एंडोमेट्रियोसिस गर्भधारण में कैसे बाधा बनती है ये समस्या जाने इलाज

एंडोमेट्रियोसिस एक ऐसी समस्या है जो महिलाओं की प्रजनन क्षमता को प्रभावित करती है

Update: 2022-01-15 09:24 GMT

  जनता से रिश्ता वेबडेस्क |  महिला के गर्भाशय के अस्तर को एंडोमेट्रियम (Endometrium) कहा जाता है. ये एक लाइनिंग होती है जो गर्भाशय की अंदर होती है, लेकिन कभी कभी गर्भाशय की लाइनिंग बनाने वाले टिश्यू गर्भाशय के बाहर भी विकसित होने लगते हैं, कई बार तो ये अंडाशय और अन्य प्रजनन अंगों तक फैल जाते हैं. इस स्थिति को एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis) कहा जाता है. इसके कारण महिलाओं को पीरियड्स (Periods) के दौरान अत्यधिक ब्लीडिंग और दर्द के अलावा तमाम तकलीफों का सामना करना पड़ता है. कई बार तो ये समस्या आपके मां बनने की कोशिशों पर पानी फेर सकती है. एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित लगभग एक तिहाई महिलाओं को गर्भधारण करने में मुश्किलों का भी सामना करना पड़ता है. यहां जानिए इस समस्या से जुड़ी खास बातें.

एंडोमेट्रियोसिस संभावित कारण
– हिस्टेरोक्टॉमी, सी-सेक्शन जैसी सर्जरी के बाद घाव में एंडोमेट्रियल नसों का जुड़ना.
– ब्लड सेल्स, एंडोमेट्रियल नसों का शरीर के अंदर अन्य भागों में फैलना.
– एंडोमेट्रियल टिश्यू की परत टूटने से ब्लीडिंग होना.
– इसके अलावा पीरियड्स के समय ली जाने वाली कुछ दवाएं भी इसका कारण बन सकती है.
ये लक्षण आते सामने
– पेल्विक हिस्‍से में दर्द होना
– पीरियड्स से पहले और दौरान पेट के निचले हिस्‍से में दर्द होना
– पीरियड्स के एक या दो हफ्ते के आसपास ऐंठन महसूस होना
– मासिक धर्म के दौरान कभी भी कमर के निचले हिस्‍से में दर्द होना
– पीरियड्स के दौरान ज्यादा ब्‍लीडिंग होना
– थकान, मितली और एनर्जी की कमी
– इन्फर्टिलिटी की समस्या
ऐसे करती है प्रजनन क्षमता को प्रभावित
एंडोमेट्रियोसिस के कारण फैलोपियन ट्यूबों और अंडाशयों और अंडे की गुणवत्ता में कमी हो सकती है. इसके कारण प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है. एंडोमेट्रियोसिस ट्यूब में रुकावट पैदा कर सकती है और अंडे और स्‍पर्म को एकसाथ जोड़कर रख सकती है. ऐसे में विशेषज्ञ ज्यादातर सलाह देते हैं कि एंडोमेट्रियोसिस से ग्रसित महिलाओं को जल्द से जल्द गर्भधारण की प्लानिंग कर लेनी चाहिए क्योंकि समय के साथ इसकी स्थिति और भी खराब हो जाती है.
एंडोमेट्रियोसिस का इलाज
इस समस्या का कोई सटीक इलाज नहीं है. ज्यादातर विशेषज्ञ इस समस्या को दवा या सर्जरी के जरिए नियंत्रित करते हैं. कभी-कभी गर्म पानी से नहाने, पेट की गर्म सिकाई या नियमित व्‍यायाम से भी इस समस्या में आराम मिलता है. मोटे-सॉफ्ट बिस्तर का उपयोग कम करें क्योंकि कुछ रिसर्च बताती हैं कि मोटे और सॉफ्ट बिस्तर का इस्तेमाल करने वाली महिलाओं में ये समस्या होने का रिस्क ज्यादा होता है. डॉक्टर के निर्देशों का पालन करें.


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