कुंडली ही नहीं हेल्थ चेकअप भी कराएं दूल्हा-दुल्हन, वर्ना बच्चे में आ सकती , बीमारीया

Update: 2023-05-11 07:26 GMT
थैलेसीमिया एक अनुवांशिक बीमारी है, जो माता-पिता से बच्चे में आती है। इससे बच्चों को काफी परेशानी होती है और माता-पिता चिंतित रहते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो ऐसा जरूरी नहीं है कि अगर माता-पिता को यह बीमारी नहीं होगी तो बच्चे को भी नहीं होगी। इसलिए भविष्य में होने वाले बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य की तैयारी पहले से ही तय कर लेनी चाहिए।
थैलेसीमिया रोग से होने वाली समस्याएं क्या हैं?
हमारे शरीर में खून दो तत्वों से मिलकर बना है। पहला- हिम यानी लौह तत्व और दूसरा- ग्लोबिन यानी एक तरह का प्रोटीन। जब बच्चे को थैलेसीमिया होता है तो उसके शरीर में आयरन नहीं बनता और उसका खून पतला हो जाता है। इससे बच्चे का विकास रुक जाता है और शरीर के बाकी हिस्सों में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता है।
थैलेसीमिया के लक्षण
बच्चे के नाखून और जीभ का पीला पड़ना।
बच्चे का असामान्य या सूजा हुआ जबड़ा और गाल।
बच्चे का विकास रुक जाता है और उम्र के हिसाब से छोटा दिखने लगता है।
शिशु का चेहरा रूखा हो रहा है और वजन नहीं बढ़ रहा है।
सांस लेने में दिक्कत, बार-बार बुखार आना।
थैलेसीमिया का इलाज
डॉक्टर बताते हैं कि अगर बच्चे को थैलेसीमिया है तो उसे दो तरह से बचाया जा सकता है। पहला उसे नियमित रक्त देकर और दूसरा बोन मैरो ट्रांसप्लांट के जरिए। जैसे-जैसे बच्चे की उम्र बढ़ती है उसे खून की जरूरत होने लगती है। इतनी बड़ी मात्रा में ब्लड का इंतजाम करना बहुत मुश्किल है। इससे बच्चा ज्यादा बीमार रहने लगता है। बार-बार खून चढ़ाने और दवाइयां लेने से उसके शरीर में आयरन की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे उसके कई अंग काम करना बंद भी कर सकते हैं।
गर्भ में बच्चे की जाँच करें
डॉक्टर के मुताबिक अगर शादी के बाद बच्चे में यह बीमारी आ जाए तो पूरी जिंदगी परेशानी में गुजरने लगती है। इसलिए हर माता-पिता को शादी से पहले हेल्थ चेकअप जरूर करवाना चाहिए। इससे थैलेसीमिया को रोकने में मदद मिलेगी। गर्भ में पल रहे शिशुओं की भी सही समय पर जांच करानी चाहिए।
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