कोरोना का कम्युनिटी ट्रांसमिशन को क्यों माना जाता है खतरनाक?, जानिए

डियन सार्स-सीओवी-2 जीनोमिक्स सीक्वेंसिंग कंसोरओमिक्रॉन वैरिएंट का संक्रमण

Update: 2022-01-24 09:49 GMT

    जनता से रिश्ता वेबडेस्क |  कोरोनावायरस के पहले इन्फ्लूएंजा और बर्ड फ्लू जैसे संक्रमणों के भी कम्युनिटी ट्रांसमिशन के मामले देखने को मिल चुके हैं। साल 2009 में एच1एन1 का प्रकोप, जिसे आमतौर पर स्वाइन फ्लू के रूप में जाना जाता है, यह भी कम्युनिटी ट्रांसमिशन के रूप में फैला था। कोरोना संक्रमण के कम्युनिटी ट्रांसमिशन के खतरे को देखते हुए स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को लगातार विशेष सावधानी बरतने की अपील कर रहे हैं।--

नोट यह लेख मेडिकल रिपोर्ट्स और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सुझाव के आधार पर तैयार किया गया है।  में पिछले करीब एक महीने से जारी कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट का संक्रमण लगातार लोगों के लिए बड़ी मुसीबतों का कारण बना हुआ है। हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक देश में कोरोना का कम्युनिटी ट्रांसमिशन हो चुका है। इंडियन सार्स-सीओवी-2 जीनोमिक्स सीक्वेंसिंग कंसोर्टियम ( इंसाकॉग) ने स्वीकारा है कि देश में कोरोना का सामुदायिक प्रसार हो चुका है, सभी लोगों को इस खतरे को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। बयान में कहा गया है कि कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट के कारण लोगों में डेल्टा संक्रमण जैसी समस्या तो नहीं हो रही है, हालांकि इसका प्रसार काफी तेज है, जो चिंता का विषय बना हुआ है।

रविवार को जारी बुलेटिन में यह भी कहा गया है कि देश में ओमिक्रॉन के BA.2 उप-वंश के मामले सबसे ज्यादा देखने को मिल रहे हैं, इसकी वजह से एस-जीन ड्रॉपआउट आधारित परीक्षण की रिपोर्ट गलत आने के मामले भी सामने आ रहे हैं। जिन लोगों में संक्रमण है भी, ऐसे कई लोगों के रिपोर्ट भी निगेटिव आ रहे हैं। फिलहाल कम्युनिटी ट्रांसमिशन के खतरे को देखते हुए सभी लोगों को लगातार सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है। आइए आगे की स्लाइडों में जानते हैं कि आखिर कम्युनिटी ट्रांसमिशन क्या होता है और संक्रमण की यह स्थिति कितनी गंभीर हो सकती है?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, किसी भी संक्रमण का कम्युनिटी ट्रांसमिशन वह स्थिति है जिसमें लोग तेजी से संक्रमण का शिकार हो रहे होते हैं, हालांकि उसके स्रोत का पता नहीं होता है। दूसरे शब्दों में समझें तो बिना संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आए लोगों में भी संक्रमण की पुष्टि होने की स्थिति कम्युनिटी ट्रांसमिशन का संकेत मानी जाती है। संक्रमितों का कोई कॉटैक्ट हिस्ट्री नहीं होता है फिर भी उनमें संक्रमण की पुष्टि की जाती है।संक्रमण का खतरा सभी में

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक संक्रमण के कम्युनिटी ट्रांसमिशन का अर्थ है कि वायरस अब तेजी से लोगों के बीच फैल रहा है और उन लोगों को भी संक्रमित कर सकता है जिन्होंने न तो हाल ही में कोई विदेश यात्रा की है, न ही संक्रमित लोगों या संक्रमण प्रभावित क्षेत्रों में गए हैं। इस स्तर पर, सैद्धांतिक रूप से हर व्यक्ति को संक्रमण होने का खतरा रहता है। कम्युनिटी ट्रॉसमिशन जैसी स्थिति को स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती के तौर पर देखा जाता है।कितना गंभीर है कम्युनिटी ट्रांसमिशन का स्टेज

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक किसी भी संक्रमण का कम्युनिटी ट्रांसमिशन के स्टेज में पहुंचना एक चुनौतीपूर्ण स्थिति मानी जाती है। कोरोनावायरस के संदर्भ में बात करें तो चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि पहले यह वायरस विदेशों से आया और फिर इसने देश में महामारी का रूप ले लिया है। यह स्थिति चिंताजनक मानी जाती है। हम एक दूसरे को संक्रमित कर रहे हैं। यही सामुदायिक प्रसारण की सही परिभाषा है।

कम्युनिटी ट्रांसमिशन जैसी स्थिति से बचे रहने के लिए लोगों को और भी सतर्कता बरतते रहने की आवश्यकता होती है, क्योंकि हमें यह नहीं पता होता है कि हमें किससे संक्रमण होने का खतरा हो सकता है।इन वायरस का भी हो चुका है कम्युनिटी ट्रांसमिशन

कोरोनावायरस के पहले इन्फ्लूएंजा और बर्ड फ्लू जैसे संक्रमणों के भी कम्युनिटी ट्रांसमिशन के मामले देखने को मिल चुके हैं। साल 2009 में एच1एन1 का प्रकोप, जिसे आमतौर पर स्वाइन फ्लू के रूप में जाना जाता है, यह भी कम्युनिटी ट्रांसमिशन के रूप में फैला था। कोरोना संक्रमण के कम्युनिटी ट्रांसमिशन के खतरे को देखते हुए स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को लगातार विशेष सावधानी बरतने की अपील कर रहे हैं।


Tags:    

Similar News

-->