Alert: माइग्रेन है तो डिप्रेशन और डिप्रेशन है तो माइग्रेन होने का खतरा अधिक
जानिए इन दोनों समस्याओं का लिंक
वैश्विक स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को काफी तेजी से बढ़ता हुआ देखा जा रहा है। विशेषकर कोविड-19 महामारी के बाद से इसमें तेजी से उछाल आया है। आलम यह है कि अब कम उम्र के लोग भी इसके शिकार हो रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना पूरे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक है। मानसिक-शारीरिक स्वास्थ्य एक दूसरे के पूरक हैं, यानी कि किसी एक में भी होने वाली समस्या का असर दूसरे को प्रभावित करने वाला हो सकता है।
अवसाद पर अध्ययन करने वाले शोधकर्ताओं ने बताया कि डिप्रेशन को सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाली समस्या ही मानकर नहीं चलना चाहिए। इसके कई प्रकार के शारीरिक दुष्प्रभावों का भी जोखिम हो सकता है। अगर आप डिप्रेशन के शिकार हैं तो आपको माइग्रेन, हृदय रोगों, ब्लड प्रेशर और कमजोर इम्युनिटी की भी समस्या हो सकती है। माइग्रेन और डिप्रेशन का संबंध
अगर आपको लगता है कि माइग्रेन सिर्फ एक सामान्य सिरदर्द की समस्या है तो सावधान हो जाइए। अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि माइग्रेन, एक साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर हो सकता है। साइकोसोमेटिक विकारों का मतलब मानसिक स्वास्थ्य की ऐसी समस्याएं जिसका असर शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है या इसके लक्षण शारीरिक स्वास्थ्य समस्याओं की तरह हो सकते हैं।
एक अध्ययन से पता चलता है कि अवसाद वाले लोगों में माइग्रेन होने की आशंका तीन गुना अधिक होती है, वहीं जिन लोगों को माइग्रेन है उनके अवसादग्रस्त होने का खतरा पांच गुना अधिक हो सकता है।