जानिए ऑर्गन डोनेशन की प्रक्रिया के बारे में....
भारत में अंगदान पर जागरूकता का न होना एक चिंता का विषय है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारत में अंगदान पर जागरूकता का न होना एक चिंता का विषय है। हमारे देश में ट्रांसप्लांंट्स (प्रत्यारोपण) की जरूरत वाले मरीजों और अंगदान करने वालों के माध्यम से उपलब्ध अंगों की संख्या के बीच एक बड़ा अंतर है जिसकी वजह से देश में लाखों मौतें हर साल होती हैं। ऐसे में बेहद ज़रूरी है कि लोग इस बारे में ज़्यादा जानें और बढ़ चढ़ कर इस प्रक्रिया का हिस्सा बनें। अंगदान करना एक बेहद आसान प्रक्रिया है। इसे करने का फैसला आप या आपके प्रियजन आपके लिए ले सकते हैं।
इस World Organ Donation Day 2022 पर चलिए जानें अंगदान और इसके प्रत्यारोपण से जुड़े विभिन्न पहलुओं और प्रक्रियाओं के बारे में। इन जानकारियों के साथ न सिर्फ खुद बल्कि आस पास के लोगों को भी जागरूक बनाएं ताकि अंगदान के अभाव में होने वाली मौतों की संख्या पर लगाम कसी जा सके।
क्या कहते हैं आंकड़े
भारत में हुए एक सर्वे के मुताबिक, अंग उपलब्ध नहीं होने के कारण लगभग 5,00,000 लोग हर साल मारे जाते हैं। 2,00,000 लोग लिवर की बीमारी के कारण और 50,000 लोग दिल की बीमारी के कारण मरते हैं। और तो और, 1,50,000 लोग किडनी ट्रांसप्लांट के इंतजार में रहते हैं, लेकिन केवल 5,000 को किडनी मिल पाती है। ऐसी स्थिति में अंगदान और उस पर जागरूकता ऐसे कई लोगों की जान बचाने में महत्वपूर्ण ढंग से मदद कर सकती है, जिन्हें तुरंत ट्रांसप्लांट की ज़रुरत है।
जीवन बचा सकती है 'अंग प्रत्यारोपण तकनीक'
अंग प्रत्यारोपण ऐसे लोगों के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज, सिस्टिक फाइब्रोसिस या हार्ट डीफेक्ट जैसी अनुवांशिक अवस्थाओं से पीड़ित हैं। इसके अलावा, हिपेटाइटिस जैसे संक्रमण और डायबिटीज, शारीरिक चोट और दुर्घटनाओं के कारण भी प्रत्यारोपण की जरूरत आ पड़ती है। हालांकि, प्रत्याारोपण की प्रक्रिया अंग के अनुसार अलग-अलग हो सकती है, लेकिन डोनर (अंग का दान करने वाला) और रेसिपियेंट (अंग लेने वाले) का मिलान करने की जरूरत पूरे साल महत्वपूर्ण बनी रहती है।
अंग लेने वाले के लिये प्रत्यारोपण की प्रक्रिया तब शुरू होती है, जब एक काबिल डॉक्टार उसे अंग प्रत्या रोपण की सूची में डालता है। इसके लिये डॉक्टर को मरीज की जांच करने और उसकी ऐसी गंभीर चिकित्सकीय अवस्था का पता लगाने की जरूरत होती है, जो मरीज को प्रत्यारोपण की सूची में आने लायक बनाती है। कुल मिलाकर अंग प्रत्यारोपण की प्रक्रिया पेचीदा तो है क्योंकि इसमें कई डिटेल्स लगते हैं, जैसे कि ब्लड ग्रुप और शरीर के अंग का मूल्यांकन, ताकि डोनर और रेसिपियेंट का मिलान हो सके।
इसके अलावा, अंग के आधार पर दूसरे कारक भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उदाहरण के लिए, किडनी ट्रांसप्लांट में डोनर और उसके रेसिपियेंट के एंटीबॉडीज का अनुकूल होना और उनके शरीरों के आकार समान होना जरूरी है। जब मरीज ट्रांसप्लांट के योग्य होता है और उसके साथ मिलान करने वाला डोनर उपलब्ध होता है, तब सर्जरी की जाती है। जब अंग उपलब्ध होता है, तब ट्रांसप्लांमट की जरूरत वाले मरीज को सर्जन का कॉल आने पर तुरंत प्रतिक्रिया देनी चाहिये। सर्जरी का एक तय अवधि में किया जाना जरूरी होता है (आमतौर पर चार घंटे), क्योंकि प्रत्यारोपित किए जाने वाले अंग शरीर के बाहर लंबे समय तक सही नहीं रह सकते।
कैसे करें अंगदान
भारत में एक ऑर्गन डोनर बनने में मदद के लिए आपको इन बातों का पता होना ज़रूरी है। एम्स (AIIMS) द्वारा जारी की गई अधिसूचना के अनुसार, कोई भी व्यक्ति दो तरीकों से डोनर बन सकता है। पहला, जब व्यक्ति जीवित रहते हुए ही अपने अंगदान करने का संकल्प लेता है और दूसरा, जब उसकी मौत के बाद उसका परिवार उसके अंगों को दान करने का फैसला लेता है।
आप भी डोनर बनना चाहती हैं तो स्टेप बाय स्टेप पूरी करें प्रक्रिया
1 डोनर फॉर्म डाउनलोड करें
आधिकारिक वेबसाइट से डोनर फॉर्म डाउनलोड करें। यह मुफ्त होता है और इसमें कोई खर्च नहीं लगता है। आपको ऑर्गन डोनर बनने की अनुमति देने वाली कुछ वेबसाइट्स हैं। नेशनल ऑर्गन एण्ड टिश्यूड ट्रांसप्लांट (NOTTO), रीजनल ऑर्गन एण्ड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (ROTTO), सेठ जीएस मेडिकल कॉलेज की वेबसाइट्स, मुंबई के केईएम हॉस्पिटल, ओमनादुरार, चेन्नई के गवर्नमेंट मल्टी स्पेेशियल्टी हॉस्पिटल, कोलकाता के इंस्टिट्यूट ऑफ पीजी मेडिकल एज्युकेशन एण्ड रिसर्च और असम के गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज, आदि द्वारा यह सुविधा दी जाती है।
2 ऑर्गन/ बॉडी डोनेशन फॉर्म भरें
फॉर्म डाउनलोड करने के बाद "Organ/Body Donation" (अंग/शरीर दान) फॉर्म भरें। इसके बाद आपको डोनर फॉर्म पर दो गवाहों के हस्ताक्षर कराने होंगे, जिनमें से एक आपका करीबी रिश्तेदार होना चाहिए।
3 पाएं डोनर कार्ड
आपका अनुरोध स्वीकार होने के बाद एक रजिस्ट्रेशन नंबर के साथ डोनर कार्ड आपके आधिकारिक पते पर भेजा जाएगा। डोनर बनने के फैसले के बारे मेंअपने परिजनों और मित्रों को ज़रूर बताएं।
4 अपंजीकृत दान भी है विकल्प
अस्पताल अपंजीकृत दान भी स्वीेकार करता है, यदि व्यक्ति डोनर बनने के लिये साइन अप किए बिना मर जाए। इस मामले में परिवार का एक सदस्य मरे हुए व्यक्ति के अंगों का दान करने का फैसला एक सहमति-प्रपत्र (कंसेन्ट फॉर्म) पर हस्ताक्षर करके ले सकता है।