल के जवाब में प्रसाद ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि आरबीआई ने एक विस्तृत संचार जारी किया है, जिसमें स्पष्ट रूप से बताया गया है कि इन उच्च मूल्यवर्ग के नोटों का उपयोग कैसे कम हो रहा था। हम अपने कांग्रेस मित्रों को याद दिलाना चाहते हैं कि मनमोहन सिंह के शासन के दौरान भी पुराने नोट चलन से बाहर कर दिए जाते थे। उन्होंने कहा कि इसलिए उन्हें (कांग्रेस) इसे नोटबंदी नहीं कहना चाहिए। उन्होंने यह भी टिप्पणी की कि अगर ये नोट मनी लॉन्ड्रिंग के लिए उपयोग में थे, तो इन्हें खत्म करने से इससे संबंधित नेटवर्क प्रभावित होंगे।
‘विपक्षी एकता एक सपना है’
कर्नाटक में नए मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण समारोह में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित विभिन्न गैर-कांग्रेसी नेताओं ने भाग लिया था। इस बारे में भाजपा नेता ने कहा कि ओडिशा, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना के मुख्यमंत्रियों ने इस समारोह में नहीं जाने का विकल्प चुना है। इससे यह स्पष्ट है कि विपक्षी एकता एक सपना है।
‘दिवास्वप्न देखने पर कोई रोक नहीं है’
रविशंकर प्रसाद ने सप्ताह के शुरू में सीएम नीतीश कुमार की जुबान फिसलने का भी उपहास उड़ाया। सीएम नीतीश ने अपने एक प्रमुख सचिव को ‘प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव’ के रूप में संबोधित किया था। प्रसाद ने कहा कि दिवास्वप्न देखने पर कोई रोक नहीं है। लेकिन निश्चित तौर पर 2024 में प्रधानमंत्री पद के लिए कोई पद खाली नहीं है।