क्या होती है टाइप-1 डायबिटीज? समझिए इसे कंट्रोल करना है कितना आसान
जिसके लिए मरीज के शरीर की आवश्यकता को पूरी करने के लिए इंसुलिन का इंजेक्शन दिया जाता है.
आज कल डायबिटीज के मरीज सभी घरों में मिल रहे हैं. अपनी व्यस्त जिंदगी की वजह से लोग टाइप-2 डायबिटीज के चपेट में तेजी से आ रहे हैं. ये डायबिटीज का वो प्रकार है जब व्यक्ति गलत खान-पान की वजह से इसका शिकार हो जाता है. लेकिन टाइप-1 डायबिटीज इसी बीमारी का दूसरा प्रकार है. यह किसी बच्चे को भी हो सकता है. क्योंकि टाइप-1 डायबिटीज होने का खतरा तब होता है, जब घर में पहले से ही दादा-दादी या पापा-मम्मी लम्बे समय से डायबिटीज के मरीज हों. यह बचपन से लेकर किसी भी उम्र वालों को हो सकता है. तो आइए विस्तार से जानते हैं, टाइप-1 डायबिटीज और इसके इलाज के बारें में.
टाइप 1
टाइप-1 डायबिटीज एक व्यक्ति को प्रभावित करता है. किसी भी उम्र का इंसान इस बीमारी के चपेट में आ सकता है. जब आपके पैंक्रियास में बीटा कोशिकाएं खत्म हो जाती है, तब शरीर में इंसुलिन बनना कम होने लगता है. इंसुलिन खून से शुगर को आपके शरीर की कोशिकाओं तक ले जाने में मदद करता है. टाइप-1 डायबिटीज किसी व्यक्ति के जीन की भूमिका होती है. यह एक ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया के परिणामस्वरूप होती है. यह एक अचानक होने वाला डिसऑर्डर है. इससे ब्लड शुगर की मात्रा बढ़ने लगती है.
टाइप 1 लक्षण?
अत्यधिक थकान
अत्यधिक भूख
घावों का धीरे-धीरे ठीक होना
वजन कम होना
मूत्र की आवृत्ति
बढ़ी हुई प्यास
खुजली या नियमित एपिसोड यूटीआई
क्या है इलाज
टाइप-1 डायबिटीज इंजेक्शन लेने के साथ एक अच्छे इलाज की भी जरूरत होती है. जो शरीर में इन्सुलिन की तीव्रता को बढ़ाने में मदद करता है. इसके इलाज कई तरह के होते हैं. लेकिन इंसुलिन बनाना इंसान की डाइट पर निर्भर करता है, कि वो दिन से लेकर रात तक किस तरह के भोजन का सेवन करता है. यह निम्न रक्त शर्करा के स्तर से बचने के लिए आवश्यक है, जिससे हाइपोग्लाइकेमिया हो सकता है. इंसुलिन एक तरह का हार्मोन्स है, जो अग्नाशय से निकलता है. जहां इसे ऊर्जा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. क्योंकि टाइप-1 डायबिटीज के कारण शरीर की एनर्जी में कमी होने लगती है, जिसके लिए मरीज के शरीर की आवश्यकता को पूरी करने के लिए इंसुलिन का इंजेक्शन दिया जाता है.