वर्क डेस्क पर पौधा रखते हैं तो जानिए फायदे

Update: 2023-05-01 16:58 GMT
पेड़-पौधों को हमारी संस्कृति में हमेशा से ही बहुत महत्व दिया गया है। वास्तु के अनुसार घर और ऑफिस में तुलसी, गुड़हल, बेल, केले, अशोक, नींबू, आंवला, नीम के पौधे लगाना शुभ माना जाता है। इनमें से कई पेड़-पौधों की पूजा तक की जाती है। शायद यह हमें प्रकृति से जोड़ने का एक तरीका है। माना जाता है कि इनसे हमारी मानसिक और शारीरिक परेशानियां दूर होती हैं। अब साइंस भी इस बात को मान रही है।
20 प्रतिशत बढ़ जाती है एकाग्रता
हाल ही में हुए एक शोध के अनुसार अगर आप अपने कमरे या फिर ऑफिस या अपनी वर्क डेस्क पर पौधा रखते हैं तो आपका टेंशन, डिप्रेशन, एंग्जाइटी कम होती है। और आप बेहतर निर्णय ले पाते हैं। याददाश्त भी बढ़ती है। इतना ही नहीं आमतौर पर तनाव के कारण होने वाले मूड स्विंग्स भी आपको परेशान नहीं करते। हाल ही में हुई इस रिसर्च में यह बात सामने आई है कि जो लोग पौधों से घिरे रहते हैं या अपनी टेबल पर कम से कम एक पौधा रखते हैं उनकी एकाग्रता की क्षमता में 20% तक सुधार होता है। इतना ही नहीं उनकी याद करने की क्षमता 15 से 20% बढ़ जाती है। दरअसल, पौधे कार्बन डाइऑक्साइड को कम करके हवा की गुणवत्ता में सुधार करते हैं, इसका सीधा असर हमारे दिमाग पर पड़ता है। इससे शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन का स्तर कम होता है और हमारा दिल व मन दोनों ही खुश रहते हैं।
पौधों का है जादुई असर
रिसर्च के अनुसार पौधों के रंग हमारे दिमाग को सुकून देते हैं, जिससे बुरी यादों को भूलने में मदद मिलती है।
रिसर्च के अनुसार पौधों के रंग हमारे दिमाग को सुकून देते हैं, जिससे बुरी यादों को भूलने में मदद मिलती है। साथ ही साथ यह मस्तिष्क में उत्तेजना जगाता है और आप क्रिएटिव हो पाते हैं। यूके हेल्थ एंड सेफ्टी एग्जीक्यूटिव के दिशानिर्देशों के अनुसार घर और कार्यालयों में कार्बन डाइऑक्साइड कंसंट्रेशन 1,000 पीपीएम (पार्ट पर मिलियन) से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। अगर इसका स्तर ज्यादा होता है तो यह सिरदर्द, थकान और चक्कर का कारण बन सकता है। ऐसे में लोग सही निर्णय नहीं ले पाते। शोध से पता चला है कि पौधे एक घंटे से भी कम समय में कार्बन डाइऑक्साइड कंसंट्रेशन को 2,000 पीपीएम से कम करके लगभग 480 पीपीएम तक कर सकते हैं। ऐसे में इंसान रिलेक्स फील करता है।
ये है चिंता का विषय
पौधे हमारे लिए जरूरी है, लेकिन फिर भी आने वाले समय में हम इनसे दूर हो सकते हैं। विश्व बैंक के मुताबिक साल 2050 तक 10 में से 7 लोगों का गार्डन जाना मुश्किल हो जाएगा, जो सही स्थिति नहीं है। क्योंकि मनुष्य में बायोफीलिया गुण होते हैं, जिसका अर्थ है कि हम प्रकृति और पौधों के साथ संबंध तलाशने के इच्छुक रहते हैं। यही कारण है कि पौधे इंसान में एंडोर्फिन जैसे खुशियों के हार्मोन बढ़ा देते हैं। जिससे हमारा टेंशन कम होता है।
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