वजन नहीं घटा पा रहे हैं तो हो सकता है क्रोनिक स्ट्रेस

आज के समय में तनाव कई बीमारियों का कारण बनता जा रहा है। बढ़ता वजन का एक कारण बढ़ता स्ट्रेस भी हो सकता है

Update: 2022-07-06 07:42 GMT

आज के समय में तनाव कई बीमारियों का कारण बनता जा रहा है। बढ़ता वजन का एक कारण बढ़ता स्ट्रेस भी हो सकता है। लोग वजन कम करने के लिए कई योग, एक्सरसाइज, इंटरमिटेंट फास्टिंग का सहारा लेते हैं। लेकिन कई न कई तनाव भी बढ़ते वजन का एक कारण हो सकता है। तनाव के कारण शरीर की ऊर्जा दूसरी जगहों से हटकर तनावभरी स्थिति में लग जाती है। ज्यादा तनाव के कारण आप क्रोनिक स्ट्रेस का शिकार भी हो सकते हैं। आप सोच रहे होंगे की क्रोनिक स्ट्रेस होता क्या है? और यह कैसे होता है? तो चलिए आपको बताते हैं कि इसके बारे में...

क्या होता है क्रोनिक स्ट्रेस?
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, स्ट्रेस एक मनोवैज्ञानिक और शारीरिक प्रतिक्रिया है जो कि असामान्य और मुश्किल परिस्थितियों में नजर आती हैं। अगर साफ शब्दों में कहें तो तनाव और स्ट्रेस होने के कारण आपकी रोजमर्रा की घटनाएं हो सकती हैं। यदि आप ज्यादा स्ट्रेस लेते हैं तो इसका असर आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर भी पड़ सकता है। आपको डायबिटीज, हृदय संबंधी समस्याएं, अल्सर, मानसिक बीमारियां जैसी एंग्जाएटी और डिप्रेशन भी हो सकता है।
स्ट्रेस से हो सकता है पैरलाइज
कुछ मात्रा में स्ट्रेस अच्छा होती है, क्लिनिकल भाषा में इसे पॉजिटिव स्ट्रेस कहते हैं। ये आपको आगे बढ़ने में भी मदद करता है, लेकिन जब यही स्ट्रेस आपके सोचने की शक्ति कम कर देता है, आपको पैरालाइज कर देता है तो यह नेगेटिव स्ट्रेस हो जाता है। नेगेटिव स्ट्रेस की प्रतिक्रिया दिमाग से आती है। दिमाग में हाइपोथेलमस नाम का एक सेंटर होता है, जो कई शारीरिक गतिविधियों और भावनाओं को नियंत्रित करता है। ये ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम का भी सेंटर होता है। ऐसे में तनाव जब भी होता है तो यह आपको तीन तरह से प्रभावित करता है। जिनमें एंग्जायटी, शारीरिक और भावनात्मक लक्षण शामिल होत हैं। एंगजायटी के कारण व्यक्ति बैचेन रहता है, ध्यान भी एक जगह नियंत्रित नहीं रह पाता। कई बार ऐसा भी लगता है कि दिमाग सुन्न हो गया है और कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है।
कैसे लेता है आपको गिरफ्त में?
क्रोनिक स्ट्रेस आपके शरीर को नेगेटिव प्रभाव से नियंत्रित कर सकता है। इसके परिणाम भी बहुत ही गंभीर हो सकते हैं। ज्यादा तनाव के कारण इरटेब बाउल सिंड्रोम की समस्या भी होने लगती है। क्रोनिक स्ट्रेस में फाकी साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर का सामना करना पड़ सकता है। इसमें आपके जहन का असर शरीर में होने लगता है, जिसमें से एक समस्या इरिटेबल बाउल सिंड्रोम और दूसरा एसिडिटी और गैसइट्रिस की समस्या भी हो सकती है।
ऐसे दूर करें स्ट्रेस
लक्ष्य निर्धारित करें
तनाव कम करने के लिए आप एक लक्ष्य निर्धारित करें। उसके अंतर्गत आप अपने काम करें। यदि आप वजन कम करना चाहते हैं तो अपनी डाइट पर ध्यान दें। इसके अलावा ज्यादा तनाव से भी दूर रहें।
धीरे-धीरे लाएं बदलाव
आप अपने आप में धीरे-धीरे बदलाव लाने का प्रयास करें। एक दिन से शुरुआत करें और धीरे-धीरे सारे हफ्तों और दो हफ्ते में चीजें बदलने का प्रयास करें।
महसूस करें
दो हफ्ते के बाद अपने आप में बदलाव देखें। क्या आपने कम तनाव लेना शुरु किया? ऐसे ही धीरे-धीरे तनाव कम करना शुरु करें।
आराम पर दें ध्यान
ज्यादा हैवी वर्कआउट करने के अलावा आप आराम और रिकवरी जैसी गतिविधियों पर ज्यादा ध्यान दें। तनाव कम करने के लिए आप आराम भी जरुर करें।
मेडिटेट करें
आप मेडिटेशन भी कर सकते हैं। मेडिटेशन आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करता है। इसके अलावा आपको नींद भी बहुत अच्छी आती है, जिससे आप काफी रिलैक्स महसूस करेंगे।


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