बरसात को आए तो यूं दो महीने हो गए हैं. इस बीच कोरोना के ख़ौफ़ के चलते हम सभी एक ज़रूरी काम भूल गए. हर वर्ष बरसात में अपनी बगिया को संवारने का काम करनेवाले हम लोग, इस साल ख़ुद को बचाने में लगे रहे. हालांकि कोरोना के मामले रिकॉर्ड गति से बढ़ रहे हैं, पर उसका डर अब उतनी ही तेज़ी से कम होता जा रहा है. तो आइए उस पेंडिंग काम को अंजाम देते हैं.
क्या है मॉनसून और गार्डनिंग का कनेक्शन?
मॉनसून साल का वह समय है, जिसका इंतज़ार हर गार्डनिंग प्रेमी करता है. आप देख सकते हैं कैसे बारिश के मौसम में आपके पौधे लहलहाने लगते हैं. उनकी वृद्धि भी दूसरे मौसम की तुलना में काफ़ी तेज़ी से होती है. ऐसा सिर्फ़ बारिश की बूंदों की वजह से नहीं, बल्कि वातावरण में मौजूद मॉइस्चर के चलते भी होता है. हवा में नमी के चलते एक नई ताज़गी भर जाती है. यह हवा न केवल हमारे मन को भाती है, बल्कि पौधों को भी ख़ुशी से झूमने के लिए तैयार कर देती है. आप इनडोर गार्डनिंग करते हों या आउटडोर, बारिश का मौसम आपको अपने हाथों को मिट्टी में गंदे करने के लिए प्रोत्साहित करेगा. बेशक, गार्डनिंग के शौक़ीन मिट्टी में हाथ के गंदे होने की बात का बुरा मान जाएंगे. आख़िकार इस मौसम में पौधों को मेंटेन करना इतना आसान जो होता है, इसलिए मिट्टी से दूर रहने की वे सोच भी नहीं सकते. कई गार्डनिंग के शौक़ीन तो सालभर अलग-अलग पौधों के बीज जमा करते रहते हैं, ताकि मॉनसून में उन्हें रोप सकें. बारिश की आमद से आपके गार्डन में पहले से मौजूद पौधे तो ख़ुश हो ही जाते हैं, नए पौधों को रोपने के लिए भी यह एक परफ़ेक्ट समय होता है. पुराने पौधों की देखभाल यानी मिट्टी को अलटने-पलटने के लिहाज से भी बारिश का मौसम बिल्कुल उपयुक्त होता है.
पर मॉनसून कुछ परेशानियां भी ले आता है
बेशक वातावरण की नमी और सूरज की रौशनी की उपलब्धता पौधों के लिए वरदान की तरह है, पर आप पौधों को यूं ही मौसम के भरोसे नहीं छोड़ सकते. वृद्धि के लिए अनुकूल इस मौसम में उन्हें अतिरिक्त देखभाल की ज़रूरत होती है. कारण यह है कि मॉनसून पौधों के लिए कुछ परेशानियां भी साथ लाता है. अगर आप आउटडोर गार्डनिंग करते हैं तब पानी का ज़रूरत से अधिक जमाव पौधों के लिए नुक़सानदायक हो सकता है. वहीं इनडोर गार्डनिंग में पानी की अधिकता का ख़तरा नहीं होगा, पर हवा की अतिरिक्त नमी के चलते कई तरह के कीड़ों के लगने का डर रहता है. कुछ कीड़े इतने हानिकारक होते हैं, अगर उन्हें पौधों से जल्दी नहीं हटाया गया तो आपके पौधे कुछ ही दिनों में मुरझाकर ख़राब हो सकते हैं या कई बार तो मर भी जाते हैं. अगर आप अपनी बगिया को इन ख़तरों से बचाना चाहते हैं तो आउटडोर गार्डनिंग में पौधों के आसपास ज़रूरत से अधिक पानी न जमा होने दें. पौधों की कोमल पत्तियों या डंठलों पर चिपके कीड़ों को तुरंत हटाएं. आप पौधों की काट-छांट भी कर सकते हैं. इससे वे हल्के होकर और तेज़ी से बढ़ते हैं.
मॉनसून गार्डनिंग में इन बातों का रखें ख़ास ख़्याल
-अगर पौधे की मिट्टी काफ़ी पुरानी हो गई हो तो बारिश के दौरान उसकी मिट्टी बदलने का काम करें. टूटे-फूटे गमलों को रीप्लेस करने के लिए भी यह बिल्कुल सही समय है.
-पौधों के कीड़े उन्हें काफ़ी नुक़सान पहुंचा सकते हैं, पर उन्हें मारने के लिए केमिकल पेस्टिसाइड्स का इस्तेमाल भी घातक हो सकता है. बेहतर होगा आप ऑर्गैनिक पेस्टिसाइड्स के इस्तेमाल से कीड़ों को मारें. आप पौधों को ठीक तरह से धोकर भी उन्हें कीड़ों से कुछ हद तक निजात दिला सकते हैं.
-रासायनिक खाद की जगह कम्पोस्ट जैसे ऑर्गैनिक विकल्प को अपनाएं.
-पौधों के ड्रेनेज सिस्टम की ओर ख़ास ध्यान दें.
-पौधों की ज़रूरत के मुताबिक़ काट-छांट करें. इससे आप उनको सही शेप में बढ़ने में मदद कर सकते हैं