यदि हम कहें कि, आजकल की इस दौड़ती-भागती ज़िंदगी और खानपान के तरीक़ों ने पेट के लिए बहुत-सी परेशानियां खड़ी की हैं, तो ग़लत नहीं होगा. आप और हम पेट से संबंधित कई बीमारियों से परेशान रहते हैं, जिसमें एसिडिटी, अपचन, कब्ज़ तो बिल्कुल ही आम है, जिससे निपटने के लिए हम कई तरह की दवाओं निर्भर रहने लगे हैं. लगातार एसिडिटी होना और दवाइयों का सेवन करना महंगा साबित हो सकता है. लेकिन इसके इतर व्यायाम और कई योगासन आज़मा कर आप बिना किसी नुक़सान के इन परेशानियों पर लगाम लगा सकते हैं. हम आपको पांच ऐसे योगासन के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे आसानी से किया जा सकता है.
पवनमुक्तासन- यह आसन पेट की समस्याओं से छुटकारा दिलाने के लिए सबसे कारगर आसनों में से एक है. यह गैस और पेट के भारीपन को कम करता है. इसे नियमित रूप से करने पर शरीर को मज़बूती मिलती है, मन शांत रहता है, आप दिनभर ऊर्जावान महसूस करते हैं और यह रीढ़ की हड्डी को मज़बूत और लचीली बनाने में भी मदद करता है. इसके अलावा बैली फ़ैट कम करने और ब्लड सर्कुलेशन अच्छा करने के लिए आप इस आसन को अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं.
कैसे करें- मैट पर हाथ व पैरों को फैलाकर पीठ के बल सीधा लेट जाएं और अपने शरीर को पूरी तरह से ढीला छोड़ दें. अब धीरे-धीरे सांस लेते हुए दोनों पैरों को घुटने से मोड़ते हुए छाती की तरफ़ लाएं और अपने सिर को हल्का उठाकर घुटनों को छूने की कोशिश करें. इस दौरान कुछ सेकेंड के लिए अपनी सांसों को रोके रखें और फिर धीरे-धीरे पैर फैलाते हुए सांस छोड़ें. इस आसन को आठ से दस बार करने की कोशिश करें. जब आप इस पोज़िशन में हों तो, ध्यान रखें कि आपकी एड़िया जांघों से सटी हुई हों.
उत्तानासन- इस आसन को पेट दर्द से राहत पाने के लिए किया जाता है. यह सिर में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाता है, जिससे आपका मन शांत रहता है और सिरदर्द, अनिद्रा की कमी से राहत मिलती है. इस आसन में कमर से नीचे की तरफ़ झुकना पड़ता है, जिससे पेट की मांसपेशियों को मसाज मिलता है और पाचन क्रिया में सुधार होता है. यदि किसी को कमर और जोड़ों से संबंधित समस्या हो तो इस आसन को करने से बचना चाहिए.
करने का तरीक़ा- सबसे पहले बिल्कुल सीधे खड़े हो जाएं, उसके बाद अपने हाथों को कमर पर रखें और धीरे-धीरे आगे की तरफ़ झुकना शुरू करें. इतना झुकें कि आपके दोनों हाथ ज़मीन को छू सकें. अगर इसमें मुश्क़िल हो रही हो, तो घुटनों को थोड़ा मोड़ सकते हैं. उसके बाद हाथों को सरकाते हुए पैरों के बिल्कुल बगल में लाएं और अपने कूल्हों को ऊपर की तरफ़ उठाएं. क़रीब एक मिनट तक इस पोज़िशन में बने रहें. आसन के दौरान आपकी जांघों में खिंचाव महसूस होना चाहिए और अगर यह खिंचाव आपकी कमर में है तो आसन का तरीक़ा ग़लत हो सकता है.
उत्तानपादासन- यह आसन आंतों को मज़बूत और स्वस्थ्य बनाने के अलावा गैस, कब्ज़ और पेटदर्द से राहत पाने के लिए किया जाता है. यह बैली फ़ैट को भी कम करता है. कमर दर्द से राहत पाने के लिए भी इस आसन को कर सकते हैं.
करने का तरीक़ा- पीठ के बल सीधा लेट जाएं. जोर से सांस लें और छोड़ें नहीं. दोनों हाथ की हथेलियों को ज़मीन पर रखें और पैर को बिल्कुल सीधे रखकर धीरे-धीरे ज़मीन से एक फ़ुट ऊपर उठाएं. अगर सांस रोकने में दिक़्क़त हो रही हो तो बीच में छोड़ते और लेते रहें. क़रीब 30 सेंकेड से लेकर 1 मिनट तक इसी स्थिति में बने रहें. उसके बाद पैरों को सीधा रखकर धीरे-धीरे नीचे की तरफ़ लाएं. एक बार में या झटके से लाने की कोशिश ना करें. इस आसन को तीन से छ: बार किया जा सकता है. कमर दर्द से राहत पाने के लिए इसे एक-एक पैर से बारी-बारी से करें.
नौकासन- इस आसन में शरीर को नौका के आकार का बनाया जाता है, इसलिए इसे नौकासन नाम दिया गया है. यह आसन पेट की समस्याओं, जैसे-कब्ज़ व एसिडिटी की परेशानी से छुटकारा पाने या उन्हें कम करने के लिए किया जाता है. यह बैली फ़ैट को घटाने और कमर दर्द, रीढ़ की हड्डी, डाइजेस्टिव सिस्टम को मज़बूत करने में फ़ायदेमंद साबित होता है.
कैसे करें- पीठ के बल सीधा लेट कर सांस अंदर भरें और सिर, हाथ व पैर को 30 डिग्री के ऐंगल में एक साथ उठाएं. अगर सांस रोकने में परेशानी हो रही हो तो बीच-बीच में सांस धीरे-धीरे लें और छोड़ें. क़रीब 30 सेंकेंड तक इसी स्थिति में बने रहें. नीचे आते समय लंबी सांस छोड़ें और फिर धीरे से ज़मीन पर आएं. इस आसन को 3 से 5 बारे करने की कोशिश करें.
कंधरासन- यह आसन मूलत: आंतों को साफ़ व शुद्ध रखने के लिए किया जाता है, क्योंकि पेट की बहुत- सी समस्याएं आंत से जुड़ी होती हैं. इस आसन से पाचन क्रिया ठीक रखने में मदद मिलती है. यह आसन महिलाओं के लिए अधिक फ़ायदेमंद है, क्योंकि इससे गर्भाशय मज़बूत होता है और वाइट डिस्चार्ज़ घटता है.
आसन करने का तरीक़ा- योग मैट या चटाई पर पीठ के बल सीधे लेट जाएं और लंबी सांस लेकर दोनों पैरों को घुटनों से मोड़ें. सिर को ज़मीन से टिकाए रखें और कमर के पास से ऊपर उठें. पैरों को सर्पोट देने के लिए दोनों हाथों से एड़ी को पकड़ें. इसी स्थिति में कम से कम 2 मिनट तक बने रहें और ज़रूरत लगे तो बीच-बीच सांस लेते और छोड़ते रहें. आसन करते समय ध्यान रखें कि पूरे शरीर का वज़न कंधों और पैरों के पंजों पर होना चाहिए.