.क्योंकि यह डायबिटीज़ को कंट्रोल में रखता है
ऐसा देखा जाता है कि डायबिटीज़ के मरीज़ों को किडनी समस्या होने की संभावना आम लोगों की तुलना में अधिक होती है. इंटरनैशनल जरनल ऑफ़ डायबिटीज़ के मार्च अंक में प्रकाशित रिसर्च सोसायटी फ़ॉर द स्टडी ऑफ़ डायबिटीज़ इन इंडिया यानी आरएसएसडीआई की नई गाइडलाइन के मुताबिक़ नियमित रूप से योग करने से ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर और लिपिड्स नियंत्रण में रहते हैं. ब्लड शुगर के कंट्रोल में रहने से डायबिटीज़ पीड़ितों को किडनी की समस्या होने की संभावना 30% तक कम हो जाती है.
...क्योंकि योग आपके ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखता है
हाइपरटेंशन किडनी फ़ेलियर के सबसे प्रमुख कारणों में एक है. चूंकि योग तन और मन दोनों को दुरुस्त रखता है इसलिए यह ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखता है. अब ब्लड प्रेशर नियंत्रित है तो स्वाभाविक है कि आप किडनी को लेकर थोड़े-से निश्चिंत तो हो ही सकते हैं.
...क्योंकि आपका दिल भी तो मज़बूत होना चाहिए
किडनी पेशेंट्स को योग इसलिए भी करना चाहिए, क्योंकि यह ज़ाहिर-सा फ़ैक्ट है कि जिन लोगों की किडनी कमज़ोर होती है, उनका दिल उन्हें धोखा कुछ ज़्यादा ही देता है. योग करने से हार्ट रेट, ब्लड प्रेशर, कोलेस्टेरॉल जैसे दिल का हाल बतानेवाले मानक सही कंडिशन में रहते हैं. यानी आपके पास योग करने का एक अच्छा कारण है.
...क्योंकि यह डिप्रेशन को दूर रखता है
क्रोनिक किडनी डिज़ीज़ से जूझ रहे ज़्यादातर पेशेंट्स डिप्रेशन का भी सामना कर रहे होते हैं. उनका शरीर ऐसा नहीं होता कि ऐंटी-डिप्रेशेंट ड्रग्स को सहन कर पाए. ऐसे में मेडिटेशन और प्राणायाम के साथ-साथ योग करने से उनपर कमाल का असर होता है. उन्हें मानसिक शांति मिलती है और डिप्रेशन से बाहर आने में आसानी होती है.
...क्योंकि हड्डियों के दर्द में भी मिलती है राहत
मेटाबॉलिक और एन्डोक्राइन इफ़ेक्ट के चलते क्रोनिक किडनी डिज़ीज़ के मरीज़ों की हड्डियों में काफ़ी दर्द रहता है. चूंकि उन्हें पेनकिलर्स नहीं दिए जा सकते तो उन्हें वैकल्पिक तरीक़े आज़माने की सलाह दी जाती है. नियमित रूप से योग करने से उन्हें काफ़ी हद तक दर्द से छुटकारा मिल जाता है. सबसे अच्छी बात यह है कि योग व्यायाम की एक आसान तकनीक है.