क्लीनिंग से जुड़े कुछ मिथ्स बिल्कुल भी ना करें भरोसा जानिए
घर से लेकर कपड़ों को साफ-सुथरा रखना यकीनन एक बिग टास्क होता है। आमतौर पर, महिलाएं अपने घर को साफ-सुथरा रखने के लिए काफी मेहनत और समय बर्बाद करती हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | घर से लेकर कपड़ों को साफ-सुथरा रखना यकीनन एक बिग टास्क होता है। आमतौर पर, महिलाएं अपने घर को साफ-सुथरा रखने के लिए काफी मेहनत और समय बर्बाद करती हैं, लेकिन फिर भी उन्हें वह रिजल्ट नहीं मिल पाता, जिसकी उन्होंने उम्मीद की होती है। ऐसा इसलिए भी होता है, क्योंकि वह क्लीनिंग से जुड़े कुछ मिथ्स पर भरोसा करती हैं।
यह क्लीनिंग मिथ्स ना केवल आपके घर से लेकर कपड़ों की साफ-सफाई को प्रभावित करते हैं, बल्कि आपकी मेहनत व समय भी अधिक खर्च करवाते हैं। जिसके कारण अंततः आपको निराशा व गुस्सा आता है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको कुछ ऐसे ही क्लीनिंग मिथ्स के बारे में बता रहे हैं, जिन पर आपको बिल्कुल भी भरोसा नहीं करना चाहिए-
मिथ 1: आपको सब कुछ ठंडे पानी में धोना चाहिए
सच्चाई- अमूमन महिलाएं यह मानती हैं कि सब कुछ ठंडे पानी से धोना अच्छा रहता है। यह सच है कि ठंडे पानी में कपड़े धोने से एनर्जी बिल्स की बचत हो सकती है, लेकिन कभी-कभी गर्म पानी बेहतर होता है। बेहतर होगा कि आप बैक्टीरिया और मोल्ड को मारने के लिए बिस्तर और तौलिये को वॉश करने के लिए गर्म पानी का प्रयोग करें। (टॉवल धोने के बाद भी रहेगा सॉफ्ट, अगर अपनाएंगी यह टिप्स) वहीं, कपड़ों के लिए ठंडे पानी को प्राथमिकता दें।
मिथ 2: ब्लीच एक बेहतरीन क्लीनर है।
सच्चाई- यह सच है कि ब्लीच निश्चित रूप से बैक्टीरिया को खत्म कर देता है और कुछ दाग को भी हटा देता है। लेकिन वास्तव में यह एक डिसइंफेक्टेंट के रूप में काम करता है, क्लीनर के रूप में नहीं। यह ग्रीस कटर नहीं है। इसलिए बेहतर होगा कि गंदगी और ग्रीस आदि के दागों से छुटकारा पाने के लिए, आपको विशेष रूप से सफाई के लिए डिज़ाइन किए गए प्रोडक्ट की आवश्यकता होगी।
मिथ 3: नेचुरल क्लीनर उतने प्रभावशाली नहीं होते।
सच्चाई- चूंकि नेचुरल क्लीनर में हार्श केमिकल्स का इस्तेमाल नहीं किया जाता और इन्हें घर पर ही सिरका, बेकिंग सोडा और नींबू आदि का उपयोग करके तैयार किया जाता है। इसलिए, कुछ महिलाएं यह मानती हैं कि यह बाजार में मिलने वाले क्लीनर जितने प्रभावशाली नहीं होते। जबकि ऐसा नहीं हैं। यह नेचुरल तरीके से आपके घर की साफ-सफाई करते हैं। बस इनके साथ समस्या यह होती है कि आपको इन क्लीनर का इस्तेमाल करने के बाद इन्हें कुछ देर के लिए ऐसे ही छोड़ना पड़ता है, ताकि यह अपना बेहतरीन रिजल्ट दे सकें।
मिथ 4: बर्तनों को हाथ से धोने से पानी की बचत होती है।
सच्चाई- हो सकता है कि आपको डिशवॉशर का उपयोग ना करना अधिक ईको-फ्रेंडली लगता हो, क्योंकि यह माना जाता है कि बर्तनों को हाथ से धोने से पानी की बचत होती है। लेकिन आप वास्तव में अधिक पानी का उपयोग करते हैं जब आप अपने बर्तन को हाथ से धोते हैं। बता दें कि एक एवरेज फुल साइज का डिशवॉशर लगभग पांच गैलन पानी का उपयोग करता है।
मिथ 5: फर्नीचर क्लीनिंग के लिए फर्नीचर पॉलिश का उपयोग करने की जरूरत होती है।
सच्चाई-हर बार और जल्दी-जल्दी फर्नीचर पॉलिश का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए क्योंकि पॉलिश धूल को आकर्षित कर सकती है और इससे अधिक अवशेष आपके फर्नीचर पर रह जाते हैं। बेहतर होगा कि आप इसके बजाय, लकड़ी के टेबल, अलमारियों और कुर्सियों को पोंछने के लिए बस एक माइक्रोफाइबर कपड़े का उपयोग करें। यह एक बार फिर से धूल रहित और साफ हो जाएंगे।
मिथ 6: अधिक डिटर्जेंट मतलब अधिक साफ कपड़े।
सच्चाई- हो सकता है कि आप भी इस क्लीनिंग मिथ पर भरोसा करती हों। बहुत सी महिलाओं को लगता है कि अगर वह कपड़े धोते समय अधिक डिटर्जेंट का इस्तेमालकरेंगी तो इससे उनके कपड़े अधिक बेहतर तरीके से साफ होंगे। जबकि ऐसा नहीं है। अधिक डिटर्जेंट के कारण साबुन के झाग की मात्रा में बढ़ोतरी होती है और अगर वह अच्छी तरह क्लीन नहीं होते तो इससे बैक्टीरिया में वृद्धि होती है। वहीं, कुछ लोगों को तो बाद में इन कपड़ों को पहनने पर स्किन में इरिटेशन की समस्या भी होती है।