पिगमेंटेशन की समस्या को और बदतर बना सकती हैं आपकी ये 7 गलत आदतें, लाएं इनमें सुधार

Update: 2023-07-11 11:47 GMT
पिगमेंटेशन की समस्या आजकल बेहद आम हो चुकी हैं जिसकी वजह से महिलाओं को स्किन से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं। इसके पनपने का कारण बनते हैं हार्मोनल परिवर्तन, प्रेग्नेंसी या सूरज से आने वाली हानिकारक किरणें। लेकिन देखा जाता हैं कि स्किन केयर रूटीन और आपकी कुछ गलत आदतों की वजह से पिगमेंटेशन की समस्या बदतर हो जाती हैं। आज इस कड़ी में हम आपको उन्हीं गलत आदतों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनमें सुधार लाने की जरूरत हैं अन्यथा आपको कि मुंहासे, ब्लैकहेड्स और व्हाइटहेड्स जैसी त्वचा संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता हैं। तो आइये जानते हैं पिगमेंटेशन को बढ़ाने वालीं उन गलत आदतों के बारे में...
बिना सन पोटेक्शन के धूप में घूमना
सूरज की हानिकारक किरणेंपिगमेंटेशन को बढ़ाने का काम करती है। दरअसल, सूरज की हानिकारक किरणें त्वचा में मेलेनिन को बढ़ाता है। ये मेलेनिन पिगमेंटेशन बढ़ाने का काम करती है। इसलिए कोशिश करें कि जब भी घर से बाहर निकलें या फिर धूप में निकलें, चेहरा ढक कर निकलें। इसके अलावा आप सन प्रोटेक्शन क्रीम का इस्तेमाल जरूर करें ताकि इसे लगाने से आपकी त्वचा धूप से निकलने वाली हानिकारक किरणों से बची रहे।
किसी भी प्रकार का सनस्क्रीन लगाना
ध्यान रहे कि थोड़ी मात्रा में सनस्क्रीन लगाना लगभग कुछ भी न लगाने के समान है। साथ ही किसी भी प्रकार का सनस्क्रीन इस्तेमाल करना भी त्वचा के लिए फायदेमंद नहीं है। याद रखें कि SPF तभी सक्रिय हो सकता है जब आप सही मात्रा में उपयोग करें। तो, आपकी त्वचा पर काले धब्बों से बचाने के लिए सही और अच्छी मात्रा में सनस्क्रीन का उपयोग करें। इसके अलावा एक बात जो बेहद जरूरी है वो ये है कि गलत सनस्क्रीन का इस्तेमाल करने से आप त्वचा में पिगमेंटेशन से बच नहीं सकते हैं। इसलिए वैसे सनस्क्रीन का चुनाव करें जो कि आपकी स्किन के अनुसार सही हो। जैसे कि आप एसपीएफ 50, एसपीएफ 45 और एसपीएफ 30 वाले सनस्क्रीन का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा आप सनबर्न को रोकने के लिए जिंक ऑक्साइड और टाइटेनियम ऑक्साइड से भरपूर सनस्क्रीन का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसलिए जहां भी जाएं सनस्क्रीन जरूर लगा कर जाएं।
हाइड्रोक्विनोन क्रीम का ज्यादा इस्तेमाल
पिगमेंटेशन को कम करने के लिए ज्यादातर लोग हाइड्रोक्विनोन क्रीम का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। इससे भले ही एक हद तक पिगमेंटेशन कम हो जाता है पर ये त्वचा में ड्राक पैचेस को और गहरा कर देता है। इसके अलावा हाइड्रोक्विनोन से भरपूर किसी भी स्किन प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल से बचें क्योंकि ये त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं।
चेहरे पर एक्ने और ब्लैक हेड्स निकालने की आदत
ये आदत हम सभी में होती है। जैसे कि एक्ने और ब्लैक हेड्स लगभर हर किसी को होती है और हम में से ज्यादातर लोग उसे उसी समय फोड़ने या फिर निकालने की कोशिश करते हैं। ऐसे में जब आप एक्ने को फोड़ने की कोशिश करते हैं या फिर ब्लैक हेड्स निकालने की कोशिश करते हैं, तो आस पास की त्वचा चोटिल हो जाती है और वहां पिगमेंटेशन हो जाता है। साथ ही थोड़े दिनों बाद आप अपने एक्ने और ब्लैक हेड्स पर भी पिगमेंटेशन देखेंगे, जो कि इसके दाग के साथ और गहरा जाता है। इसलिए ब्लैक हेड्स निकालने का सही तरीका जानें और एक्ने होने पर उसे खुद ही ठीक होने दें।
गलत फेस केयर रूटीन
जब हम गलत फेस केयर रूटीन कहते हैं, तो हमारा मतलब है कि अपने चेहरे को साफ करने के लिए सही तकनीक और सामग्री का उपयोग न करना। खासतौर पर हाइपरपिग्मेंटेशन से पीड़ित लोग, जो कि अपने चेहरे को साफ करने के लिए गर्म पानी का इस्तेमाल करते हैं। या वो लोग लोग जो नियमित रूप से अपने चेहरे पर भाप भी लेते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि गर्म पानी भाप लेना या फिर फेस स्टीमिंग आपकी त्वचा में मेलानोसाइट कोशिकाओं को सक्रिय करती है, जिससे हाइपरपिग्मेंटेशन पैच या स्पॉट का आकार बढ़ जाता है। मेलानोसाइट कोशिकाएं त्वचा के एपिडर्मिस भाग में स्थित होती हैं और मेलेनिन का उत्पादन करती हैं। इससे त्वचा काली हो जाती है। इस तरह ये हाइपरपिग्मेंटेशन को खराब करता है।
गलत फेशियल क्लीन्जर का उपयोग करना
नकली फेशियल क्लीन्जर का उपयोग या फिर गलत नकली फेशियल क्लीन्ज़र का इस्तेमाल हाइपरपिग्मेंटेशन को बढ़ा सकता है। दरअसल, नकली और असली क्लींजर के बीच अंतर सामग्री का है। ऐसे में आपको अपने स्किन केयर एक्सपर्ट से बात करके ही अपनी स्किन के अनुसार सही चीजों का चयन करना चाहिए। क्योंकि गलत क्लींजर के तत्व त्वचा में जलन और मुंहासों का कारण बनते हैं। इसलिए, अगर आप हाइपरपिग्मेंटेशन से बचना चाहते हैं तो आपको नकली फेशियल क्लींजर से बचना चाहिए।
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