जानिए क्या है शीतला अष्टमी, इस दिन क्यों है बासा भोजन खाने का चलन

चैत्र के महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को शीतला अष्टमी या बसौड़ा अष्टमी के नाम से जाना जाता है

Update: 2021-03-30 08:45 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | चैत्र के महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को शीतला अष्टमी या बसौड़ा अष्टमी के नाम से जाना जाता है. ये होली के आठ दिनों बाद आती है. इस बार शीतला अष्टमी 4 अप्रैल को मनाई जाएगी. इस दिन शीतला मां की पूजा की जाती है. शीतला अष्टमी के दिन लोगों के घर चूल्हा नहीं जलता. पूजा के दौरान माता को बासे भोजन का भोग लगाया जाता है, इसी भोजन को लोग प्रसाद के तौर पर खाते हैं. जानिए इसके पीछे की मान्यता और शीतला अष्टमी से जुड़ी खास बातें.

शीतला अष्टमीक के दिन कहीं-कहीं माता को चावल और घी का भोग लगाया जाता है, वहीं कुछ जगहों पर हलवा और पूरी चढ़ाई जाती है. भोग के लिए जो भी चीज बनाई जाती है, उसे सप्तमी के दिन ही तैयार कर लिया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि शीतला माता को ठंडी चीजें पसंद हैं, इसलिए उन्हें ठंडे भोजन का ही भोग लगाया जाता है और प्रसाद के तौर पर लोग भी इस दिन ठंडा भोजन ही खाते हैं.
ये है वैज्ञानिक कारण
वैज्ञानिक पक्ष पर गौर करें तो अब ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से बेशक मौसम का चक्र गड़बड़ हो चुका है, कभी भी सर्दी और गर्मी शुरू हो जाती है, लेकिन पहले के समय में ठंड के मौसम का असर होली तक रहता था. शीतला अष्टमी के दिन से ग्रीष्म काल की शुरुआत हो जाती थी और इस दिन के बाद भोजन खराब होने लगता था. गर्मियों में बासा खाना खाने से बीमारियां घेरने लगती हैं. ऐसे में शीतला अष्टमी के दिन बासा खाना खाकर ये संदेश देने की कोशिश की जाती थी कि आज बासा खाना खाने का आखिरी दिन है. इसके बाद गर्मियों में सिर्फ ताजा खाना ही खाने योग्य होगा
ऐसे करें माता की पूजा
अष्टमी के दिन सुबह स्नान करने के बाद मां शीतला के समक्ष हाथ में फूल, अक्षत, जल और दक्षिणा लें और मन ही मन कहें, श्मम गेहे शीतलारोगजनितोपद्रव प्रशमनपूर्वकायुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धिये शीतलाष्टमी व्रतं करिष्येश्
ये बोलकर व्रत का संकल्प लें. इसके बाद विधि विधान से माता का पूजन करें. उन्हें रोली, फूल, वस्त्र, धूप, दीप, दक्षिणा और बासा भोग अर्पित करें. इसके बाद शीतला स्त्रोत का पाठ करें और आरती करें. पूजा करने के बाद माता का भोग खाकर व्रत खोलें.
ये है शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि शुरू : 4 अप्रैल 2021 को 04ः12 बजे से
अष्टमी तिथि समाप्त : 5 अप्रैल 2021 को 02ः59 बजे तक
शीतला अष्टमी पूजा मुहूर्त : सुबह 06ः08 से शाम 06ः41 तक


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