बिहार : पूर्णिया के कृत्यानंद नगर काझा कोठी का मजार बना सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल
पूर्णिया के कृत्यानंद नगर काझा कोठी का मजार संप्रदायिक सौहार्द की मिसाल है. बंगाल और नेपाल से लोग उर्स पर चादर चढ़ाने के लिए खुशी से पहुंचते हैं. कहते हैं यहां दिल से मांगी हर मुराद पूरी होती है. पूर्णिया के काझा कोठी में प्रसिद्ध ख्वाजा शाहिद सिराजुद्दीन औलिया का मजार जहां हिंदू मुस्लिम समुदाय के लोग एक साथ चादर पोशी करते हैं. उर्स के मौके पर बड़ी संख्या में चादर पोशी करने अकीदतमंद अमन और चैन की दुआ मांगने आते हैं. ख्वाजा शाहिद सिराजुद्दीन औलिया मजार से जुड़ी मान्यता है कि सच्चे दिल से मांगी गई श्रद्धालुओं की हर मुराद यहां पूरी होती है.
संप्रदायिक सौहार्द की मिसाल
यही वजह है कि उर्स के मौके पर ना सिर्फ बिहार बल्कि बंगाल और नेपाल से भी चादर चढ़ाने के लिए लोग पहुंचते हैं. इस मजार के इतिहास की जानकारी देते हुए उर्स कमेटी के अध्यक्ष बताते हैं कि लगभग 50 साल पहले यहां के प्रसिद्ध वकील विशेष शर्मा को सपना आया था कि यहां काझा कोठी में प्रसिद्ध मजार है. जिस की सेवा करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी. जब उन्होंने ऐसा किया तो उन्हें पुत्र हुआ, तबसे इस मजार की सेवा और देखरेख उनके परिवार के लोग करते आ रहे हैं.
श्रद्धालुओं की हर मन्नत होती है पूरी
वहीं, चादर पोशी करने आये श्रद्धालु भी कहते हैं, जिनकी मुरादे पूरी होती हैं. वे दोबारा यहां चादर पोशी करने आते हैं और अपनी इच्छा से चढ़ावा भी चढ़ाते हैं. स्थानीय नेता डॉक्टर मोहम्मद मारूफ हुसैन की मानें तो यह मजार ना सिर्फ आपसी सौहार्द को बढ़ाता है, बल्कि कौमी एकता का मिसाल भी है, जहां से लोग अमन का पैगाम ले कर जाते हैं. बहरहाल, संप्रदायिक सौहार्द का अद्भुत मिसाल ख्वाजा शहीद सिराजुद्दीन औलिया का यह मजार लोगों के आस्था का बड़ा केंद्र है, जहां आने वाली सभी अकीदतमंद लोगों की मुरादें पूरी होती हैं और देश में अमन का संदेश भी देता है.