कई महिलाओं को डिलीवरी के बाद घुटनों और जोड़ों में दर्द की शिकायत रहती है। दरअसल, गभार्वस्था के दौरान महिला का वजन बढ़ जाता है, जिससे जोड़ों में दर्द की समस्या हो सकती है। इसके अलावा, इस दौरान शरीर में होने वाले हार्मोनल असंतुलन के कारण भी जोड़ों में दर्द की समस्या हो सकती है। डिलीवरी के बाद जोड़ों के दर्द की समस्या कुछ हफ्तों से लेकर 4-6 महीनों तक रह सकती है। कई महिलाऐं डिलीवरी के बाद घुटनों और जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए पेन किलर्स का सहारा लेती हैं। लेकिन, लंबे समय तक पेन किलर्स का सेवन करने से सेहत को नुकसान पंहुच सकता है। आप डिलीवरी के बाद जोड़ों में दर्द से राहत पाने के लिए कुछ घरेलू उपायों का सहारा ले सकती हैं।
डिलिवरी के बाद बहुत कम महिलाएं ही नियमित व्यायाम कर पाती हैं। ज्यादातर महिलाओं को अपने शरीर की कैलोरी कम करने के लिए पर्याप्त समय और प्रोत्साहन नहीं मिल पाता है, क्योंकि वे डिलिवरी के बाद बच्चे के लालनपालन और सामान्य स्थिति में लौटने की जद्दोजहद में जुट जाती हैं।
अधिक वजन के कारण शरीर के उन जोड़ों पर अधिक कष्टदाई दबाव पड़ता है, जो पूरी जिंदगी हमारे शरीर का वजन सहते हैं यानी घुटने। जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती जाती है, शरीर के अन्य जोड़ों की तरह ही हमारे घुटनों में भी घिसाव होने लगता है और शरीर के अधिक वजन के कारण यह प्रक्रिया अधिक तेजी से होने लगती है। पुरुषों के मुकाबले महिलाएं अपने जीवनकाल में अधिक बोन डैंसिटी गंवाती हैं। उन में औस्टियोपोरोसिस की आशंका भी अधिक रहती है। औस्टियोपोरोसिस हड्डियों को पतला और कमजोर करने की समस्या है, जिस से महिलाओं की स्थिति और बिगड़ जाती है। आधुनिक लाइफस्टाइल में टैक्नोलौजी का अधिक इस्तेमाल और न्यूनतम शारीरिक श्रम करना भी इस की एक वजह है।
घुटनों की खराब सेहत का दुष्परिणाम
जोड़ों में घिसाव बढ़ते रहने के कारण औस्टियोआर्थ्राइटिस की समस्या हो जाती है और इस वजह से सुरक्षा प्रदान करने वाले कार्टिलेज में भी घिसाव बढ़ने लगता है, जो जोड़ों में अकड़न, दर्द एवं घुटनों के जोड़ों में लौकिंग की समस्या बढ़ा देता है।
चूंकि अधिक वजन घुटनों पर अधिक दबाव बढ़ाता है, इसलिए अधिक वजन के कारण कार्टिलेज एवं लिगामैंट में भी घिसाव बढ़ने लगता है, जिसे जोड़ों का सपोर्ट सिस्टम माना जाता है। कार्टिलेज में जल्दी घिसाव शुरू होने से बचने के लिए हमें अपने वजन पर काबू रखना जरूरी है।
डिलीवरी के बाद जोड़ों में दर्द होने इन घरेलू नुस्खों से पाएं आराम
शरीर को दें आराम
डिलीवरी के बाद महिलाओं को अधिक से अधिक आराम करने की जरूरत होती है, ताकि वे बेहतर ढंग से रिकवर हो सके। अगर आप खुद को कामकाज में काफी ज्यादा व्यस्त रखेंगी, तो इससे घुटनों, जोड़ों में दर्द की समस्या हो सकती है। ऐसे में कोशिश करें कि मां बनने के बाद अपने शरीर को अधिक से अधिक रेस्ट दें। इससे जोड़ों में दर्द की समस्या को कम किया जा सकता है।
मेथी का पानी
अर्थराइटिस या फिर जोड़ों में दर्द की समस्या को दूर करने के लिए आप मेथी के पानी का सेवन कर सकते हैं। मेथी में कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो जोड़ों में दर्द से आराम दिला सकते हैं। इसका सेवन करने के लिए एक गिलास पानी में मेथी के दानों को डालें और इसे रातभर के लिए छोड़ दें। सुबह इस पानी का सेवन करें। इससे दर्द से आराम मिलेगा। साथ ही अर्थराइटिस की परेशानी भी काफी हद तक दूर हो सकती है।
हल्दी जोड़ों के दर्द से दिलाए आराम
डिलीवरी के बाद होने वाली अर्थराइटिस की परेशानी को दूर करने के लिए आप हल्दी का प्रयोग कर सकते हैं। हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो जोड़ों की सूजन और दर्द को कम करने में प्रभावी हो सकता है। हल्दी का प्रयोग आप लेप या फिर हल्दी के दूध के रूप में कर सकते हैं।
एक्सरसाइज करें
अगर डिलीवरी के बाद आपके जोड़ों में दर्द रहता है, तो एक्सरसाइज करें। हालांकि, कोई ऐसी एक्सरसाइज ना करें, जिससे घुटनों पर दबाव पड़े। आपको बस ऐसी एक्सरसाइज करनी हैं, जिससे आपका शरीर एक्टिव रहे। इससे आपका प्रेगनेंसी वेट कम होगा और जोड़ों में दर्द से भी राहत मिलेगी।
तेल मालिश
डिलीवरी के बाद घुटनों के दर्द से छुटकारा पाने के लिए आप तेल से मालिश कर सकते हैं। इसके लिए आप सरसों के तेल को गर्म करके, इससे अपने घुटनों की मालिश कर सकते हैं। सरसों के तेल से घुटनों की मालिश करने से दर्द और सूजन से जल्द राहत मिलेगी।
सिंकाई करें
डिलीवरी के बाद जोड़ों और घुटने के दर्द से राहत पाने के लिए आप सिंकाई भी कर सकते हैं। घुटनों पर गर्म सिंकाई करने से दर्द में जल्द राहत मिलती है। इसके लिए हॉट वॉटर बैग पर एक कपड़ा लपेटकर, इससे अपने घुटनों की सिंकाई करें। इसके अलावा, आप एक बाल्टी में गर्म पानी और सेंधा नमक डालकर , इसमें अपने घुटनों को डिप करके बैठ सकते हैं।