औषधि है अदरक, कई बीमारियों से करता है बचाव

भारतीय खानपान में अदरक का महत्व ऐसा ही है, जैसे वाहन के लिए ईंधन का. हर घर की रसोई में अदरक जरूर होगा और जो लोग अदरक से कुछ परहेज रखते हैं

Update: 2022-08-23 12:51 GMT

भारतीय खानपान में अदरक का महत्व ऐसा ही है, जैसे वाहन के लिए ईंधन का. हर घर की रसोई में अदरक जरूर होगा और जो लोग अदरक से कुछ परहेज रखते हैं, वे सूखी अदरक (सौंठ) का प्रयोग करते हुए मिल जाएंगे. चाय में भी अदरक है तो सब्जी में भी. इसे भारतीय मसालों में शामिल किया जाता है, लेकिन असल में यह औषधि (जड़ी-बूटी) है. पाचन तंत्र को सुधारने से लेकर, दिल के रोग, सर्दी-जुकाम तक में लाभकारी है अदरक. विश्व के देशों में सबसे अधिक अदरक भारत में ही उगाया जाता है. हजारों सालों से भारत और आसपास के देशों में अदरक का उपयोग हो रहा है. आयर्वेद भी अदरक का 'स्वाद' जानता है.

मसाला परिवार से जुड़ा हुआ है अदरक
असल में भारत के ऋषि-मुनि हजारों वर्ष पहले ही अदरक के गुण जान गए थे, इसलिए उन्होंने इस औषधि को भारतीय मसालों में शामिल कर लिया, ताकि उनका स्वास्थ्य बना रहे. अदरक का बीज नहीं होता और इसके कंद के ही छोटे-छोटे टुकड़े जमीन में गाड़ दिए जाते हैं. असल में यह पौधे की खुशबूदार जड़ नहीं, बल्कि जमीन के अंदर उगा तना यानि प्रकल्प (Rhizom) है. इसका उपयोग मसाले और चाय के लिए तो होता ही है, साथ ही इससे शराब, ब्रेड, सॉस, करी व्यंजन, कन्फेक्शनर्स, अचार के अलावा स्वाद के लिए बियर में भी मिलाया जाता है. भारत में इसे मसाला परिवार में जोड़ा गया है, जिसमें हल्दी, इलायची, बड़ी इलायची आदि शामिल है. बताते हैं कि तेरहवीं-चौदहवीं शताब्दी में अरब देशों में एक पाउंड अदरक का मूल्य भेड़ की कीमत के बराबर था. अदरक रंग भी बदल देता है. अगर इसे सिरके में डाल दें तो इसका रंग सुशी मछली जैसा हल्का गुलाबी हो जाता है.
भारत और चीन हैं इसके उत्पत्ति स्थल
अदरक की उत्पत्ति का इतिहास करीब 5 हजार साल पुराना माना गया है, लेकिन इसकी प्रामाणिक जानकारी ईसा पूर्व 1000 वर्ष में ही मिलती है. इसमें कोई संदेह नहीं कि अदरक की उत्पत्ति एकसाथ भारत और चीन में हुई है. भारत में ईसा पूर्व सातवीं-आठवीं शताब्दी में लिखे गए आयुर्वेदिक ग्रंथ 'चरकसंहिता' के 'हरितवर्ग' अध्याय में पहला श्लोक ही अदरक (विश्वभेषजम्) के बारे में है और इसे रुचिकर, भूख बढ़ाने वाला, पुरुषत्व (masculinity) में इजाफा करने वाला, वात और कफ को रोकने के अतिरिक्त पाचन के लिए भी लाभकारी बताया गया है. चीन में अदरक का पहला लिखित प्रमाण वहां के विचारक कन्फ्यूशियस (475-221 ईसा पूर्व) के सूक्ति संग्रह (Analects) में मिलता है. उन्होंने हर प्रकार के भोजन में अदरक को खाने का परामर्श दिया है. चीन से भारत आए बौद्ध भिक्षु फाहियान (337-422 ईस्वी) ने अपनी पुस्तक में अदरक का वर्णन करते हुए चीन और भारत में इसकी खेती की जानकारी दी है. इन दोनों देशों से ही अदरक पूरे विश्व में धीरे-धीरे फैला. अदरक को स्पेनियों ने इतना महत्व दिया कि उन्होंने 1600 के दशक में जमैका में अदरक के बागानों की स्थापना की. आज अदरक के उत्पादन में भारत अग्रणी है और वह इसका सबसे अधिक निर्यात अमेरिका और सऊदी अरब में करता है.
आयुर्वेद में सालों से इस्तेमाल किया जा रहा है अदरक
शरीर को बेहतर बनाने के लिए अदरक गुणकारी है. हरियाणा के सरकारी विश्वविद्यालय के आयुर्वेद विभाग की प्रमुख व आयुर्वेदाचार्य डॉ. वीना शर्मा के अनुसार, अदरक मसाले के साथ-साथ औषधि भी है. आयुर्वेद में वर्षों से औषधि चूर्ण, काढ़ा, गुटिका (गोली) तथा अवलेह आदि में अदरक का प्रयोग किया जा रहा है. यह पाचन-तंत्र, सूजन, शरीर के दर्द, सर्दी-खांसी जैसी बीमारियों में तो लाभकारी है ही, साथ ही ह्रदय रोग, रक्त विकार, बवासीर आदि रोगों में भी अदरक के औषधीय गुण से लाभ मिलता है. पेट के लिए तो रामबाण माना जाता है अदरक. इसके अलावा पथरी, बुखार, एनीमिया और यूरिन से जुड़े रोग में भी अदरक से लाभ मिलता है.
इस बात के भी प्रमाण हैं कि अदरक चक्कर के कारण होने वाली मतली में भी मदद करता है. साथ ही ऑस्टियोअर्थराइटिस के दर्द को कम कर सकता है. मांसपेशियों और जोड़ों का दर्द में इसे कारगर माना गया है. गठिया में भी इसका उपयोग लाभ देता है. यह बैड कोलेस्ट्रॉल को रोकता है और ब्लड में शुगर को कंट्रोल करता है. आयुर्वेद में यह भी जानकारी है कि अदरक के सेवन से ब्लड में थक्के नहीं बनते. यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है, साथ ही कोशिकाओं को नुकसान से बचाने और बीमारी को रोकने में मदद करता है. अदरक के कुछ नुकसान भी हैं, जैसे इसकी ज्यादा खुराक से शरीक में रैशेज हो सकते हैं. गैस और पेट में जलन तो महसूस होगी, साथ ही मुंह में जलन भी संभव है. यदि नियमित रूप से कोई दवा ली जा रही है तो डॉक्टर से परामर्श कर लें.
टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाए अदरक
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (मेरीलैंड, अमेरिका) के अनुसार, अदरक टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाता है. यह ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन के उत्पादन को बढ़ाकर और टेस्टोस्टेरोन में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी बढ़ा देता है. यह ऑक्सीडेटिव तनाव को भी रोक सकता है. रक्त शर्करा को नियंत्रण में रख सकता है और रक्त प्रवाह को बढ़ा सकता है. असल में टेस्टोस्टेरोन एक एंड्रोजन है. यह पुरुष सेक्स हार्मोन है, जो एक स्वस्थ शरीर के प्रजनन, विकास और रख-रखाव में भूमिका निभाता है.


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