वर्तमान समय में दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ता ही जा रहा हैं जहां हार्ट अटैक से मरने वालों का आंकड़ा कम होने का नाम ही नहीं ले रहा हैं। जहां एक समय में बुजुर्गों को इस बीमारी का खतरा था, वहीँ अब युवाओं में भी इससे मौत होना आम बात हो गई हैं। हृदय रोगों पर अगर समय रहते ध्यान न दिया जाए तो गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक हार्ट अटैक के पहले शरीर में कई प्रकार के बदलाव देखने को मिलते हैं जिन्हें जान लिया जाए तो समय रहते हार्ट अटैक से बचाव किया जा सकता है। आज इस कड़ी में हम आपको उन लक्षणों के बारे में बताने जा रहे हैं जो हार्ट अटैक का संकेत देते हैं। आइये जानते हैं इनके बारे में...
सीने में बेचैनी या असहजता
हार्ट अटैक की स्थिति में छाती में असहजता महसूस होने की स्थिति को सबसे सामान्य संकेत के तौर पर देखा जाता है। छाती में लगातार दबाव बना रहना, दर्द होना या ऐंठन महसूस होना हार्ट अटैक की तरफ संकेत माना जाता है। इस तरह के समस्या मुख्यत: बाईं तरफ होती है, दर्द कुछ स्थितियों में काफी तेज भी हो सकता है। अगर आपको अक्सर छाती में असहजता का अनुभव होता रहता है तो इस बारे में किसी विशेषज्ञ की सलाह जरूर ले लें।
चक्कर आना
जब आपका दिल कमजोर हो जाता है, तो उसके द्वारा होने वाला रक्त का संचार भी सीमित हो जाता है। ऐसे में दिमाग तक आवश्यकता के अनुसार ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती, जिससे निरंतर चक्कर आना या सिर हल्का होना जैसी समस्याएं होने लगती हैं। यह हार्ट अटैक के लिए जिम्मेदार एक गंभीर लक्षण है, जिस पर आपको तुरंत ध्यान देना चाहिए।
आंखों के आसपास कोलेस्ट्रॉल जमा होना
अगर आंखों और पलकों के आसपास कोलेस्ट्रॉल जमा होने लगे तो यह भी दिल की बीमारी का संकेत हो सकता है। मेडिकल भाषा में इसे Xanthelasma कहते हैं। यह खून मे असामान्य लिपिड स्तर से जुड़ा होता है, जिसे डिस्लिपिडेमिया कहते हैं। डिस्लिपिडेमिया से धमनियों की दीवारों पर कोलेस्ट्रॉल के निर्माण का खतरा अधिक रहता है। इससे हृदय, मस्तिष्क और शरीर के अन्य अंगों में रक्त का प्रवाह प्रतिबंधित हो सकता है। जिससे स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ सकता हैं।
थकान
बगैर किसी मेहनत या काम के थकान होना भी हार्ट अटैक की दस्तक हो सकती है। जब हृदय धमनियां कोलेस्ट्रॉल के कारण बंद या संकुचित हो जाती हैं, तब दिल को अधिक मेहनत करने की आवश्यकता होती है, जिससे जल्द ही थकान महसूस होने लगती है। ऐसी स्थिति में कई बार रात में अच्छी खासी नींद लेने के बाद भी आप आलस और थकान का अनुभव करते हैं, और आपको दिन में भी नींद या आराम की जरुरत महसूस होती है।
शरीर के हिस्सों में दर्द की समस्या
छाती के अलावा हार्ट अटैक की स्थिति में शरीर के अन्य हिस्सों में भी कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं, जिनपर भी सभी लोगों को ध्यान देते रहना आवश्यक हो जाता है। एक या दोनों हाथों, पीठ, गर्दन, जबड़े में दर्द और असहजता का अनुभव भी हृदय की समस्याओं का संकेत माना जाता है। इन लक्षणों को अनदेखा करने की गलती न करें। हार्ट अटैक एक जानलेवा स्थिति है, ऐसे में इसके लक्षणों की गंभीरता पर ध्यान देना बहुत आवश्यक हो जाता है।
गंजापन
घटती हेयरलाइन और सिर में गंजेपन ह्रदय रोग का संकेत हो सकता है। खासतौर पर हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल से ग्रस्त लोगों में गंजापन दिल की बीमारी के जोखिम का कारक हो सकता है। एक शोध के अनुसार, हाई कोलेस्ट्रॉल और सिर में गंजापन वाले पुरुषों में हाई कोलेस्ट्रॉल वाले पुरुषों की तुलना में हृदय रोग का जोखिम लगभग तीन गुना बढ़ गया था।
सर्दी का बना रहना
लंबे समय तक सर्दी या इससे संबंधित लक्षणों का बना रहना भी दिल के दौरे की ओर इशारा करता है। जब दिल, शरीर के आंतरिक अंगों में रक्तसंचार के लिए ज्यादा मेहनत करता है, तब रक्त के फेफड़ों में स्त्रावित होने की संभावना बढ़ जाती है। सर्दी में कफ के साथ सफेद या गुलाबी रंग का बलगम, फेफड़ों में स्त्रावित होने वाले रक्त के कारण हो सकता है।
सांसों की समस्या
हृदय रोगों, विशेषकर हार्ट अटैक की स्थिति में सांसों से संबंधित दिक्कतों का अनुभव होना भी काफी सामान्य माना जाता है। यदि आपको अक्सर सीने में तकलीफ के साथ या सांस लेने में कठिनाई का एहसास होता रहता है, तो इन लक्षणों को बिल्कुल अनदेखा न करें। ऐसी समस्याएं हार्ट अटैक का संकेत हो सकती है। लगातार बनी रहने वाली इन दिक्कतों के बारे में किसी विशेषज्ञ से सलाह ले लें, ताकि हार्ट अटैक के संभावित खतरे को रोका जा सके।
ईयरलोब क्रीज
ईयरलोब क्रीज भी उम्र बढ़ने और कोरोनरी हार्ट डिजीज से जुड़ा होता है। ईयरलोब में दरारें उन लोगों में ज्यादा देखने को मिलती हैं जिनमें हार्ट अटैक के लक्षण दिख रहे हों। एक शोध के अनुसार, पुरुषों और महिलाओं में ईयरलोब क्रीज और मृत्यु के हृदय संबंधी कारणों के बीच एक मजबूत संबंध पाया गया।
सूजन
जब दिल को शरीर के सभी आंतरिक अंगों में रक्त पहुंचाने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है, तो शिराएं फूल जाती हैं और उनमें सूजन आने की संभावना बढ़ जाती है। इसका असर खास तौर से पैर के पंजे, टखने और अन्य हिस्से में सूजन के रूप में नजर आने लगता है। इसके कभी-कभी होंठों की सतह पर नीला होना भी इसमें शामिल है।