क्या है ईको-कीटो डायट और क्यों दुनियाभर में इसे लोग कर रहे हैं फ़ॉलो

Update: 2023-06-17 12:11 GMT
वज़न घटाने व फ़िट रहने के लिए हम अक्सर किसी ना किसी तरह की डायट को फ़ॉलो करते हैं, उसमें कीटो डायट भी शामिल है. लेकिन पिछले कुछ सालों से लोग कीटो डायट की जगह ईको-कीटो डायट फ़ॉलो करने की वक़ालत कर रहे हैं. और तो और वर्ष 2019 में यह डायट ट्रेंड कर रही है. पोषण, फ़िटनेस और वज़न घटाने के लिए लोग काफ़ी पहले से कीटो डायट को फ़ॉलो कर रहे हैं, जिसमें लो कार्ब्स, और हाई फ़ैट वाले फ़ूड्स शामिल किए जाते हैं. इसे कीटोजेनिक डायट, लो कार्ब्स डायट या फ़ैट डायट जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है.
जानकारों की मानें तो अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट युक्त फ़ूड्स खाने से शरीर में ग्लूकोज़ और इंसुलिन अधिक उत्पन्न होता है, जिससे शरीर में फ़ैट जमा होने लगता है और वज़न बढ़ता है, वहीं कीटो डायट में कार्बोहाइड्रेट का सेवन कम करने पर फ़ैट से ही एनर्जी बनती है, जो वज़न कम करने में मदद करती है. एक परफ़ेक्ट कीटो डायट में 70 प्रतिशत फ़ैट, 25 प्रतिशत प्रोटीन और 5 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट शामिल होना चाहिए.
ईको-कीटो डायट धीरे-धीरे ही सही पर डायट के नए रूप में आगे बढ़ रही है. यह डायट लंबे समय तक फ़ॉलो किया जा सके ऐसे पारंपरिक खानपान पर फ़ोकस करती है. कीटो डायट में रेड मीट का इस्तेमाल किया जाता है और उसी को रोकने के लिए ईको-कीटो डायट को आगे बढ़ाया जा रहा है. रेड मीट को पर्यावरण के लिहाज़ से अच्छा नहीं कहा जाता, क्योंकि यह अपने पीछे बड़ी मात्रा में कार्बन फ़ुटप्रिंट (पर्यावरण में कार्बन का उत्सर्जन) छोड़ता है. इतना ही नहीं रेड मीट दिल की सेहत को भी नुक़सान पहुंचाता है. इससे बचने के लिए आप अधिक फ़ैट वाले शाकाहारी फ़ूड्स का इस्तेमाल करें जैसे-एवोकाडो, पनीर, केला, पालक, ब्रोकलि आदि. अधिक फ़ैट के लिए खाने में ऑलिव और नारियल तेल का भी प्रयोग कर सकते हैं.
ईको-कीटो डायट में पेड़-पौधों से मिलने वाले खाद्य पदार्थों को शामिल किया जाता है. जिसकी वजह से किसी पशु या पक्षी को कोई नुक़सान नहीं पहुंचता है और यह बायोडाइवर्सिटी यानी जैवविविधता को बनाए रखने और ग्रीनहाउस उत्सर्जन को कम करने का एक बढ़िया तरीक़ा है. यदि आप वेगन डायट फ़ॉलो करके वेगन मिल्क, चीज़, मक्खन और दही जैसी चीज़ें प्रॉड्यूस कर रहे हैं, तो आप इस दुनिया व अपने शरीर के लिए बेहतर क़दम उठा रहे हैं.
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