कैसे जानें कि तकिया बदलने का वक़्त आ गया है

Update: 2023-05-03 16:55 GMT
अलग-अलग शेप और साइज़ के तकियों का इस्तेमाल होम डेकोर में ख़ूब होता है. लेकिन तकिए का असल काम तो गर्दन, कमर इत्यादि को सपोर्ट देना है. सोते वक़्त आयाताकार तकिए का इस्तेमाल हम अपनी गर्दन को सपोर्ट देने और शरीर के पॉश्चर को सही बनाए रखने के लिए करते हैं. यदि आप हर सुबह उठते साथ ही थका महसूस करने लगते हैं, तो कहीं इसके पीछे की वजह आपका तकिया तो नहीं. जी हां, ख़राब गुणवत्ता वाला या बहुत पुराना तकिया इस्तेमाल करने से भी आपकी मांसपेशियों में दर्द उठ सकता है. इसलिए हम आपको तीन संकेत बता रहे हैं, जिससे आप जान सकते हैं कि आपके तकिए को बदलने का वक़्त आ गया है.
शेप जांचें
यदि आपके तकिए में गांठें पड़ गई हों. या उसके अंदर भरा गया मटेरियल एक ओर आ जाता हो, तो समझ जाएं कि उसे बदलने का वक़्त आ गया है. यदि आपको हर बार तकिए को इस्तेमाल करने से पहले उसे हाथ से शेप देना पड़ता हो या पंच करके दुरुस्त करना पड़ता हो, तो जान लें कि आपका तकिया ख़राब हो चुका है. तकिए का शेप जैसे ही बिगड़ने लगे, उसे बदल दें, क्योंकि यह हमारे शरीर की सेहत के लिए उपयुक्त नहीं होता.
उम्र जांचें
एक तकिए की सामान्य उम्र 18 से 24 महीने होती है. हर दिन के इस्तेमाल से तकिए ख़राब होने लगते हैं, हर दो साल में अपना तकिया ज़रूर बदलें.
तकिया टेस्ट
तकिए को बीचोंबीच मोड़ें और 30 सेकेंड्स तक दबाए रखें. फिर छोड़ दें. यदि तकिया दोबारा अपना शेप नहीं लेता, तो समझ जाएं कि अब यह तकिया आपके काम का नहीं. यह आपकी गर्दन को आवश्यक सपोर्ट नहीं दे सकता. आपको नया तकिया ख़रीदने की ज़रूरत है.
फ्रिज के नीचे की जगह और ऊपर की सतह
अक्सर हम फ्रिज के निचले हिस्से को साफ़ करना भूल जाते हैं. जबकि फ्रिज से सामान निकालते हुए कुछ न कुछ गिरता ही रहता है. फ्रिज का निचला हिस्सा और उसके नीचे के फ़र्श दोनों पर ही खाने-पीने की चीज़ें इकट्ठा होती रहती हैं, जिसकी ओर हमारा ध्यान कम ही जाता है. जिससे कॉकरोच और अन्य कीड़े-मकौड़ों के पनपने की संभावना बढ़ जाती है. इसलिए सप्ताह में कम से कम एक बार डिसइन्फ़ेक्टेंट क्लीनर से फ्रिज के निचले हिस्से और उसके नीचे के फ़र्श को ज़रूर साफ़ करें. वहीं फ्रिज के ऊपरी सतह के ऊंचाई पर होने की वजह से यह साफ़-सफ़ाई करते वक़्त इग्नोर हो जाता है. इसे भी हर 15 दिन में ज़रूर साफ़ करें. सबसे बेहतर तरीक़ा होगा कि फ्रिज के ऊपर कॉटन का कोई कपड़ा बिछा दें और इस कपड़े को हर 20-25 दिन में धो लें.
गैस स्टोव के नीचे का हिस्सा
गैस स्टोव को तो हम खाना बनाने के तुरंत बाद साफ़ करने की कोशिश करते हैं. और गैस टॉप तो अक्सर ही साफ़ रहता है, लेकिन इसके नीचे के हिस्से का ख़्याल हमें कम ही आता है. गैस स्टोव को हर 15 दिन में धीरे से उठाकर साफ़ करें. नीचे के हिस्से को किचन वाइप्स या माइक्रो फ़ाइबर कपड़े से पोछना न भूलें. ध्यान रहे कि आप हर दिन गैस स्टोव पर पानी डालकर उसे धोएं नहीं, इससे गैस स्टोव के जल्दी ख़राब होने की संभावना रहती है और बर्नर में भी पानी भर सकता है. गीले कपड़े से गैस स्टोव के ऊपर और नीचे के हिस्से को साफ़ कर लें.
kitchen
एक्स्ट्रैक्टर/एग्ज़ॉस्ट फ़ैन
किचन का एग्ज़ॉस्ट फ़ैन और चिमनी बड़े काम की चीज़ है. छौंक लगाते वक़्त, मसाला भुनते वक़्त, कुछ तलते वक़्त धुएं, झार से बचाने में इनकी बड़ी भूमिका होती है. इसलिए इन पर ढेर सारी चिपचिपाहट और धूल भी जम जाती है. और अक्सर हम ‌पूरे किचन को तो साफ़ करते हैं, लेकिन इन फ़ैन्स और चिमनी की जाली को अच्छी तरह साफ़ करना भूल जाते हैं. महीने में एक बार इन्हें ज़रूर साफ़ करें. बेकिंग सोडा, विनेगर और डिश वॉशिंग लिक्विड को मिलाकर एक सलूशन बना लें और गर्म पानी में इस सलूशन को मिलाकर इससे इन्हें अच्छी तरह साफ़ करें. वर्ना इन पर जमी धूल और चिपचिपाहट स्थाई जगह बना लेगी.‌ जिसकी वजह से ये धीरे-धीरे काम करना बंद कर देंगे.
किचन सिंक के ‌नीचे का हिस्सा
किचन सिंक को हम चमकाने में कोई कसर नहीं छोड़ते, लेकिन उसके निचले हिस्से को एकदम से भूल जाते हैं. जहां मकड़ी के जाले, धूल और चिपचिपाहट बैठने लगती है. गंदगी के इकट्ठा होने की वजह से कई बार कॉकरोच के छिपने के लिए अच्छा ठिकाना बन जाते हैं. इसलिए हर 15-20 दिन में एक बार पहले डस्टिंग ब्रश से इसे साफ़ कर लें और फिर ज़रूरत होने पर डिसइन्फ़ेक्टेंट क्लीनर स्प्रे करके साफ़ कपड़े से पोंछ लें. हर छह महीने में इन्हें ‌डिश वॉशर से स्क्रब करके साफ़ करना न भूलें.
शेल्फ़ की छत
किचन कैबिनेट्स से लेकर ड्रॉवर्स तक को हम अक्सर साफ़ करते रहते हैं, क्योंकि यह हमारी क्लीनिंग रूटीन का हिस्सा होते हैं. लेकिन इनकी छत को हम नज़रअंदाज़ कर जाते हैं. जिनके कोनों में अक्सर मकड़ी जाला बनाना शुरू कर देती है. इसलिए शेल्फ़ या ड्रॉवर्स की सफ़ाई के वक़्त एक हाथ ऊपरी हिस्से यानी कि शेल्फ़ व ड्रॉवर्स की छत पर भी ज़रूर मारें.
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