हार्ट फेल्योर ह्रदय समस्याओं बचाव के लिए जाने ये टिप्स

आज के समय में हर कोई एक भाग दौड़ से भरी बिजी लाइफ को जी रहा है. ऐसे में अगर आप भी अपने दिल का ध्यान नहीं कर रहे हैं

Update: 2022-02-15 12:40 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क |  हार्ट (Heart Problem) से जुड़ी परेशानियां आजकल लोगों में काफी पाई जा रही हैं. हार्ट की समस्या होने के कई कारण भी होते हैं. वर्कआउट ना करना, जंक फूड खाना या फिर ज्यादा टेंशन लेना भी हार्ट की परेशानी का कारण होता है. ऐसे में हार्ट फेल्योर (heart failure) उन कुछ ह्रदय समस्याओं में से एक है, जिसके कारण भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा लोग अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं. अगर हार्ट फेल्योर जैसी स्थिति से बचना है तो फिर हर किसी को अपनी डेली लाइफ रूटीन ( Daily life style) में बदलाव लाने की बहुत जरूरत है. ऐसे में आइए इसके लक्षण और खतरे से आप सभी को रूबरू करवाते हैं.

कैसे दिखाई देते हैं लक्षण
हार्ट फेल्योर जैसी स्थिति से जूझ रहे मरीज को सांस की तकलीफ, अनियमित धड़कन को होना और थकान होना जैसे लक्षण मुख्य रूप से दिखाई देते हैं. हालांकि अगर हार्ट फेल्योर जैसी स्थिति का सही तरीके से और सही समय पर इलाज नहीं किया जाते तो मरीज की स्थिति काफी खराब हो सकती है.
दवा से कम होता है खतरा?
हार्ट से जुड़ी किसी भी तरह की परेशानी होने पर चिकित्सक से ही परामर्श करना चाहिए और प्रापर दवा लेना चाहिए. दवाइयां रोग से संबंधित खतरे को 20 से 30 फीसदी तक कम किया जा सकता है. लेकिन ये भी माना जाता है कि हर एक हार्ट फेल्योर का इलाज नहीं हो सकता है. हम सभी को दवाओं से आगे निकलने की जरूरत है और यही एडवांस हार्ट फेल्योर का उपचार है, जैसे-
1-एंजीयप्लास्टी
2-कोरोनरी आर्टरी बाइपास ग्राफ्ट
3-वॉल्व सर्जरी
4-वॉल्व रिप्लेसमेंट
5-पेसमेकर
लोगों को समझने होंगे तरीके
सबसे ज्यादा जरूरी ये है कि हर डॉक्टर और हर मरीज को हार्ट से जुड़े सभी प्राथमिक तरीकों और उपचार के बारे में सही तरीके से पता होना चाहिए और उन्हें सामने वालो को इसके लिए सकारात्मक रूप में प्रेरित किया जाना चाहिए. हालांकि कभी अगर किसी भी व्यक्ति को अचानक से हार्ट फेल्योर जैसी स्थिति का सामना करना पड़ जाए, तो फिर ये किसी भी तरह का हो सकता है फिर चाहे वो हार्ट अटैक हो या फिर वॉल्व रोग. ऐसे में इसके बारे में लोगों को पहले से ही पूरी और सही जानकारी होना आवश्यक है.
युवा कितनी उम्र से कराएं जांच
कुछ एक्सपर्ट्स की मानें तो देश में डायबिटीज और हार्ट अटैक की दर दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है और उसके साथ ही बढ़ रही है देश में युवा रोगियों की संख्या भी. ऐसे में अगर आपको हार्ट जैसी परेशानी से बचना है तो फिर इसके लिए स्क्रीनिंग को 30 साल की उम्र से शुरू कर देना चाहिए. खासकर अगर परिवार में कोई हार्ट का मरीज रहा है तो फिर उसको तो सालाना स्वास्थ्य जांच करानी चाहिए.


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