ग्वारपाठा तत्वों से भरपूर है इसमें लगभग 200 तत्व पाए जातें है जिसमे से 20 आवश्यक खनिज प्रदार्थ, 8 आवश्यक एमिनो एसिड्स। 14 में से 11 द्वितीय श्रेणी के एमिनो एसिड्स है तथा विटामिन A, B-1, B-5, B-6, B-12, C, E इसमें समाए हुए है। शरीर में रोग जीव विषो और पोषक आहार की कमी से होते है और रोग दूर करने के लिए पोषक आहार चाहिए ग्वारपाठे का सेवन करने से शरीर को आवश्यक पोषक आहार प्राप्त हो जाता है। ग्वारपाठे के सेवन करने से शरीर में रोगाणुओं, वायरल संक्रमण से लड़ने की शक्ति पैदा होती है स्वस्थ कोशो का निर्माण होता है जो त्वचा को रोगमुक्त करता है इसके प्रयोग से घावों के निशान दूर जो जातें है ।
ग्वारपाठे के सेवन से मल की शुद्धि होती है और शरीर में संचित रोगजनक तत्व नष्ट होते है और पाचन क्रिया नियमित होती है । ग्वारपाठा शरीर में दो प्रकार से कार्य करता है एक शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है दूसरा माशपेशियों को पुनर्निर्मित करता है जब किसी व्यक्ति के शरीर में पेंक्रियाज़ में इन्सुलिन बनाने वाली कोशिकाएं नष्ट जो जाये और इन्सुलिन बनना बंद हो जाये तो व्यक्ति के शरीर में शुगर की मात्रा बढ़ने लगती है। जिसकी रोकथाम के लिए दवाइया एवं इन्सुलिन लेना पड़ता है ग्वारपाठा शरीर में इन्सुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को पुनर्निर्मित करता है जिससे शरीर में इन्सुलिन बनना शुरू हो जाता है।
ग्वारपाठा के सेवन से निम्न बीमारियों में लाभ होता है जैसे : डायबिटीज ,हृदयरोग ,अस्थमा ,मोटापा ,रक्तचाप ,गुर्दे की बीमारी ,मुहासे ,पाचन क्रिया ,पेट के घाव, सिरदर्द ,सूजन ,टी बी ,घुटनो का दर्द ,एनीमिया ,कब्ज़ ,बवासीर ,वीर्य वृद्धि ,मासिक धर्म की शिकायत, चर्म रोग, घाव ,जलन ,गठिया ,घुटनो का दर्द ,जोड़ो का दर्द ,दातो एवं मसूड़ों में परेशानी , मुँह से बदबू आना ,बालो का झड़ना , और कुल मिला कर कहे की हर बीमारी का इलाज है ग्वारपाठे में इसलिए रोज़ ग्वारपाठे का सेवन जरुरी है।