कोरोना के मूल वेरिएंट की तुलना में 70 गुना तेजी से संक्रमित कर रहा ओमिक्रॉन जाने कारण

कोरोना का ओमिक्रॉन वेरिएंट डेल्टा और कोविड-19 के मूल स्वरूप की तुलना में 70 गुना तेजी से संक्रमित करता है. हालांकि इससे होने वाले रोग की गंभीरता काफी कम है.

Update: 2021-12-17 09:44 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | कोरोना का ओमिक्रॉन वेरिएंट डेल्टा और कोविड-19 के मूल स्वरूप की तुलना में 70 गुना तेजी से संक्रमित करता है. हालांकि इससे होने वाले रोग की गंभीरता काफी कम है. एक अध्ययन में यह सामने आया है. अध्ययन में इस बारे में प्रथम सूचना दी गई है कि ओमिक्रॉन स्वरूप किस तरह से मानव के श्वसन तंत्र को संक्रमित करता है. हांगकांग विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि ओमिक्रॉन, डेल्टा और मूल सार्स-कोवी-2 की तुलना में 70 गुना तेजी से संक्रमित करता है. अध्ययन से यह भी प्रदर्शित होता है कि फेफड़े में ओमिक्रॉन से संक्रमण मूल सार्स-कोवी-2 की तुलना में काफी कम है, जिससे रोग की गंभीरता कम होने का संकेत मिलता है. अनुसंधानकर्ताओं ने ओमिक्रॉन का अलग तरह से संचरण होने और इससे होने वाले रोग की गंभीरता सार्स-कोवी-2 के अन्य स्वरूपों से भिन्न रहने को समझने के लिए 'एक्स-वीवो कल्चर' का उपयोग कियाOmicron in Delhi: दिल्ली में फूटा Omicron बम, एक साथ 10 नए मामले सामने आए

हांगकांग विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर माइकल चान ची वाई और उनकी टीम ने ओमीक्रोन को अन्य स्वरूपों से सफलतापूर्वक अलग किया तथा अन्य स्वरूप से होने वाले संक्रमण की तुलना मूल सार्स-कोवी-2 से की. टीम ने पाया कि ओमीक्रोन मानव में मूल सार्स-कोवी-2 और डेल्टा स्वरूप की तुलना में कहीं अधिक तेजी से प्रतिकृति बनाता है. Also Read - Bird Flu Cases In Kerala: Omicron के खतरे के बीच बर्ड फ्लू का खौफ, हजारों बत्तखों को मारा गया
अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि संक्रमण के 24 घंटे बाद ओमीक्रोन स्वरूप ने डेल्टा और मूल सार्स-कोवी-2 की तुलना में करीब 70 गुना अधिक प्रतिकृति बनाई. हालांकि, ओमिक्रॉन ने मानव के फेफड़े की कोशिका में मूल सार्स-कोवी-2 वायरस की तुलना में 10 गुना से भी कम प्रतिकृति बनाई, जिससे पता चलता है कि इससे होने वाले रोग की गंभीरता कम है. Also Read - Covid19: देश में कोरोना के 7447 नए मामले, 830 कम हुई एक्टिव मरीजों की संख्या; 391 की मौत
चान ने एक बयान में कहा, 'यह जिक्र करना जरूरी है कि मानव में रोग की गंभीरता न सिर्फ वायरस की प्रतिकृति द्वारा निर्धारित होती है बल्कि संक्रमण के प्रति शरीर की प्रतिरक्षा से भी निर्धारित होती है.'


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