जानिए फ़ेस सर्जरी के साइड इफ़ेक्ट
लिक्विड फ़ेस लिफ़्ट प्रक्रिया में बोटॉक्स इंजेक्शन लगाया जाता है,
एक उम्र के बाद आप नोटिस करते हैं कि गालों, ठुड्डी और गर्दन के आसपास की त्वचा ढीली पड़ने लगी है. चेहरे पर झुर्रियां आ रही हैं और त्वचा अपना निखार खा रही है. यह अक्सर 40-50 के बाद होता है, लेकिन त्वचा की ठीक से देखभाल ना करें तो उससे पहले ही त्वचा बेजान नज़र आने लगती है. त्वचा में कसाव लाने के लिए लोग आजकल 'फ़ेस लिफ़्ट' या कॉस्मेटिक सर्जरी को काफ़ी पसंद कर रहे हैं. इसे कराने के बाद त्वचा पर मौजूद हार्श लाइन्स ग़ायब हो जाती हैं और आपकी त्वचा खिल उठती है.
जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, आपकी हड्डियों का घनत्व कम होता जाता है. चेहरे की हड्डियां पतली होती जाती हैं, जिसके कारण आपके चेहरे पर की त्वचा ढीली पड़ने लगती है. आपकी त्वचा के कंपोनेंट जैसे कि कोलेजन और इलास्टिन भी कम होने लगते हैं. फ़ेस लिफ़्ट सर्जरी चेहरे को फिर से आकार देने और त्वचा को निखारने का काम करती है.
इससे पहले कि आप फ़ेस लिफ़्ट सर्जरी कराने के बारे में सोचें, आपको यह सोचना होगा कि, आप इसे जिन कारणों के लिए कराने जा रहे हैं वह सही हैं या नहीं. फ़ेस लिफ़्ट कराने के बाद आप एकदम अलग इंसान नज़र नहीं आएंगे, लेकिन हां आपके चेहरे पर एक अलग निखार देखने को मिलेगा. हालांकि, सबसे सही तरीक़ा तो यह है कि हर किसी को कम उम्र में ही त्वचा की अच्छी देखभाल शुरू कर देनी चाहिए, जिससे 'फ़ेस लिफ़्ट' सर्जरी की ज़रूर ही ना पड़े.
इसे कराने के लिए आपको किन प्रक्रियाओं से गुज़रना पड़ेगा और आपको किस तरह के परिणाम मिल सकते हैं, यह हम आपको आगे इस आर्टिकल में बताएंगे-
लिक्विड फ़ेस लिफ़्ट सर्जरी
लिक्विड फ़ेस लिफ़्ट प्रक्रिया में बोटॉक्स इंजेक्शन लगाया जाता है, जिससे चेहरे पर आई रेखाओं और झुर्रियों को कम करने में मदद मिलती है. इससे चेहरे पर चमक आती है. यह त्वचा को अंदर से भरकर सैगिंग को कम करता है, और चेहरे को भरा-भरा दिखाता है. यह नॉन-इनवेसिव कॉस्मेटिक प्रक्रियाओं के लेटेस्ट ऐंटी-एजिंग ट्रेंड्स में से एक है.
रेडियो फ्रीक्वेंसी (आरएफ़) थैरेपी
त्वचा को कसने का यह एक नॉनसर्जिकल तरीक़ा है. इस प्रक्रिया में आपकी त्वचा की गहरी परत को गर्म करने के लिए ऊर्जा तरंगों का उपयोग किया जाता है, जिसे डर्मिस कहते हैं. यह हीट (गर्मी) कोलेजन के उत्पादन को बढ़ाती है. कोलेजन आपके शरीर में पाया जाने वाल सबसे आम प्रोटीन है. यह आपकी त्वचा की बनावट के लिए ज़रूरी होता है, साथ ही उसे कसाव भी प्रदान करता है. आरएफ़ थैरेपी का मुख्य काम आपकी त्वचा में कसाव लाना और झुर्रियों से छुटकारा दिलाना होता है.
हाई इंटेंसिटी केंद्रित अल्ट्रासाउंड (एचआईएफयू)
त्वचा को कसने के लिए यह अपनी तरह की एक अलग प्रक्रिया है. फ़ेस लिफ़्ट के लिए कुछ लोग बिना दर्द वाली और कम दर्द वाली प्रक्रिया को चुनते हैं, यह उसी में से एक है. इसमें अल्ट्रासाउंड एनर्जी (ऊर्जा) की मदद से कोलेजेन के उत्पादन को बढ़ाया जाता है. कई छोटे क्लीनिकल ट्रायल्स ने एचआईएफयू को चेहरे को जवां करने और झुर्रियों को हटाने के लिए सुरक्षित और प्रभावी पाया है. सर्जरी से जुड़े ख़तरों के बिना ही इस इलाज से कुछ महीनों बाद रिज़ल्ट दिखने लगता है.
थ्रेड लिफ़्ट
थ्रेड लिफ़्ट प्रक्रिया फ़ेस लिफ़्ट सर्जरी का सबसे कम इनवेसिव (कम परेशानी-भरी) विकल्प है. इस सर्जरी में आपके चेहरे में मेडिकल-ग्रेड थ्रेड डालकर आपकी त्वचा को कसने का काम किया जाता है. यह सर्जरी 10 से 12 दिन में ठीक हो जाती है. इसे सबसे कम जोख़िम वाली फ़ेस लिफ़्ट प्रक्रिया भी कहा जाता है, लेकिन इसमें लाली, चोट लगने और सूजन जैसे साइड इफ़ेक्ट भी देखने को मिलते हैं. यह सर्जरी के बाद लगभग तीन साल तक आपको झुर्रियां परेशान नहीं करेंगी.
सर्जरी के बाद की देखभाल और रिकवरी
फ़ेस-लिफ़्ट सर्जरी के बाद आपको अतिरिक्त आराम की ज़रूरत होती है. आपकी कॉस्मेटोलॉजिस्ट आपको सर्जिकल साइटों (जिस जगह सर्जरी की गयी हो) और ड्रेंस की देखभाल करने के लिए जरूरी बातें और जानकारी देते, जिससे आपको रिकवरी में मदद मिलती है. इसके अलावा आप कुछ एहतियात बरत सकते है- जैसे कि सूरज के संपर्क में कम आना, तनाव ना लेना और धूम्रपान व शराब के सेवन से बचाव करना है.
इस तरह की सर्जरी के साइड इफ़ेक्ट क्या-क्या हो सकते हैं?
हालांकि फ़ेस लिफ़्ट सर्जरी आपके लिए कई तरह की परेशानियां भी खड़ी कर सकती हैं, ख़ासकर के तब, जब यह अप्राकृतिक या बहुत स्पष्ट दिखाई देती है. इस तरह की सर्जरी करवाते समय कई प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है और ऐसे में लिए आपको कई बातों का ध्यान रखना ज़रूरी हो जाता है. इसमें ख़ून बहना, चोट लगना, बुख़ार से जुड़ा संक्रमण होना, सर्जरी वाले स्थान के आसपास बालों का झड़ना, सुन्नता महसूस करना और दाग़ पड़ना आदि. अगर को कई दिनों तक इस तरह से महसूस होता है तो डॉक्टर से मदद लें.