आजादी का अमृत महोत्सव : इस गांव में भगवान के साथ होती है शहीदों की पूजा

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Update: 2022-08-11 08:49 GMT
बेगूसराय। आजादी का 75 वर्ष पूरा हो जाने पर पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव बना रहा है। देशभर में राष्ट्रप्रेम के प्रति लोगों को जागृत करने के लिए स्वतंत्रता दिवस समारोह को विशिष्ट बनाने के साथ-साथ हर घर तिरंगा अभियान की तैयारी चल रही है। देशभर में 20 करोड़ से अधिक घरों पर 13 से 15 अगस्त तक तिरंगा लहराया जाना है। बिहार के उस गांव में भी स्वतंत्रता दिवस की तैयारी काफी तेज हो गई है, जहां पिछले 31 वर्षों से मंदिर प्रांगण में भगवान की पूजा और आरती के साथ-साथ मां भारती के अमर शहीदों की भी आरती और पूजा होती है। वह गांव है बिहार के बेगूसराय में स्थित परना गांव, जहां कि प्रत्येक दिन सुबह से भगवान के साथ-साथ मां भारती के अमर शहीदों की पूजा होती है।
बेगूसराय जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित परना गांव में सार्वजनिक जगह पर बने मंदिर में भोले शंकर, मां दुर्गा एवं बजरंग बली के साथ शहीद भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, खुदीराम बोस, सुभाष चन्द्र बोस, सरदार वल्लभ भाई पटेल, महात्मा गांधी, रानी लक्ष्मीबाई, बाबू वीर कुंवर सिंह, लाल बहादुर शास्त्री, डॉ. भीमराव अंबेडकर और राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के साथ-साथ चंद्रशेखर सिंह और रामचंद्र सिंह की भी मुलाकात हो जाती है। हनुमान चालीसा के बाद राष्ट्र भक्ति गीत बजता है, आरती के साथ-साथ देशभक्ति तराने गूंजते हैं।
परना में स्थित शहीद स्मारक को तिरंगा से सजाए जाने की तैयारी चल रही है। प्रशासनिक स्तर पर जहां गांव के घर-घर को तिरंगा लहराने के लिए जागृत किया जा रहा है। इस मौके पर दिनकर नगर निर्मल ग्राम पंचायत परना के ग्रामीणों ने अपने देवस्थल पर स्थित शहीद स्मारक पर विशेष तैयारी कर रहे हैं। शहीद स्मारक पर मौजूद ग्रामीणों ने बताया कि स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजनीतिक दल के नेता, प्रशासन, जनप्रतिनिधि एवं बुद्धिजीवी लोग तिरंगा को नमन करते हैं। शहीदों को याद कर उनकी प्रतिमा पर फूल माला चढ़ा कुछ देर भाषण देने बाद फिर भूल जाते हैं।
लेकिन हमारा परना एक ऐसा गांव है, जहां प्रतिदिन सुबह-शाम भगवान के साथ ही शहीदों की पूजा-अर्चना होती है। यह सिलसिला लगातार 1991 से चल रहा है, जो कि देश प्रेम की मिसाल है। यहां के 18 वर्ष का युवा हो या फिर 80 वर्ष के वृद्ध, सबों में देशभक्ति का एक अजब जूनून देखने को मिलता है। स्थानीय लोगों ने बताया कि परना एवं चांदपुरा की सीमा पर स्थित पोखर के मुहाने पर एक शिवालय था। 1987 में यहां मां दुर्गा का मंदिर बनवा कर दुर्गा पूजा शुरू की गई। 1990 में भगवान की पूजा के साथ आजादी के दिवाने महापुरुषों की भी पूजा का फैसला ग्रामीणों ने लिया।
तत्कालीन मुखिया शिवराम महतो के नेतृत्व में ग्रामीणों ने सामूहिक चंदा कर 1991 में पोखर के मुहाने पर भव्य शहीद स्मारक स्थल का निर्माण कराया तथा महापुरुषों की प्रतिमा स्थापित कर पूजा शुरू कर दिया गया। तब से आज तक यहां भगवान के साथ मां भारती के सपूतों की पूजा लगातार जारी है। कुल मिलाकर सुदूर क्षेत्र में रोज शहीदों की पूजा प्रेरणादायक है तथा आजादी के अमृत महोत्सव को अमृत काल की तरह और भव्य तरीके से मनाने की जोरदार तैयारी चल रही है।
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