दुर्गा मां को नमन कर दंड प्रणाम यात्रा पर देवघर के लिए निकल पड़े 75 वर्षीय राम बाबा
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बेगूसराय। भगवान और भक्त के मिलन की पराकाष्ठा को आज तक कोई समझ नहीं पाया है। भगवान चाहे कितनी ही दूर रहें, भक्तों के मन में जब समा जाते हैं तो वह कुछ भी करने को तैयार हो जाता है। ऐसा ही एक नजारा दिख रहा है बेगूसराय के बीहट निवासी शिव भक्त के साथ। आज लोग पैदल घर से एक किलोमीटर जाना भी नहीं चाहते हैं लेकिन बीहट नगर परिषद के सदानंदपुर टोला निवासी 75 वर्षीय राम सिंह (राम बाबा) बीहट से दंड देते हुए देवघर और बासुकीनाथ के लिए निकल गए हैं।
राम बाबा के इस 225 किलोमीटर से अधिक लंबी करीब ढ़ाई महीने की यात्रा में पत्नी दीपाली देवी साथ चल रही है। विजयादशमी के अवसर पर बीहट के सिद्ध शक्तिपीठ बड़की दुर्गा स्थान से शुरू उनकी दंड यात्रा गुरुवार को जब चकिया के आस पास पहुंची तो फोरलेन पर राह चलते लोग भी श्रद्धा से झुक गए। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता राम कृष्ण ने बताया कि बगैर चप्पल-जूता पहने आज के दौर में सड़कों पर निकलना मुश्किल है। ऐसे में राम बाबा ने जो यह दंड यात्रा शुरू की यह भगवान के प्रति श्रद्धा का अतुलनीय उदाहरण है। रास्ते में कंकड़-पत्थर ही नहीं, प्रकृति की मार झेलते हुए जब यह द्वादश ज्योतिर्लिंग बाबा बैद्यनाथ को देवघर में जल अर्पण करेंगे एवं उसके बाद बासुकीनाथ तक दंड प्रणाम देते हुए भोले शंकर को जलाभिषेक कर इनकी यात्रा पूरी होगी। ऐसा नहीं है कि राम बाबा कोई पहली बार देवघर जा रहे हैं।
भोले शंकर के अनन्य भक्त राम सिंह उर्फ राम बाबा छोटी सी चाय की दुकान चला कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। लेकिन इनके मन में शिव के प्रति अटूट श्रद्धा है, 15 सालों तक वैशाख माह के सोमवारी में इन्होंने देवघर में भोले शंकर का जलाभिषेक किया तो 12 साल तक सावन माह के प्रत्येक सोमवारी में गंगाजल लेकर पैदल बाबा बैद्यनाथ के दरबार में पहुंचते रहे। इस बीच उन्होंने एक बार घर से देवघर तक की दंड प्रणाम यात्रा भी किया था। फिलहाल धीरे-धीरे ही सही लेकिन देवघर की ओर बढ़ रही इनकी दंड प्रणाम यात्रा भक्त और भगवान के बीच वाले संबंध का अद्भुत प्रमाण दे रहा है।