तंबाकू खाने से सिर्फ मुंह नहीं सिर और गर्दन का कैंसर भी हो सकता है

Update: 2023-07-27 08:47 GMT
लाइफस्टाइल: अकसर माना जाता है कि तंबाकू खाने से मुंह का कैंसर होता है, लेकिन अब कई ऐसे केस भी सामने आ रहे हैं जहां तंबाकू से सिर और गर्दन का भी कैंसर हो रहा है.
तंबाकू खाने से सिर्फ मुंह नहीं सिर और गर्दन का कैंसर भी हो सकता है, जानें क्या है इसका कारण
तंबाकू से हो सकता है सिर और गर्दन का कैंसर
कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो आज तक भी बड़ा खतरा बनी हुई है. इस डिजीज से होने वाली मौतों का आंकड़ा भी साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है. गैर संक्रामक बीमारी होने के बावजूद भी यह किसी महामारी की तरह ही फैल रही है. कैंसर शरीर के किसी भी हिस्से में पनप जाता है. धूम्रपान और तंबाकू के सेवन को इसके होने का बड़ा कारण माना जाता है. आम धारणा यह है कि तंबाकू के सेवन से मुंह का कैंसर ही होता है, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि तंबाकू सिर और गर्दन के कैंसर का भी कारण बनता है.
देश में कैंसर के कुल मामलों में करीब 20 फीसदी सिर और गर्दन के होते हैं. इन दोनों कैंसर के मामलों में 40 फीसदी मरीज तंबाकू का सेवन और धूम्रपान करने वाले होते हैं. इन दोनों कैंसर के अधिकतर मामले काफी देरी से (एडवांस) रिपोर्ट किए जाते हैं. इसका कारण यह है कि लोगों को इनके लक्षणों की जानकारी नहीं होती है. कई मामलों में लोग अपनी बीमारी को नजरअंदाज भी करते रहते हैं. प्राथमिक स्तर पर जांच की बेहतर सुविधाएं न होने के कारण भी कैंसर का देरी से पता चलता है.
सिर और गर्दन के कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है
एचसीजी कैंसर सेंटर ( बेंगलुरु) में हेड एंड नेक सर्जिकल ऑन्कोलॉजी डिपार्टमेंट के डायरेक्टर डॉ विशाल राव बताते हैं कि तंबाकू में नाइट्रोसामाइन और पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन होता है, जो कैंसर के विकास का कारण बनता है. तंबाकू के अलावा खराब ओरल हेल्थ, शराब का अधिक सेवन भी इन कैंसर के खतरे को बढ़ाता है. ऐसे में तंबाकू के सेवन को लेकर सोच-विचार करने की जरूरत है. खासकर उन लोगों को जो कई सालों से तंबाकू खा रहे हैं.
कैंसर से यूं करें बचाव
कैसे करें बचाव
सिर और गर्दन कैंसर से बचाव के लिए तंबाकू और शराब का सेवन कम करना होगा. साथ ही 30 साल की उम्र के बाद नियमित रूप से कैंसर की स्क्रीनिंग करानी चाहिए. अगर कैंसर से संबंधित कोई लक्षण दिख रहा है तो जांच कराएं. समय पर टेस्ट कराने से आसानी से शुरुआती स्टेज में ही कैंसर का पता चल सकता है. इससे भविष्य में गंभीर खतरे से बचाव किया जा सकता है.
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