डिवोर्स बन रहा सुसाइड की वजह
एक विदेशी सर्वे कहता है कि हर दिन डिवोर्स करने वाले पुरुषों में से 10 सुसाइड को गले लगा लेते हैं। वो इतने परेशान होते हैं कि मौत ही उनको सही रास्ता दिखा पाती है। हैरान करने वाली बात ये है कि ये आंकड़ा महिलाओं के मुकाबले करीब तिगुना है।
इस सर्वे में ये भी माना गया है कि डिवोर्स लेने वाले पुरुष शारीरिक और मानसिक दोनों परेशानियों को लेकर डॉक्टर से मिलने से बचते हैं। इसी वजह से कई बार मौत का कारण ऐसी बीमारियां होती हैं, जिनका इलाज बहुत आसान माना जाता है।
ऐसे पुरुष अगर पिता भी होते हैं तो स्थिति और भी खराब हो जाती है। उनको इमोशनल हर्ट करने का एक कारण और मिल जाता है। वो सिर्फ पत्नी नहीं बल्कि बच्चों से भी दूर होने का गम दिल में छुपाए रहते हैं। कुल मिलाकर उनकी स्थिति बेहद खराब वाली हो जाती है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि पत्नी और बच्चों से अचानक नाता टूटने का गम पुरुषों की स्ट्रांग वाली इमेज को तोड़ देता है। बस बाकी लोगों को इसका एहसास नहीं होता है।
डिवोर्स का गलत असर डैड पर भी
अक्सर ये माना जाता है कि डिवोर्स का असर बच्चों पर बेहद बुरा होता है। परिवार टूटने का दर्द बच्चों पर बहुत गहरा होता है। मगर परिवार टूटने का सीधा असर पिताओं पर भी भरपूर होता है। भले ही डैड को परिवार का रक्षक माना जाता हो, लेकिन कम ही लोग समझ पाते हैं कि डैड खुद परिवार को अपना रक्षक मानते हैं।
शायद इसी वजह से रिसर्च में पाया गया है कि डिवोर्स पुरुष की तुलना में शादीशुदा पुरुष ज्यादा हेल्दी होते हैं। दरअसल ज़्यादातर पुरुषों के लिए डॉक्टर से एपोइंटमेंट लेने का काम उनकी पत्नियां ही करती हैं। जब डिवोर्स हो जाता है तो पति इस स्थिति को हैंडल नहीं कर पाते हैं। इसके अलावा ज़्यादातर भारतीय घरों में पत्नी ही पुरुषों का ख्याल रखती हैं और डिवोर्स के बाद ये स्थिति बदल जाती है।
बीमारियों का कारण भी
डिवोर्स का मतलब एक ऐसी शादी होती है, जिसमें लड़ाई, झगड़े और तनाव बेहद होता है। ये स्थिति डिवोर्स के बाद खत्म नहीं होती है, बल्कि बहुत सारी मानसिक और शारीरिक दिक्कतों के निशान छोड़ जाती है।
रिसर्च भी ये बात मानते हैं। इन शोधो में पाया गया है कि जिन शादियों में खुशी नहीं होती है, उनमें पार्टनर्स को हाई ब्लडप्रेशर की दिक्कत झेलनी ही पड़ती है। ऐसी शादियों में इम्यून सिस्टम कमजोर होने की समस्या भी देखी जाती है। इसके अलावा फ्लू, गठिया और दांतों से जुड़ी शारीरिक दिक्कतें भी ऐसे कपल फेस करते हैं।
इन सारी बातों से एक बात साबित होती है कि शादीशुदा जिंदगी जी रहे पुरुष ज्यादा हेल्दी और खुश रहते हैं।
डिवोर्स का मानसिक दबाव
डिवोर्स एक ऐसा प्रोसेस है, जिसमें ज़्यादातर बार पुरुषों के पक्ष में निर्णय नहीं हो पाता है। ज़्यादातर बार बच्चे भी मां के साथ रहते हैं, ऐसे में पिता का खुद को अकेला महसूस करना बेहद साधारण सी बात है।
इसके बाद सबके खर्चे का बोझ भी उनके ही कंधों पर आता है, जो उन्हें आर्थिक तौर पर भी कमजोर कर देता है। इसके साथ डिवोर्स के दौरान इस्तेमाल होने वाले कानून भी महिलाओं के लिए ज्यादा आसान होते हैं। जबकि पुरुषों को ढेर सारी दिक्कतों का सामना ही करना पड़ता है।
फिर डिवोर्स के बाद और पहले की स्थितियां मिलकर पुरुषों को इतना तनाव देती हैं कि वो एंग्जाइटी और डिप्रेशन को अपना साथी बना लेते हैं। परिवार का साथ छूटता है तो अकेलापन भी उन्हें घेर लेता है तो मानसिक स्थिति और खराब हो जाती है।
सोशल शेम बन जाती है घातक
मयंक का डिवोर्स हुए अब 1 साल हो चुका है लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि दूसरे शहर में रहने वाले उनके बेहद खास दोस्त को इस बात का आज भी पता नहीं है। वजह ये है कि मयंक सोशल शेम से बच रहे हैं। उन्हें दूसरे क्या कहेंगे की चिंता सताती रहती है।
पुरुषों के साथ ऐसा अक्सर इसलिए भी होता है क्योंकि उन्हें पत्नी के आगे प्रभुत्व वाली स्थिति में माना जाता है। जबकि डिवोर्स उनकी इस स्थिति को बिगाड़ देता है। ऐसा लगता है मानो सारा सोशल दबाव उन्हीं पर है। बस फिर इसी स्थिति से बचने के लिए वो अपनी भरसक कोशिश करते हैं। और वजह बनती है सोशल शेम की स्थिति।