माइग्रेन को साधारण सिरदर्द नहीं माना जा सकता है. इससे प्रभावित व्यक्ति के सिर के एक या दोनों भागों में काफ़ी तेज़ और रुक-रुककर दर्द उठता है. यह दर्द कनपटी या आंख को भी अपने घेरे में ले लेता है. अमूमन यह तकलीफ़ 4 से 72 घंटे तक बनी रहती है. माइग्रेन किस वजह से होता है इसके बारे में कारण सही ढंग से पता नहीं चल पाया है, लेकिन प्राय: कुछ वजह से यह ट्रिगर्स होता, जिसकी पहचान भी बहुत कम है: जैसे शारीरिक दबाव, खानपान और सोने की आदतों में बदलाव, सेंसरी ओवरलोड आदि कुछ सामान्य ट्रिगर्स होते हैं, लेकिन सबसे आम कारण है स्ट्रेस यानि तनाव है. हालांकि स्ट्रेस मैनेजमेंट काफ़ी मुश्क़िल हो सकता है, लेकिन करना ज़रूरी होता है. इसके लिए आप अपने रूटीन में कुछ आसान बदलाव लाकर या फिर कुछ उपायों का पालन करके तनाव से बच सकते हैं, जिससे माइग्रेन से भी बचाव होता है. हम आपको कुछ ऐसे ही उपायों के बारे में बता रहे हैं–
एक्टिव लाइफ़ –हर दिन 30 मिनट सैर, व्यायाम या अन्य किसी भी प्रकार के शारीरिक व्यायाम ज़रूर करें. शारीरिक गतिविधि से आपके मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमिटर्स द्वारा एंडोरफिन्स पैदा होते हैं, जो कि कुदरती तौर पर दर्द निवारक (पेनकिलर्स) का काम करते हैं.
सही ढंग से नींद लेना–तनाव की वजह से आपकी नींद में बांधा पैदा होता है, जिसकी वजह से स्लीप पैटर्न गड़बड़ता है, जिसकी वजह से भी तनाव पैदा होता है. जब आप अच्छी नींद लेते हैं तो आपके शरीर को अगले दिन के लिए पूरा आराम मिलता है और वह ऊर्जावान बने रहते हैं. इसलिए हर दिन नियमित समय पर सोएं और उठें. सोते हुए अपने आसपास इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस न रखें. इसके साथ ही नींद की क्वालिटी काफ़ी हद तक आपके बिस्तर पर भी टिका होता है.
स्वास्थ्यवर्धक व संतुलित खानपान–सेहतमंद और संतुलित खानपान से आप तनाव से दूर रह सकते हैं. आप अपनी खुराक़ में ताज़े फल, सब्ज़ियां और साबुत अनाज शामिल करें. सही मात्रा और सही खानपान आपको तनाव से बचाने में सहायक होता है. ताज़े फलों- जैसे कि संतरे, एवोकाडो और ब्लूबेरी तथा ताज़ी सब्ज़ियों मैं शिमला मिर्च, आलू, गाजर, गोभी व सूखे मेवों में बादाम, पिस्ता आदि का सेवन करें. कुछ ख़ास तरह के फ़ूड और बेवेरेज़ जैसे कि शराब, कैफ़ीन आधारित ड्रिंक्स जैसे कॉफ़ी और ईस्ट युक्त बेक्ड खानपान सामग्री-जैसे सारडो ब्रेड, चॉकलेट, कल्चर्ड डेयरी प्रॉडक्ट्स जैसे योगर्ट आदि का सेवन न करना भी माइग्रेन से बचाव में कारगर होता है.
अपने माइग्रेन के बारे में जानकारी जुटाएं- आपको कब और किन कारणों से माइग्रेन हुआ, इसकी पहचान करने के लिए एक डायरी बनाएं जिसमें ट्रिगर्स आदि का ब्योरा रखें तथा अपने लिए कारगर उपचारों की लिस्ट भी बनाएं. इस डायरी में यह ज़रूर लिखें कि आपको कब माइग्रेन हुआ, उससे पहले आप क्या कर रहे थे और क्या करने से आपको दर्द से राहत मिली.
मस्तिष्क और शरीर को राहत देने के तरीक़े अपनाएं- रिलैक्सेशन जैसे योग, ध्यान और प्राणायाम आदि से स्ट्रेस एवं माइग्रेन में राहत मिलती है. इनसे आप अपनी पूरी सेहत का भी बेहतर ख़्याल रख सकते हैं. जब भी ख़ुद को दबाव में महसूस करें तो कुछ क्षणों के लिए रिलैक्सेशन तकनीकों का अभ्यास करें और इससे आप ख़ुद को तरोताज़ा महसूस करेंगे. सैर करें, अपनी मनपसंद किताब पढ़ें या गुनगुने पानी से स्नान करें.
धूम्रपान छोड़ें और शराब का सेवन सीमित रखें- प्राय: माइग्रेन को ट्रिगर करता है. यदि आप अल्कोहल का सेवन करते हैं तो इसकी मात्रा 1-2 ड्रिंक्स तक ही सीमित रखें. स्मोकिंग की वजह से भी कुछ लोगों को माइग्रेन होता है. इसलिए इसपर भी रोक लगाएं.
प्रोफ़ेशनल मदद लें- यदि आप स्ट्रेस और माइग्रेन से लगातार जूझ रहे हैं और इससे उबर नहीं पा रहे हैं तो समय रहते प्रोफेशनल मदद लेने लें. प्रोफेशनल थेरेपिस्ट आपको अपनी इससे उबरने में मदद दे सकते हैं. इसी तरह, एक्यूपंचर और मालिश आदि से भी तनाव एवं माइग्रेन में लाभ मिलता है. अपने डॉक्टर से सलाह लें और पता लगाएं कि ये थेरेपी आपके मामले में कारगर हो सकती हैं या नहीं.