हमारे देश में कोरोना के मामले तेज़ी से बढ़ते ही जा रहे हैं. दुनिया के कई देशों की तुलना में हमारे यहां कोरोना ने देर से दस्तक भले दी, पर अब हम कुल संक्रमण के मामले में दुनिया के टॉप तीन देशों में शामिल हो गए हैं. रोज़ाना लगभग हज़ार लोग कोरोना से मर रहे हैं. नए मामले पिछले कई दिनों से रोज़ाना 50,000 से ज़्यादा आ रहे हैं. ख़बरों में अब कोरोना के बारे में, ख़ासकर इसके ख़तरे के बारे में बात नहीं की जाती. कोरोना तो नहीं, उसका डर ज़रूर कम हुआ है. रूस में वैक्सीन आ चुकी है. भारत सहित दुनिया के दूसरे देश अपने-अपने वैक्सीन प्रोग्राम को जल्द से जल्द पूरा करना चाहते हैं. कुल मिलाकर कोरोना से युद्ध हर लेवल पर चल रहा है. विज्ञान अपनी ओर से ज़ोर लगा रहा है, बीमारी अपनी तरफ़ से पूरे विस्तार पर है.
हम लोग आजकल कोरोना की जिन ख़बरों को सुन रहे हैं उन्हीं में एक है सीरो पॉज़िटिविटी. कहते हैं, हमारे देश में सीरो पॉज़िटिव लोगों की संख्या बढ़ रही है. कोरोना के ख़िलाफ़ जारी जंग में इसे गुड न्यूज़ की तरह बताया जा रहा है. तो आइए जानते हैं, क्या है सीरो पॉज़िटिविटी और क्यों इसे कहा जा रहा है गुड न्यूज़.
क्या है सीरो पॉज़िटिविटी? क्या है इसका कोरोना से नाता?
अभी हाल ही में किए गए एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि दिल्ली और पुणे की एक बड़ी आबादी सीरो पॉज़िटिव है. इसे जैसा समझाया गया वह यह कि ज़्यादातर आबादी का शरीर कभी न कभी कोरोना के संपर्क में आ चुका है. उनके शरीर में कोरोना से लड़नेवाली ऐंटी-बॉडीज़ बन चुकी हैं. चूंकि कोरोना से जुड़ी ख़बरों में आंकड़ों में इतना कॉन्ट्रडिक्शन है कि हम यक़ीन के साथ तो कुछ नहीं कह सकते. यानी हर रोज़ एक नई शोध और नए आंकड़े के साथ बताया जाता है कि कैसे हम कोरोाना के हरा रहे हैं. सीरो पॉज़िटिविटी भी उसी में से एक है. इससे रिलेटेड शोध कहते हैं कि देश हर चार में से एक व्यक्ति के शरीर में ऐंटीबॉडीज़ बन चुकी हैं. आख़िर यह ऐंटी-बॉडीज़ क्या हैं?
सीरो को समझने के लिए पहले सीरम को समझना होगा. हमारे शरीर में ख़ून के साथ-साथ एक फ़्लूड यानी तरल पदार्थ का भी लगातार प्रवाह होता रहता है, जिसे सीरम कहते हैं. सीरो यह शब्द उसी से रिलेटेड है.
सीरो पॉज़िटिविटी, जिसे सीरो इम्यूनिटी भी कहा जाता है, को जांचने के लिए पहला हमारा ख़ून लिया जाता है, फिर उसमें से सीरम को अलग किया जाता है. उसके बाद सीरम में मौजूद सूक्ष्म तत्वों की जांच की जाती है. वैसे बता दें कि सीरम में ऐंटी-बॉडीज़, ऐंटीजन, हारमोन्स और माइक्रोब्स हो सकते हैं. यदि सीरम में वायरस का ख़ात्मा करने के लिए ज़रूरी ऐंटी-बॉडीज़ पाई जाती हैं तो उसे सीरो पॉज़िटिव कहा जाता है. यदि सीरो पाज़िटिव व्यक्ति के अंदर कोरोना का वायरस घुसपैठ करता है तो ऐंटी-बॉडीज़ कोरोना के वायरस पर ज़ोरदार हमला करके उनका ख़ात्मा कर देती हैं.
तो क्या है हाई सीरो-पॉज़िटिविटी का मतलब?
जैसा कि कई शोधों में यह दावा किया गया है कि देश के हर चार में से एक यानी 25% या कह लें एक चौथाई लोग सीरो पॉज़िटिव हैं, यह वाक़ई अच्छी ख़बर कही जा सकती है. इसका सीधा मतलब यह हुआ कि देश की 25% आबादी को कोरोना से कोई ख़ास डर नहीं है. पर जैसा कि इस लेख के शुरू में कहा जा चुका है कि इस बीमारी के भारत में एंटर करने से लेकर, अब तक इतनी सारी अलग-अलग तरह की ख़बरें चल चुकी हैं कि एक बाारगी तो किसी पर भी भरोसा नहीं होता. तो इन आंकड़ों से भले ही आप कुछ समय के लिए ख़ुश हो सकते हैं, पर अब भी प्रिकॉशन ही कोरोना से बचने का एकमात्र प्रभावी समाधान है. इसके रूसी वैक्सीन पर वैसे भी ढेर सारे सवाल उठाए जा रहे हैं. तो आप हाथ धोइए, मास्क पहनिए, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कीजिए और हो सके तो इस महामारी से जुड़ी भ्रामक ख़बरें देखने-पढ़ने के बजाय, उन किताबों को पढ़ने में समय बिताइए, जो लंबे समय से आपकी मस्ट रीड लिस्ट में पेंडिंग पड़ी हैं.