रजोनिवृत्ति (menopause) यानी माहवारी का बंद होना हर स्त्री में अलग-अलग समय और अलग तरीके से होता है। किसी को ज्यादा तकलीफ नहीं होती मगर किसी को तकलीफों के नर्क से गुजरना पड़ सकता है हालांकि मेडिकल साइंस की तरक्की की बदौलत अब हालत बेहतर हो गई है। औरतों को इलाज से तकलीफों में काफी हद तक मुक्ति मिल जाती है।
शरीर में हारमोंस की बहुत अहमियत है। किशोरवय से अधेड़ होने तक महिलाओं में जो हारमोंस बनते हैं, उन्हीं से उनकी नियमित माहवारी और गर्भधारण (pregnancy) की क्षमता विकसित होती है। हारमोंस का सीधा संबंध शरीर को जवान रखने से है।
जीवन में चौथे दशक के खात्मे तक हारमोन्स (hormones) बनने कम होने लगते हैं। बुढ़ापे तक ये बिल्कुल बंद हो जाते हैं और यहीं से शुरू होता है औरत का बेहद मुश्किल समय। मन और शरीर दोनों ही तरह से जि़न्दगी मानो कमजोर हो जाती है। कमजोर हड्डियां, ऑस्टियोपोरोसिस व आर्थराइटिस जैसी अशक्त लाचार कर देने वाली बीमारियां, घुटनों व जोड़ों का दर्द, फ्रैक्चर की बढ़ती संभावना तथा मीनोपॉज में होने वाले हॉट फ्लशेज, डिप्रेशन, निराशा, चिड़चिड़ापन सब मिलकर स्त्री को जीवन से विमुख करने लगते हैं।
हॉरमोन रिप्लेसमेंट थेरेपी शॉर्ट में एच. आर. टी. के नाम से जानी जाती है। हैल्थ कांशियस आधुनिक महिलाओं में यह बहुत कॉमन है। इसमें हारमोन की आपूर्ति टेबलेट्स लेकर की जाती है। स्त्रियों में सैक्स हारमोंस मुख्यरूप से दो होते हैं, पहला एस्ट्रोजन, दूसरा प्रोजेस्ट्रोन। एच आर टी में ये ही डॉक्टरों द्वारा प्रिस्क्र ाइब किये जाते हैं लेकिन चूंकि यह एक नाजुक मसला है, अत: केवल एक्सपर्ट डॉक्टरों द्वारा निर्धारित डोज कितनी कब तक लेनी है, ठीक से मालूम कर ली जानी चाहिए।
इसके फायदे ही फायदे हों, ऐसा नहीं है। जवानी को कायम रखने के लिए बेताब औरतों को नासमझी से धड़ल्ले से इनका सेवन या इंजेक्शन के रूप में नहीं लेना चाहिए क्योंकि इन पर होने वाली रिसर्च से इनसे होने वाले कई नुकसान भी सामने आये हैं।
कई बार यह औरत की सहनशक्ति पर भी निर्भर करता है कि वह मीनोपॉज़ के साथ आने वाली परेशानियों को कैसे व कितना झेल पाती हैं। कई औरतों को पता भी नहीं चलता। खासकर संयुक्त परिवार में रहनेवाली सीधी सादी घरेलू औरतें पोते पोतियों को खिलाने व गृहकार्य करने में वक्त आसानी से निकाल लेती हैं मगर अकेलापन और ज्यादा नॉलेज इसे बढ़ा चढ़ाकर पेश करते हैं। तब औरतें जो कुछ भी मीनोपॉज से होने वाली तकलीफों के बारे में जान पाती हैं, सभी से अपने को जोड़कर देखती व महसूस करने लगती हैं। इसलिए सही जानकारी होना निहायत आवश्यक है।
मीनोपॉज होने पर उम्र का तकाजा भी होता है। यही कारण है कि बॉडी से प्राकृतिक रस सूखने लगते हैं। इसका असर स्पष्ट रूप से चमड़ी, बाल व नाखूनों आदि पर देखा जा सकता है। प्रजनन शक्ति खत्म जाती है। एस्ट्रोजन व कैल्शियम कम होने से हड्डियां कमजोर पड़ जाती हैं। जरा चोट लगने से फ्रैक्चर हो सकता है। वैसे भी हड्डियों का बारीक चूरा होना, घुटने के वॉशर घिसना, स्टिफ जोड़ कॉमन प्रॉब्लम हो जाती हैं।
वेजाइनल इंफेक्शन होने से मूत्र पास करने में जलन व दर्द हो सकता है। सफेद पानी जाने लगता है। फंगल इंफेक्शन हो सकता है। यू टी आई बार-बार होने लगता है जिससे किडनी डैमेज होने का अंदेशा रहता है।
हारमोनल असंतुलन (hormonal imbalance) होने पर एस्ट्रोजन थेरेपी उन महिलाओं को दी जाती है जिनका गर्भाशय निकाल दिया गया हो।
जिन महिलाओं का गर्भाशय नहीं निकाला गया हो, उन्हें एस्ट्रोजन के साथ प्रोजेस्ट्रोन हारमोन भी दिया जाता है जिससे एस्ट्रोजन के साइड इफेक्ट्स की रोकथाम हो सके।
एच आर टी से होने वाले नुकसानों में खतरनाक बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है जैसे ब्रेस्ट कैंसर, गर्भाशय में एंडोमिट्रियल कैंसर या खून में थक्के जमना जिससे पेरालीसिस हो सकता है। प्लस प्वाइंट्स देखें तो हड्डियां मजबूत होती हैं जिससे ऑस्टियोपोरोसिस की संभावना मिटती है तथा दिल की बीमारियां कम होती हैं।
एक नये शोध के अंतर्गत सोयाबीन एच आर टी का अच्छा रिप्लेसमेंट है। इसको लेने में न कोई साइड इफैक्ट है न कोई खतरा। इसके अलावा प्रोटीन कैल्शियम युक्त मेडिकल प्रॉडक्ट भी दूध, पानी में घोलकर दिया जा सकता है या टेबलेट के रूप में लिया जा सकता है।