पहले बच्चे को दूसरे बच्चे के लिए दिमाग़ी रूप से तैयार करते समय ये ग़लतियां, भूलकर भी न करें
आप-दोनों अपने दूसरे बच्चे के स्वागत की तैयारी कर रहे हैं. पर आपने महसूस किया कि पहले बच्चे के स्वागत की तुलना में दूसरे के स्वागत का माहौल काफ़ी अलग है. आप पति-पत्नी, घरवालों के अलावा पहला बच्चा भी अपने भाई-बहन का स्वागत करनेवालों में शामिल है. कभी-कभी वह बेहद उत्साहित होता है तो ऐसे भी दिन आते हैं, जब वह खुलकर आनेवाले भाई-बहन के लिए अपनी नाराज़गी बयां करता है. आप समझ ही गए होंगे कि मामला बेहद पेचीदा है. आइए उन तरीक़ों को देखते हैं, जिनका सहारा लेकर आप बच्चे को उसके सिबलिंग के लिए आसानी से तैयार कर सकते हैं. यहां हम उन बातों के बारे में बताता चाहेंगे, जो पहले बच्चे से भूलकर भी नहीं करनी चाहिए, वर्ना वह अभी से ही असुरक्षित और जेलस फ़ील करने लगेगा.
पहली बात: इस बारे में बातचीत करने से बचना सही विकल्प नहीं है
अमूमन प्रेग्नेंट मांएं, बड़े बच्चों से आनेवाले बच्चे के बारे में बात करने से बचती हैं. अगर आप प्रेग्नेंट हैं तो ऐसा बिल्कुल भी न करें. जितनी जल्दी हो, अपने बच्चे को इस बारे में बताएं. इस तरह आप उसे आनेवाले भाई-बहन के लिए दिमाग़ी रूप से तैयार कर देंगी. उसके मन में आनेवाले भाई-बहन को लेकर जितनी आशंकाएं, सवाल, डर या ख़ुशी होगी वह आपसे शेयर करेगा. अगर उसके मन में सकारात्मक के बजाय नकारात्मक बातें अधिक होंगी तो आपके पास उन्हें दूर करने के लिए पर्याप्त समय मिल जाएगा. वरना बेबी के आने के बाद आप न तो मानसिक रूप से ही और न ही फ़िज़िकली बड़े बच्चे की शंकाओं का समाधान करने के लिए तैयार होंगी. इससे वह अपने छोटे भाई-बहन से कटा-कटा रहेगा.
दूसरी बात: उसपर बड़ा होने की ज़िम्मेदारी डाल देना, कुछ ज़्यादा ही हो जाएगा
वैसे बड़े बच्चे भले ही शुरुआत में कुछ समय के लिए अजीब महसूस करें, पर यदि उनकी उम्र पांच वर्ष से अधिक होती है तो वे अपने छोटे भाई-बहन का अच्छे से ख़्याल रखना शुरू कर देते हैं. वे स्वाभाविक रूप से मैच्योर हो जाते हैं. ऐसे में आप उसे बार-बार यह न कहें कि अब तो वह बड़ा हो गया है, उसे और अधिक ज़िम्मेदार होना होगा. बार-बार ज़िम्मेदारी की बातें सुनकर उसे चिढ़ हो सकती है.
तीसरी बात: दूसरे बच्चे की तैयारी में पहले की रूटीन चेंज न करें, बदलाव होंगे पर समय आने पर ही
ज़ाहिर है, जब आपका दूसरा बच्चा दुनिया में आ जाएगा, तब पहले की रूटीन में कुछ क्या, बहुत कुछ बदलाव आएगा, पर अभी से उसकी रूटीन न चेंज करें. बच्चे भले ही बताते न हों, पर अपनी रूटीन में होनेवाले छोटे-मोटे बदलावों को लेकर भी वे बेहद संवेदनशील होते हैं. वे नेगलेक्टेट महसूस कर सकते हैं. इससे उनके अंदर असुरक्षा की भावना पैदा हो सकती है. बच्चा पैदा होने के बाद यह भावना दिनोंदिन बढ़ती जाएगी. वह अपने छोटे भाई-बहन को प्यार नहीं दे पाएगा. तो आपको प्रेग्नेंसी के बाद पहले बच्चे को और अधिक प्यार देना शुरू करना चाहिए. उसके मन में वह पिक्चर क्रिएट करना शुरू करें कि एक छोटे भाई या बहन का होना कितना अच्छा होगा. उसकी ज़िंदगी में कौन-कौन से मज़ेदार बदलाव आएंगे.
चौथी बात: उसे यह न कहें कि उसे अब अपने सामान शेयर करने होंगे
हम बड़े तक अपनी चीज़ों को शेयर करने को लेकर बहुत ज़्यादा सहज नहीं होते हैं, ऐसे में छोटे बच्चों से यह उम्मीद रखना कि वह यह बात सुनकर दुखी नहीं होगा कि उसके खिलौने या सामान शेयर करने वाला कोई आनेवाला है. तो भूलकर भी बच्चे को यह न बताएं कि उसके खिलौने और कमरे को शेयर करनेवाला आ रहा है. आप भले ही मज़ाक में या उसे चिढ़ाने के लिए ऐसा कह रहे हों, पर इन बातों का बच्चों के मासूम मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है. वह खिलौने ही नहीं, आपके प्यार और समय को साझा होते हुए देखने लगता है. और परिवार के नए सदस्य के लिए ख़ुशी के बजाय उसके मन में मायूसी घर करने लगती है.