इन 9 तरीक़ों से करें डिजिटल डिटॉक्स

Update: 2023-05-07 13:52 GMT
सुबह सोकर उठते ही आप सबसे पहले क्या करते हैं? वह बीते दौर की बात हो गई है, जब हम उठते ही सबसे पहले नित्यकर्म से निवृत्त हुआ करते थे. ख़ुद पर और अपने आसपास के लोगों पर ज़रा-सा ध्यान देकर आप पाएंगे कि ज़्यादातर लोग उठते ही सबसे पहले अपने स्मार्ट फ़ोन का मुंह देखते हैं. सस्ते स्मार्टफ़ोन और उससे भी सस्ते डेटा ने हमें दूर रहनेवाले अपनों से तो जोड़ दिया है, पर हमें ख़ुद से दूर कर दिया है. हमें सोशल मीडिया पर अपनी आवाज़ उठाने की स्पेस तो दी है, पर कुछ नया सोचने-समझने की दिमाग़ की जगह को कैप्चर कर लिया है. हम मल्टी-टास्कर तो बन गए हैं, पर किसी एक काम में मास्टर नहीं रहे हैं. कुछ न करते हुए भी हम व्यस्त रहने लगे हैं.
अपने स्मार्टफ़ोन के स्क्रीन पर पूरी दुनिया की ख़बर लेना बड़ा ही आसान और आनंददायक लग सकता है, पर जो चीज़ हमें आनंददायक लगती है वह हमें कब अपने गिरफ़्त में लेकर अपनी आदी बना ले, पता ही नहीं चलता. आज के दौर में टेक्नोलॉजी ने हमें आदी बना दिया है. हमें पता ही नहीं कि हम इस लत यानी एडिक्शन की क्या क़ीमत चुका रहे हैं. गर्दन का दर्द, उंगलियों और आंखों की समस्या तो बस कुछ ऐसे साइड इफ़ेक्ट हैं, जो दिखते हैं. ध्यान केंद्रित करने की हमारी क्षमता कम हो गई है, हम पहले से अधिक बेसब्र हो गए हैं, तनाव भी अब अधिक सताता है... जैसी बातों को हम भले ही टेक्नोलॉजी की लत को दोषी न ठहराएं, पर ये हैं तो इसी के साइड इफ़ेक्ट.
इसके साथ ही यह बात भी माननी पड़ेगी कि हम लाख चाहे टेक्नोलॉजी को बुरा समझें, पर उससे पूरी तरह अलग हो पाना संभव नहीं है. यहां संभव की जगह प्रैक्टिकल शब्द यूज़ करें तो ज़्यादा अच्छा होगा. एक्स्पर्ट्स की मानें तो आपको अपने फ़ोन से पूरी तरह दूर जाने की ज़रूरत नहीं है, बस उसके टच स्क्रीन को थोड़ा कम टच किया करें. आइए जानते हैं, टेक्नोलॉजी से सुरक्षित दूरी बनाने यानी टेक डिटॉक्स या डिजिटल डिटॉक्स के कुछ प्रैक्टिकल तरीक़े.
1. सबसे पहले नोटिफ़िकेशन को नोटिस थमाएं
वह पुश नोटिफ़िकेशन्स ही हैं, जो फ़ोन की तरफ़ से आपका ध्यान हटने नहीं देते. हालांकि वे तो आपको अपडेट देने का अपना काम ही कर रहे हैं, पर पूरी ईमानदारी से किया जा रहा उनका काम आपको कोई दूसरा काम नहीं करने देता. जैसे ही कोई नोटिफ़िकेशन आता है, आपके हाथ काम छोड़कर फ़ोन चेक करने लग जाते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार यदि आप आधे घंटे में पांच बार नोटिफ़िकेशन्स के प्रभाव में आकर अपने फ़ोन को हाथ लगाते हैं तो समझिए ‌नोटिफ़िकेशन आपका दुश्मन बन गया है. आपको तुरंत जितना संभव हो सके, उतने नोटिफ़िकेशन्स टर्न ऑफ़ कर देना चाहिए. यक़ीन मानिए, यदि आपको देश-दुनिया की ख़बर थोड़ी देर से मिलेगी तो पहाड़ नहीं टूट जाएगा. आज भी लोग अति महत्वपूर्ण ख़बरें देने के लिए फ़ोन ही करते हैं.
2. फ़ोन को थोड़ा कम अट्रैक्टिव बनाएं
यह मनुष्य का स्वभाव है कि वह ख़ूबसूरत चीज़ों की ओर अट्रैक्ट होता है. यदि आपने फ़ोन को चटक रंगों के कवर में संभालकर रखा है तो बहुत संभव है कि आपकी नज़र बार-बार उस ओर जाए. यही बात उसके स्क्रीन के रंग और सेटिंग पर भी लागू होती है. कोई बहुत अच्छी फ़ोटो आपने अपनी वॉल पर रखी है तो आप उसे देखने के चक्कर में फ़ोन में कब घुस जाएंगे पता ही नहीं चलेगा. आप अपने फ़ोन का वॉलपेपर कम अट्रैक्टिव या ब्लैक ऐंड वाइट रख सकते हैं.
3. खाने के दौरान फ़ोन रख दें दूर
आपने देखा होगा खाने की टेबल पर फ़ोन ने भी अपनी जगह बनानी शुरू कर दी है. रेस्तरां आदि में तो लोग खाते हुए फ़ोन में घुसे पड़े रहते हैं. यह अलग बात है कि वे ख़ुद नहीं जानते कि फ़ोन में आंखें गड़ाए और उसपर उंगलियां घुमाते हुए वे करना क्या चाहते हैं. आजकल पुराने दोस्त वैसे तो ज़्यादा मिल नहीं पाते, पर कभी ग़लती से चाय पीने के लिए मिल भी गए तो एक-दूसरे की ओर देखकर बातचीत करने के बजाय फ़ोन में देखते रहते हैं. साइकोलॉजिस्ट का कहना है कि खाने की टेबल पर फ़ोन पड़ा हो तो हम भले ही उसकी ओर ध्यान न दें, पर वहां मौजूद लोगों से हमारे इंटरैक्शन की क्वॉलिटी पर फ़र्क़ पड़ता है. हम जितनी ऊर्जा फ़ोन में लगाते है, लोगों से मिलते समय हमारी गर्मजोशी उतनी कम हो जाती है. तो उम्मीद है आप समझ ही गए होंगे कि अगली बार क्या करना है.
4. हर दिन कुछ घंटे ‘टेक-फ्री आवर’ के रूप में आरक्षित रखें
हालात तो इतने बुरे हो गए हैं कि हममें से ज़्यादातर लोग अपने स्मार्टफ़ोन के बिना अधूरा महसूस करने लगते हैं. इसका अंदाज़ा इस बात से लगाएं, जिस दिन आप ऑफ़िस से निकलते समय फ़ोन घर पर भूल जाते हैं. दिनभर सोचते रहते हैं न जाने किसका फ़ोन या मैसेज आया होगा. जितने फ़ोन या मैसेज आपको औसतन आते नहीं, उससे भी ज़्यादा आप अपने फ़ोन को मिस करते हैं. फ़ोन के इस मोह-माया से बचने के लिए हर दिन कुछ घंटे ऐसे तय करें, जब चाहे जो हो जाए फ़ोन की ओर देखना तक नहीं है. आपको अपनी ज़िंदगी में सुखद बदलाव देखकर आश्चर्य न हो तो कहना. कम से कम एक हफ़्ते तक अपने इरादे पर टिके रहकर तो देखें.
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