वेक्टर जनित रोग: बचाव और प्रबंधन के लिए व्यापक प्रयास की जरूरत

एंटोमोलॉजी क्षेत्र को देना होगा बूस्ट

Update: 2023-05-30 16:07 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों- नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज (NTDs) के वैश्विक बोझ का 54% हिस्सा दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र से सम्बंधित है। इन क्षेत्रों में लसीका फाइलेरिया (LF) और काला अजार को ख़त्म करने का लक्ष्य रखा गया है। लसीका फाइलेरिया, एक क्रोनिक और दुर्बल करने वाली बीमारी है। यह बीमारी भारत के 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 328 जिलों में फैल चुकी है। काला अजर या विसरल लीशमैनियासिसी दुनिया के कुछ वंचित तबकों को प्रभावित करने वाली एक घातक बीमारी है।

वेक्टर जनित रोगों का खतरा

इन बीमारियों में एक चीज जो कॉमन है वह यह है कि ये सभी बीमारियां वेक्टर द्वारा फैलती होती हैं। वेक्टर का मतलब जानवर या कीड़े जो पैथोजन को एक जगह से दूसरी जगह फैलाते हैं। भारत का भौगोलिक और मानसून संरचना वेक्टर जनित बीमारियों को फैलाने में योगदान देती है। उदहारण के तौर पर भारत में मच्छरों की कई प्रजातियां पाई जाती हैं। इन मच्छरों की वजह से ये बीमारियां प्रमुख रूप से फैलती हैं।

इन बीमारियों को फैलाने वाले कीड़ों से मुकाबला करने के लिए वैज्ञानिकों ने कीटनाशकों, लंबे समय तक चलने वाले कीटनाशक जाल (LLINs) और लार्वाइसाइड्स जैसे समाधान विकसित किए हैं। हालांकि कीटनाशक प्रतिरोध और जलवायु परिवर्तन के कारण ये समाधान, जो पहले सही ढंग से काम करते हैं बाद में प्रभावी नहीं रह पाते हैं।

इन बीमारियों के कारण जो क्षति होती है, वह बहुत ही भयावह होती है। इन बीमारियों से पीड़ित होने के कारण व्यक्ति कई बीमारी के प्रति संवेदनशील भी हो जाता है, उसमें अक्षमता आ जाती है, उत्पादकता में कमी आ जाती है। इन बीमारियों के इलाज से वह आर्थिक रूप से कमजोर भी हो जाता है। यहां तक कि इस तरह की बीमारियां व्यक्ति के लिए जानलेवा भी हो सकती हैं।

यह जरूरी है कि हम इन बीमारियों को खत्म करने के लिए एक लक्ष्य रखें और कीटों से पैदा होने वाली बीमारियों के नियंत्रण में सबसे बड़ी चुनौतियों को दूर करने के सबसे अच्छे और सस्ते तरीकों में से एक- कीटों की आबादी का सर्वे करने और इससे संबंधित समाधान प्राप्त करने के लिए वैज्ञानिक क्षमता में सुधार करें, ताकि रोग फैलाने की कीटों की क्षमता को ख़त्म किया जा सके।

वेक्टर कीड़ों के नियंत्रण से जुड़ी विज्ञान की शाखा को "एंटोमोलॉजी" के रूप में जाना जाता है। भारत में कीट विज्ञान की एक पुरानी और समृद्ध परंपरा रही है, जो 20वीं सदी की शुरुआत से चली आ रही है। गौरतलब है कि DDT-बेस्ड इनडोर रीसाइड्यूल स्प्रेयिंग (IRS) कार्यक्रमों को लागू करने से 1950 और 60 के दशक में भारत मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में सबसे आगे था।

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