गुस्से की वजह को पहचानें और अपने लाइफस्टाइल में ये कुछ बदलाव करें

रोजमर्रा की किसी ना किसी बात पर हमें एक दिन में ना जाने कितनी बार गुस्सा आ जाता है.

Update: 2022-01-23 02:30 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आजकल के लाइफस्टाइल में स्ट्रेस और चिंता (stress and anxiety) से ज्यादातर लोग घिरे हैं. रोजमर्रा की किसी ना किसी बात पर हमें एक दिन में ना जाने कितनी बार गुस्सा (Anger) आ जाता है. कई लोग अपने गुस्से को प्रदर्शित कर देते हैं, लेकिन कुछ लोग उसे अपने अंदर ही रख लेते हैं, वैसे तो गुस्सा हर स्थिति में खतरनाक है. लेकिन मन में रखना ज्यादा रिस्की है. क्योंकि व्यक्ति बार-बार उसी बारे में सोचता रहता है. इससे हाई ब्लड प्रेशर और स्ट्रेस से जुड़ी कई बीमारियों का खतरा बना रहता है. दैनिक भास्कर अखबार में छपी न्यूज रिपोर्ट में दिल्ली के मैक्स इंस्टीट्यूट ऑफ हार्ट एंड वैस्कुलर साइंसेज (Max Institute of Heart and Vascular Sciences) के डॉ रजनीश मल्होत्रा(Dr Rajneesh Malhotra) ने एंगर मैनेजमेंट के कुछ टिप्स दिए हैं. डॉ रजनीश का कहना है कि गुस्से की वजह को पहचानें और अपने लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करें.

इस रिपोर्ट में लिखा है कि गुस्सा किसी व्यक्ति की भावना, विचार और व्यवहार का नतीजा है. इससे बॉडी में टेंशन बढ़ती है. जिससे एड्रिनल ग्रंथि (adrenal gland) बड़ी मात्रा में स्ट्रेस हार्मोन जैसे कि एड्रेनालाइन (adrenaline) और कार्टिसोल (cortisol) की मात्रा बढ़ा देती है. इस सिचुएशन से निपटने के लिए ब्रेन ब्लड को आंतो से मसल्स की ओर भेज देता है, जिससे हार्ट रेट, ब्लड प्रेशर और सांसों की गति बढ़ जाती है.
गुस्से की वजह से स्ट्रेस हार्मोन (stress hormones) के लगातार बढ़े रहने के चलते हार्ट अटैक (heart attack), स्ट्रोक (stroke), हाई ब्लड प्रेशर (high blood pressure), सिरदर्द (Headache), इंसोम्निया (insomnia), एंग्जायटी (Anxiety) का खतरा बढ़ाता है. इतना ही नहीं भोजन नींद और लाइफस्टाइल का इस पर सीधा असर है. कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में हुई स्टडी के अनुसार ट्रांस फैटी एसिड वाले पदार्थों जैसे, पिज्जा, केक, तला हुआ भोजन आदि के सेवन से ब्रेन ओमेगा-3 का उपयोग कम कर पाता है. ओमेगा-3 गुस्से को कम करने में कारगर है.
गुस्से की पहचान और उसे कंट्रोल करने के 3 कदम
ट्रिगर
कई ऐसी परिस्थितियां या घटनाएं होती हैं जो गुस्सा बढ़ा सकती हैं. जैसे लंबी लाइन, ट्रैफिक, भद्दे कमेंट्स या फिर अधिक थकावट आदि. इन्हें ट्रिगर कहते हैं. जितने अधिक ट्रिगर (Trigger) आप पहचान पाएंगे गुस्सा नियंत्रित करने में उतनी आसनी होगी.
संकेत
गुस्से का शरीर पर सीधा प्रभाव पड़ता है. गुस्से के दौरान हार्ट स्पीड बढ़ जाती है. चेहरा लाल हो जाता है. कुछ लोगों की मुट्ठी बंध जाती है. आंखे लाल होने लगती है. इन शारीरिक परिवर्तनों पर नजर रखें.
संबंध
हावर्ड इंस्टीट्यूट के अनुसार जब भी किसी प्रियजन या मित्र से बहस हो तो बार-बार उस व्यक्ति से अपने संबंधों के महत्व के बारे में सोचना शुरू कर दें. जब आप संबंधों को महत्व देंगे तो गुस्से को नियंत्रित करना आसान होगा.
नींद और व्यायाम से कैसे होगा फायदा?
कम नींद बढ़ाती है गुस्सा
जर्नल ऑफ एक्सपेरिमेंटल साइकोलॉजी के अनुसार यदि 2 दिन भी दो घंटे कम नींद ली जाए तो व्यक्ति का गुस्सा बढ़ने लगता है. अपर्याप्त नींद से एंग्जायटी, थकान, तनाव और दुख भी भावना बढ़ती है, जिससे गुस्सा बढ़ता है. लगातार तनाव की स्थिति से कॉर्टिसोल हार्मोन बढ़ने लगता है. ये ब्लड प्रेशर बढ़ाता है, जो गुस्से का प्रमुख कारण है. ऐसे में रोजाना 7 से 8 घंटे की नींद जरूरी है.
एक्सरसाइज से होता है फायदा
अमेरिकन कॉलेज ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन के अनुसार 30 मिनट रनिंग, तेज वॉक, साइकिलिंग और स्विमिंग जैसी एक्सरसाइज गुस्से को कम करने में कारगर है. दरअसल, एरोबिक्स एक्सरसाइज के लिए अधिक ऑक्सीजन की जरूरत होती है. ये हार्ट रेट बढ़ाती है, जिससे पल्मोनरी सिस्टम तेजी से काम करता है. इससे ब्लड प्रेशर और एंग्जायटी घटती है, ये दोनों ही गुस्से के लिए जिम्मेदार कारक हैं


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