लाइफस्टाइल: चक्रमर्द या चिरौटा जिसे लगाया नहीं बल्कि यह बारिश के दिनों में पानी के बूंद पड़ने के बाद अपने आप ही उग जाते हैं। इसे किसी प्रकार की देखभाल की जरूरत नहीं होती है। यह एक लेसर नोन साग का पौधा है, जिसके बारे में ज्यादातर लोगों को नहीं पता होता है। चक्रमर्द का इस्तेमाल आयुर्वेद में बहुत सारे रोगों के इलाज के लिए औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। सेहत के लिए बेहद पौष्टिक इस पौधे के कोमल पत्तों को तोड़ कर बहुत ही स्वादिष्ट साग बनाया जाता है। साग के अलावा पवाँड़ या चक्रमर्द का उपयोग कॉफी बनाने के लिए भी किया जाता है, जो कि सेहत के लिए बहुत फायदेमंद बताया गया है।
चक्रमर्द या चेरौटा के बारे में
चक्रमर्द का पौधा 30-120 सेमी. तक ऊंचा, गंधयुक्त झाड़ के रूप में बड़ा होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में इसके पत्तों को तोड़कर बारिश के दिनों में चना दाल के साथ बहुत ही स्वादिष्ट साग बनाई जाती है। चक्रमर्द के पौधे में पीले रंग के फूल खिलते हैं और जब फूल सुख जाते हैं, तो उससे फल निकलते हैं। चक्रमर्द के फल बिल्कुल मेथी के बीज और फल की तरह ही होते हैं। चक्रमर्द के बीज का उपयोग कई तरह की औषधि बनाने के लिए किया जाता है।
कैसे बनाई जाती है चक्रमर्द की साग
चक्रमर्द या चरौटा साग बनाने के लिए पहले कोमल-कोमल पत्तों को तोड़ लें और बारीक काटकर धो लें। पत्ते को गरम पानी में तीन से चार बार धोएं ताकि उसमें से गंध और कड़वाहट दूर हो सके। एक कटोरी में थोड़ा चना दाल को भिगो कर रखें और जब भिग जाए तो कुकर (कुकर की सफाई) में चक्रमर्द साग और चना दाल को डालकर 2 सीटी लगाएं। दो सीटी के बाद एक पैन या कड़ाही में थोड़ा तेल डालें उसमें जीरा, राई, लाल मिर्च और लहसुन डालकर भून लें। जब भून जाए तो उसमें उबला हुआ चक्रमर्द साग डालकर अच्छे से पकाएं। पकने के बाद स्वादानुसार नमक और हल्दी डालें। थोड़ी देर मध्यम आंच में साग को अच्छे से पकाएं और पकने के बाद उसे चावल और रोटी के साथ सर्व करें।
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कहां पाया जाता है चक्रमर्द का साग
चक्रमर्द कहीं भी जंगली पौधे की तरह उग जाता है और इसे आप आसानी से मैदानी, जंगल, सड़क किनारे और खाली पड़े खलिहानों में देख सकते हैं। बिना देखभाल (कम देखभाल वाले पौधे) के उपजे इस पौधे का उपयोग लोग सब्जी, औषधी और जानवरों के चारा के लिए इस्तेमाल करते हैं।