ब्रेन अर्थात दिमाग शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है जो आपके शरीर की सभी क्रियाओं को संचालित करने के लिए उन्हें कमांड देता हैं। मस्तिष्क की क्षमता में आई कमी आपके पूरे शरीर को क्षीण बना देती हैं। आजकल देखने को मिल रहा हैं कि उम्र से पहले ही लोगों का दिमाग बूढ़ा होने लगा हैं जिसकी वजह से उनकी याददाश्त कमजोर हो जाती हैं और भूलने की बीमारी परेशान करने लगती है। याददाश्त बेहतर खान-पान की कमी और खराब जीवनशैली की वजह से भी कमजोर होने लगती है। आज इस कड़ी में हम आपको कुछ ऐसी ही चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका सेवन ब्रेन के एजिंग प्रॉसेस को बढ़ा देता हैं। इनके बारे में जानकर समझदारी दिखाते हुए इनसे दूरी बनाने में ही आपकी भलाई हैं।
अधिक मीठा
कई लोगों को मीठा खाना बहुत पसंद होता है। लेकिन अधिक मीठा खाने से आपका दिमाग सुस्त पड़ जाता है, जिसका असर दिमाग की सक्रियता पर पड़ता है। यह आपकी तार्किक क्षमता को कम करने का काम करता है। इसलिए कई बार मीठा खाने के बाद रिलेक्स महसूस होता है।
सोडा
ईटदिस डॉट कॉम में छपी एक खबर के अनुसार, एक अध्ययन में पाया गया है कि सोडा के अधिक सेवन से मस्तिष्क के उम्र को बढ़ा देता है। जिन प्रतिभागियों ने हर दिन कम से कम एक सोडा पिया, उन्होंने ब्रेन वॉल्यूम में कमी को अधिक अनुभव किया। जिन प्रतिभागियों ने नियमित रूप से सोडा पिया था, उनकी 'एपिसोडिक' मेमोरी भी खराब पाई गई यानी पिछली घटनाओं की लंबी अवधि की याददाश्त करने की क्षमता कम हो गई थी। शुगर युक्त सोडा जैसे पेय पदार्थ को प्रतिदिन पीने से बचें।
रिफाइंड कार्ब्स
रिफाइंड कार्ब्स जैसे- वाइट ब्रेड (रोटी, पास्ता, कुकीज आदि) में कोई फाइबर और पोषक तत्व नहीं होते। शरीर इन्हें जल्दी से पचाता है, जिससे आपका शुगर और इंसुलिन लेवल बढ़ जाता है। रिफाइंड कार्ब्स फूड में आमतौर पर हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) होता है। एक स्टडी के अनुसार, हाई जीआई वाले फूड ब्रेन के फंक्शन को प्रभावित करते हैं। वहीं, शोध से पता चला है कि दिन में एक बार हाई जीआई वाले फूड खाने से बच्चों और युवाओं दोनों की याददाश्त खराब हो सकती है।
डाइट सोडा
सोडा की ही तरह डाइट सोडा भी दिमाग की सेहत के लिए हेल्दी ऑप्शन नहीं है। एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि जिन लोगों ने प्रत्येक दिन एक डाइट सोडा का सेवन किया है, उनमें स्ट्रोक या डिमेंशिया होने की संभावना तीन गुना अधिक बढ़ जाती है। हालांकि, इस पर अभी और शोध करने की ज़रूरत है।
हाई ट्रांस फैट फूड या फास्टफ़ूड
ट्रांस फैट एक प्रकार का अनसैचुरेटेड फैट होता है, जो दिमाग के स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डाल सकता है। मांस और डेयरी जैसे उत्पादों में ट्रांस फैट स्वाभाविक रूप से होता है, जो एक मुख्य चिंता का विषय है। बाजारों में मिलने वाले वनस्पति तेल भी ट्रांस फैट पाया जाता है। इसमें स्वाद बढ़ाने के लिए डाले जाने वाले कुछ पदार्थ आपके दिमाग को निष्क्रिय कर देते हैं, साथ ही एकाग्रता बढ़ाने में मदद करने वाले डोपामाइन हार्मोन के उत्पादन में कमी लाते हैं। इससे आपकी एकाग्रता धीरे-धीरे कम होने लगती है, और याददाश्त कमजोर हो जाती है, जिससे आप भूलने की बीमारी के शिकार हो जाते हैं।
एल्कोहल
अधिक मात्रा में शराब का सेवन भी आपके मस्तिष्क की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को तेज कर सकता है, लेकिन बहस का विषय यह है कि क्या कम मात्रा में शराब का सेवन आपके संज्ञान यानी कॉग्निशन को भी प्रभावित कर सकता है या नहीं। हालांकि, शोध यह भी कहता है कि जो लोग प्रत्येक दिन एक गिलास रेड वाइन पीते हैं, उनमें डिमेंशिया या फिर अल्जाइमर्स रोग नहीं पाया गया। लेकिन 2022 के हालिया शोध से पता चलता है कि दिन में सिर्फ एक या दो ड्रिंक भी आपके दिमाग पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। एक अध्ययन के अनुसार, मॉडरेट अमाउंट में शराब पीने से दिमाग में मौजूद सफेद और ग्रे दोनों प्रकार के पदार्थ सिकुड़ते पाए गए, जो मस्तिष्क के विभिन्न संज्ञानात्मक कार्यों के लिए जिम्मेदार होते हैं।
तला हुआ भोजन
जी हां, अधिक मात्रा में तले हुए पदार्थों का प्रयोग करने से आपकी दिमागी क्षमता को कम करता है। यह आपकी तंत्रिकीय कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त कर धीरे-धीरे नष्ट कर देता है, जो आपके दिमाग की कार्यप्रणाली पर असर डालता है। इसलिए अधिक मात्रा में नियमित तौर पर तली-भुनी चीजों जैसे समोसा-कचोड़ी, आलूवड़ा, ब्रेडबड़ा, पापड़ आदि का सेवन न करना ही आपके दिमाग के लिए बेहतर होगा।
तंबाकू या सिगरेट
तंबाकू व सिगरेट जैसी चीजों में पाया जाने वाला निकोटीन दिमाग को निष्क्रिय करनेका काम करता है। इसके सेवन से दिमाग से रक्त व ऑक्सीजन का प्रवाह काफी बाधित होता है। निकोटिन का सेवन आपके दिमाग की कार्यक्षमता को बुरी तरह से प्रभावित कर, आपकी याददाश्त को कम कर देता है, यहां तक की छीन भी सकता है।