केरल में गुरुवार को जीका वायरस (Zika Virus) का पहला मामला सामने आया है। मच्छर काटने से होने वाली इस बीमारी से 24 वर्षीय एक गर्भवती महिला केरल में संक्रमित मिली है। राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि तिरुवनंतपुरम में इस वायरस के 13 संदिग्ध मामले मिले हैं। उन्होंने कहा कि सरकार पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) से उनके रिपोर्ट की पुष्टि का इंतजार कर रही है। मंत्री ने कहा कि तिरुवनंतपुरम से 19 नमूने भेजे गए हैं जिनमें डॉक्टर समेत 13 स्वास्थ्य कर्मी शामिल हैं, उनके ज़ीका से संक्रमित होने का शक है।
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि 28 जून को महिला निजी अस्पताल में बुखार, सिर दर्द और शरीर पर चकत्ते के साथ भर्ती हुई थी। टेस्ट से उसके पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई जिसके बाद सैंपल को पुणे में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी को भेज दिए गए। गर्भावधि के अपने अंतिम सप्ताह में महिला ने जन्म दिया है और बताया जाता है कि बच्चा स्वस्थ है।
क्या है जीका वायरस और कैसे फैलता है?
जीका वायरस, मच्छर-जनित वायरल संक्रमण है। ये मुख्य रूप से संक्रमित एडीज मच्छर के काटने से मनुष्यों में फैलता है। एडीज मच्छर से ही डेंगू, चिकनगुनिया और पीला बुखार का ट्रांसमिशन होता है। एडीज मच्छर आम तौर से दिन के समय, खास कर सुबह और शाम में काटने के लिए जाना जाता है। बीमारी अधिकतर उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाई जाती है।
Zika Virus पहली बार 1947 में युगांडा में बंदरों में पाया गया था और बाद में 1952 में युगांडा एवं संयुक्त गणराज्य तंजानिया में मनुष्यों में पहचाना गया। इसके बाद एशिया, अफ्रीका, अमेरिका और प्रशांत द्वीपों में जीका वायरस के प्रकोप का पता चला है। ब्राजील ने अक्टूबर 2015 में माइक्रोसेफली और जीका वायरस संक्रमण के बीच संबंध दर्ज की थी। वर्तमान में 86 देश और क्षेत्रों ने मच्छर के फैलाव से जीका वायरस के सबूत बताए हैं।
लक्षण, इलाज और रोकथाम के उपाय
जीका वायरस के लक्षण भी डेंगू और वायरल की तरह ही हैं जैसे कि बुखार, जोड़ों का दर्द, शरीर पर लाल चकत्ते, थकान, सिर दर्द और आंखों का लाल होना। हालांकि, इस वायरस का आरएनए अलग तरह का होता है। संक्रमित होने पर जीका वायरस आमतौर पर एक हफ्ते तक संक्रमित व्यक्ति के खून में रहता है। आमतौर पर संक्रमित मच्छर के काटने के 3 से 14 दिन बाद इसके लक्षण दिखने शुरू होते हैं।
कोई वैक्सीन नहीं
वर्तमान में जीका वायरस संक्रमण का इलाज या रोकथाम करने के लिए कोई वैक्सीन नहीं है। वायरस के फैलाव को काबू करने का एक ही तरीका मच्छर के काटने को रोकना है। दूसरे एहतियाती उपायों में उचित कपड़े पहनना शामिल है। अंदर और बाहर मच्छर को काबू करने के लिए मच्छर को पानी के नजदीक अंडे देने से रोकना है। उष्णकटिबंधीय क्षेत्र मच्छर के प्रजनन के लिए उचित तापमान उपलब्ध कराता है। मच्छर के काटने से बचने के लिए मच्छरदानी में सोने का विकल्प अपनाना चाहिए।