जी नहीं, हमारा इरादा आपको किसी जगह जाने से रोकना नहीं है, हम तो बस सैलानियों के बीच मशहूर और भीड़ से भरी जगहों के उतने ही शानदार विकल्प बता रहे हैं, जहां अब तक घुमक्कड़ों की फ़ौज नहीं पहुंची है. अगली बार छुट्टियों में उन जगहों का रुख़ करें, जो धीरे-धीरे पर्यटन के नक्शे पर अपनी जगह बना रही हैं और सुखद आश्चर्य के लिए तैयार रहें
जाएं: उत्तरी सिक्किम
पश्चिमी सिक्किम की जगह
सुगम और भीड़भरे पेलिंग और कालिम्पोंग जैसे पश्चिमी सिक्किम के हिल स्टेशन्स के चाय बागानों की ओर जाने के बजाय रुख़ करें उत्तरी सिक्किम का. राह में रोडोडेंड्रॉन (बुरांस नामक मध्यम आकार का वृक्ष, जिसपर फूल लगते हैं) के चटक रंगों के फूल आपका स्वागत करेंगे. साथ ही दूर-दूर तक बर्फ़ से ढंके काले पहाड़ आपको ब्लैक फ़ॉरेस्ट केक जैसे लग सकते हैं.
सिक्किम में आपका पहला ठिकाना ज़ाहिर है गंगटोक ही होगा. आप सिक्स-पॉइंट डे टूर का चुनाव करें, जिसके लिए आपको रु. 1,200 चुकाने होंगे. इसके तहत आपको छह पॉइंट्स दिखाए जाएंगे साथ ही रूमटेक और एन्चे मठ भी दिखाए जाएंगे. अगले दो दिनों तक आप ख़ुद को तेज़ हवाओं वाली सड़कों के सफ़र के लिए तैयार करें, क्योंकि धीरे-धीरे आप ऊंचाई पर पहुंच रहे होंगे. पहले दिन आप ड्राइव करते हुए लाचुन्ग* (8,800 फ़ीट की ऊंचाई पर) पहुंचेंगे, जहां से तीस्ता नदी की घुमावदार धारा को स्पष्ट देख सकेंगे. लाचुन्ग से 25 किलोमीटर आगे है यूमथांग घाटी*, जो फूलों से लकदक है. यूमथांग में आपको रोडोडेंड्रॉन सहित 100 से अधिक प्रकार की ऑर्किड की प्रजातियां पाई जाती हैं. यह घाटी रंगबिरंगे फूलों से गुलज़ार है. रात को आप लाचेन* (9,800 फ़ीट की ऊंचाई पर) में ठहर सकते हैं. यहां होमस्टे के विकल्प हैं. यहां ठहरना ज़रूरी है, क्योंकि यहां रुककर आप अपने शरीर को और ऊंचाई पर जाने के लिए तैयार करते हैं. वहां से आगे बढ़ते हुए अगली सुबह आप गुरुडांगमार झील पहुंचें. यह दुनिया की सबसे ऊंचाई पर स्थिति झीलों में एक है. यह 17,800 फ़ीट या 5,430 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. हरे रंग की यह झील बौद्ध और सिख दोनों धर्मों के अनुयाइयों में पवित्र मानी जाती है. यह झील चीनी सीमा से महज़ 5 किलोमीटर दक्षिण में है, जिसके चलते इसके आसपास आपको भारतीय सेना का भारी जमावड़ा देखने को मिलेगा. वे आपको रास्ते में रोक कर यह जांच कर सकते हैं कि क्या आप इतनी ऊंचाई पर आने के लिए मेडिकली फ़िट हैं. इतनी ऊंचाई पर
ऑक्सीजन के स्तर में तेज़ गिरावट देखने मिलती है. सैलानियों को झील के पास अधिकतम आधा घंटा ही रुकने दिया जाता है. यानी हम कह सकते हैं-गुरुडांगमार झील के किनारे आधा घंटा बिताने के लिए आपको दो दिन की यात्रा करनी होती है. क्या इतनी मेहनत जायज़ है? हम कहेंगे बिल्कुल!
यदि गुरुडांगमार झील तक पहुंचने के लिए देहाती सड़कों पर की जानेवाली दो दिनों की यात्रा झेलने के लिए आपकी पीठ तैयार न हो तो आप त्सोंम्गो* (चंगू) झील हो आएं. यह गंगटोक से क़रीब 40 किलोमीटर दूर है.
* यहां बताई गई कुछ जगहों तक जाने के लिए आपको परमिट की ज़रूरत हो सकती है.