बिहार : प्रीमियम में छह गुना तक वृद्धि, चिकित्सा बीमा कराना हुआ मुश्किल

Update: 2022-07-01 13:19 GMT

जनता से रिश्ता : कोविड महामारी के कारण एक ओर जहां उपभोक्ताओं के बीच स्वास्थ्य बीमा के प्रति जागरूकता बढ़ी है, वहीं दूसरी ओर बीमा प्रीमियम में वृद्धि के कारण खासकर वरीय नागरिकों, सेवानिवृत्त कर्मियो के लिए पॉलिसी खरीदना मुश्किल हो रहा है। बीमा प्रीमियम में वर्ष 2015-16 की तुलना छह गुना वृद्धि हुई है। बीमा कंपनियां प्रीमियम में वृद्धि का कारण पिछले दो वर्षों में बीमाकर्ताओं द्वारा प्राप्त उच्च दावों को बता रही हैं।

सेवानिवृत्त बैंक कर्मियों के लिए दो श्रेणी में बीमा दर तय की गई है। कर्मचारी व ऑफिसर्स के लिए अलग-अलग बीमा राशि व प्रीमियम तय किए गए हैं। वर्ष 2015-16 में सेवानिवृत्त बैंक कर्मियों के लिए 3 लाख और अधिकारियों के लिए 4 लाख का चिकित्सा बीमा तय हुआ था। साथ ही, बीमा कंपनियों से समझौता कर क्रमश: 4930 और 6573 रुपये प्रीमियम निर्धारित किया गया। इस पर क्रमश: 690 व 920 रुपये जीएसटी देय था। कुल मिलाकर कर्मचारियों को 5620 व अधिकारियों को 7493 रुपये प्रीमियम देना होता था। इस प्रीमियम में वित्तीय वर्ष 2020-21 में छह गुना तक वृद्धि हुई है। हद तो यह है कि वर्ष 2015-16 में जो मूल बीमा प्रीमियम था उससे ज्यादा 2021-22 में जीएसटी देनी पड़ रही है। अब कर्मचारियों को 28 हजार 715 रुपये मूल प्रीमियम और 5269 रुपये जीएसटी यानी कुल 33 हजार 884 रुपये तथा अधिकारियों को 36 हजार 652 रुपये मूल प्रीमियम व 6597 रुपये जीएसटी के साथ कुल 43 हजार 249 रुपये भुगतान करना पड़ रहा है। उधर, वर्ष 2022-23 में बीमा कंपनियों ने प्रीमियम दर में 15 से 20 फीसदी की वृद्धि के संकेत दिए हैं। अगर ऐसा हुआ तो चिकित्सा बीमा खरीदना आम नागरिक खासकर सेवानिवृत्त कर्मियों के लिए मुश्किल होगा।
source-hindustan


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