खुद के लिए ऐसे निकालें समय, खुश रहना होगा आसान

मन नहीं लग रहा काम तो है पर करने का दिल नहीं हो रहा, कुछ समझ नहीं आ रहा बोरियत हो रही है क्या करँ

Update: 2022-06-29 07:58 GMT

मन नहीं लग रहा काम तो है पर करने का दिल नहीं हो रहा, कुछ समझ नहीं आ रहा बोरियत हो रही है क्या करँ? ऐसे जुमले वाक्य अधिकतर महिलाओं से यदा-कदा सुनने को मिल ही जाते हैं। ना चाहते हुए भी रोज-रोज वही काम एक जैसी दिनचर्या होने से मन ऊब जाता है स्वंय को महसूस होने लगता है सारा समय बच्चों व घर के कामकाज में ही निकल गया, पढ़ाई लिखाई का कोई फायदा नहीं हुआ अलग से कुछ नहीं कर सके वगैरा वगैरा…। धीरे-धीरे ऐसी ही सोच से मन कुंठित तनाव व चिड़िचड़ापन स्वभाव में झलकने लगता है।स्वंय को अहसास होता भी खुश नहीं रह पाते लेकिन लाख चाहने के बावजूद भी बात-बात में खीझ आने से मूड़ अच्छा नहीं रहता। ऐसी स्ठिति के लिए मनोचिक्तिसिक का मानना है इसकी वजह कहीं न कहीं व्यक्ति विशेष खुद ही है। जब स्वंय को पता नहीं रहता जीवन का लक्ष्य क्या है? क्या पाना चाहते है? तो ऐसे असमंजस हालात में वर्तमान से संतुष्ट न रहकर भविष्य के प्रति सजग होने की सोचते है और इसी उधेड़ बुन मे फंस परेशान रहने लगते हैं परंतु ऐसे तो काम चल नहीं सकता इस दशा से उबरना अत्यंत जरुरी है। हर हाल में मानिसक शांति के साथ खुश तथा संतुष्ट रहना ही होगा। अतः पहले अपने आप से सवाल करे मैं क्या हूं? फिर स्वंय ही जवाब दें जो भी हूं ईश्वर की कृपा से बहुत सुखी हूं। सोने पे सुहागा यदि आप जिम्मेदारियों को भली भाँति निभाते हुए कोई सत्कार्य या जॉब करना चाहती है, लेकिन यह विश्वास मन में कायम कर लें कि घर व बच्चे की देखभाल करना तथा खुशनुमा माहौल बनाए रखना अपने आप में एक जॉब हैं जिसे हर कोई नहीं कर सकता।

विशेषज्ञों की भी यही राय है अधिकतर महिलाओं की बीमारी व मन की अशांति की मुख्य वजह कहीं न कहीं उनका जीवन से असंतुष्ट होना है, मैं यह कर लूँ वो कर लूँ इसी से परेशान रहकर जो कुछ भी उनके पास है उसे अहिमयत ना देते हुए कशमकश की जिंदगी जीती रहती हैं, जिससे ना तो आज अच्छा रह पाता है ना ही कल। ऐसी मनोदशा से बाहर आने का एक ही उपाय है स्वंय को पहचानना, अपनी क्षमताओं का आंकलनकर आगे की सोचना। बेहतर जीवन के लिए कुछ एक महत्वपूर्ण विचार जान-समझ उन पर ताउम्र अमल कर लिया जाए तो हरेक के लिए खुश रहना ज्यादा आसान हो सकेगा।
स्वंय का वजूद तलाशे
एक उम्र एक समय के बाद बेटी-बहन बहु-पत्नी और माँ— इन रिश्तों के बंधन से स्वंय को कुछ आजादी दें। सोचे-समझें कि "मैं" भी हूं। मेरा भी वजूद या हैसिअत है और यह मेरी जिम्मेदारी है कि इस छोटे से जीवन में अपना हुनर अपनी काबिलयत तलाश कुछ ऐसा करूं, जिससे खुद पर गर्व महसूस कर स्वंय की पहचान बना सुखी संतुष्ट हो सकूं। यह जरा भी मुश्किल या नामुमिकन नहीं है बस जरुरत है एकाग्रता व तन्मयता से सोचते हुए इस विचार पर अमल कर इसे सार्थक बनाएं। "यदि आप गृहणी है तो बहुत अच्छा है क्योंकि आपकी वजह से एक भरा-पूरा परिवार खुश है, अतः ये आपकी खुशी की वजह है। यदि आप घर से बाहर निकल कोई जॉब करना चाहती है तो भी बहुत अच्छा है क्योंकि आप ऐसा कर सकती हैं, कहने का तात्पर्य है आप जो भी है या कर रही हैं उससे प्रसन्न व संतुष्ट रहे अपने को श्रेष्ठ मानें।"
लक्ष्य निर्धारित करे
अब तक क्या खोया क्या पाया, इन भूली बिसरी बातों को याद कर समय ना गवाएं, अपने लक्ष्य अपने उद्देश्य के बारे में सोच उसे पूर्ण करने के लिए ढृढ़ संकल्प रहने का प्रण करें। जब भी मन थोड़ा भी विचलित हो तो सोचे इस छोटी सी जिन्दगी में कुछ अलग हटकर अच्छे कार्य करने है और यह मैं कर सकती हूं, बस! इसी विचार के साथ रुचि व योग्यताअनुसार अपनी प्रतिभा को निखारने का मौका दें जिससे आपके ज्ञान कौशल तथा व्यक्तितत्व का सही मायने में सदुपयोग हो सके और खुद की पहचान बन सके।
निर्णय क्षमता
यदि आप कोई सत्कार्य अथवा अपना लक पाना चाहती हैं तो राहें तभी आसान दिखेगी जब सही समय पर सही दिशा में निर्णय लेने की कमता होगी। दूसरा क्या कर रहा है कितना आगे बढ़ रहा है? यह सब ना देखकर शांत मन से, अपनी काबिलयत के बारे में जाने विचारे। जिस किसी भी क्षेत्र में जाना चाहती हैं उसकी भली-भांति जानकारी हासिल करें कुछ कर गुजरने का निर्णय लेना ही आपके हित में होगा, अहम बात है कि जो सोच लिया उस पर अमल करते हए उसी पर कार्य करती रहें। "एक और महत्वपूर्ण बात जो भी आपका मन व दिल कहे सदैव वही निर्णय लें। इसमें किसी भी अन्य को हद से ज्यादा हस्तक्षेप ना करने दें, आप सर्वगुण संपन्न है हमेशा इसी विश्वास व दृढ़ता के साथ निर्णय लेते हए अपने फैसले पर अडिग रहें।"
तुलना ना करे
साधारण गृहणी होते हए भी स्वंय को सर्वश्रेष्ठ मानें, ये ना भूलें कि एक परिवार की खुशी की वजह आप ही हैं। पत्नी -माँ सभी रिश्ते संभालना सरल नहीं होता आपमें काबिलयत है तभी परिवार की धुरी बन सबको अपने स्नेह-वात्सल्य की मिट्टी में जकड़े एक सूत्र में बांधे हुए हैं। यदि अन्य दूसरा कोई जॉब या कुछ कर भी रहा है तो उनसे अपने को कम ना समझे, अपनी सामर्थ्य व योग्यताअनुसार ही जितना कर सकती है इच्छित कार्य करें क्योंकि घर की चार दीवारी से निकलकर ही किसी की योग्यता का आंकलन नही किया जा सकता। यदि आसानी से बिना तनावग्रस्त रहे घर व बाहर की जिम्मेदारी निभा सकती हैं तो ही निभाएं अन्यथा जो घर में रह जिम्मेदारी निभा रही हैं वो भी कुछ कम नहीं है परिवार को खुश रखना भी अपने आप में एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है काबिलियत है।
क्वालिटी टाइम निकाले
यदि आप घर-गृहस्थी की जिम्मेदारियों के अलावा अपने शौक व हुनर को भी महत्व देने लगी है तो इससे अच्छा और कुछ हो नहीं सकता। अपने आप के लिए सोचें अपनी खुद की पहचान बनाने में आगे बढ़े पर यह तभी संभव होगा जब अपने लिए अलग से समय निकालेगी, जिसमें सिर्फ और सिर्फ अपने लिए सोचेगी। आप व आपके सपने होगेऔर उनको मंजिल तक ले जाना आपका उद्देश्य। हाँ! क्वालिटी टाइम में जब भी अपना पसंदीदा कार्य कर रही हो या फिर आराम ही कर रही हो तब भी मन में किसी तरह का संशय ना आने दें कि कुछ नहीं किया। जरुरी नहीं हर समय कुछ ना कुछ करते ही रहना है, और ना ही अन्य किसी को बताना आवश्यक है कि आप क्या कर रही है या आपने क्या किया? आपकी जिन्दगी है तो मन मुताबिक 24 घंटे में कुछ सुकून भरे पल स्वंय को दें। इससे जहां अपने को बेहतर समझने का मौका मिलेगा मन मुताबिक कार्य होगे वही आत्मिक रुप से अधिक खुश व प्रसन्न रह सकेगी। "वास्तव में जो खुशी अथवा सुकून मनचाही जिंदगी जीने में मिलता है वह दिखावे के लिए खुश रहने से नही मिल सकता इसलिए जिम्मेदारियों को निभाने के साथ-साथ मनमुताबिक कार्य भी अवश्य करते रहे, आसानी से खुश रहेगे।"
झिझक शब्द भूल जाएं
अपनी योगताओं से औरों को भी रुबरु करा पाएंगी जब तीन अक्षरों के छोटे से शब्द झिझक को अपने से अलग करेगी। उदाहरण हेतु यह कार्य कैसे कर सकती हँ? या फिर आजकल तो हर जगह अंग्रेजी भाषा का प्रचलन है तो कब कैसे सामने अपनी बात या राय देने में समर्थ पाऊँगी? इस तरह की अनावश्यक सोच से बचे, ऐसा हरगिज नहीं कि हरेक व्यक्ति को सब कुछ आता ही है अधिक जानकर अथवा अधिक बुद्धिमान है| आपकी तरफ से सदैव यही कोशिश रहनी चाहिए कि अपने स्वाभिमान को बरकरार रखते हुए हीन भावना ना लाकर अल्प ज्ञान का सदुपयोग करने की क्षमता को विकसित करना, इसलिए जो भी कहना या करना चाहती है बिना हिचकिचाहट व आत्मविश्वास से परिपूर्ण हो करें।
हर हाल में खुश रहे
सब जानते हैं कि जिंदगी का कोई भरोसा नहीं, कल किसने देखा है यही सोच जो कुछ भी पाया है उसी में खुश व संतुष्ट रहने की कोशिश करे। सपने उतने ही देखे जो बिना किसी तनाव-झंझट के हकीकत में तबदील हो सकें और जिन्हें पूरा करने में यथार्थ से दूर भी ना होना पड़े। "जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं आते रहेगें। अतः धैर्यपूर्वक हर परिस्थिति का सामना करते हुए जिंदादिली से खुशहाल जिंदगी जिएंऔर प्रत्येक लम्हे को खुशहाल बनाएं। "
"कहने का तात्पर्य यह है कि जिस भी हाल में आप है उसी में सदा प्रसन्न रहने की हर संभवकोशिश करे, हम किसी से कम नही इस एक वाक्य को सदैव अपने मन में संजोकर रखे।" मन में यह विचार तथा हीन भावना कदापि न आने दें कि घर से बाहर निकल कोई जॉब या सामाजिक कार्य नहीं किया, यदि अपनी गृहस्थी के सभी कार्य तनावमुक्त हो अच्छे से कर रही है तो इससे अच्छा कुछ नहीं किन्तु समय व अन्य स्त्रोत उपलब्ध होने पर रुचि अनुसार अपने शौक को अवश्य पूरा करें। इसके बावजूद भी जिंदगी में यदि कुछ कमी रह गई तो उसका मलाल ना करे, बस ईश्वर को धन्यवाद देते हुए सतकर्म करते हुए कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ते रहे सदैव खुशमिजाज रहे।
लेखिका प्रीती जैन


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