महात्मा गांधी यहां मेहमान थे और गोडसे कैदी

सोलन। सोलन के डगशाई स्थित जेल का महात्मा गांधी व उनके हत्यारे नाथू राम गोडसे से संबंध है। दोनों ही इस जेल में रात गुजार चुके हैं। हालांकि महात्मा गांधी ने इस जेल में बतौर मेहमान रात गुजारी है, जबकि नाथू राम गोडसे बतौर कैदी इस जेल में रह चुके हैं। यह जेल अब म्यूजियम बना …

Update: 2024-01-30 03:59 GMT

सोलन। सोलन के डगशाई स्थित जेल का महात्मा गांधी व उनके हत्यारे नाथू राम गोडसे से संबंध है। दोनों ही इस जेल में रात गुजार चुके हैं। हालांकि महात्मा गांधी ने इस जेल में बतौर मेहमान रात गुजारी है, जबकि नाथू राम गोडसे बतौर कैदी इस जेल में रह चुके हैं। यह जेल अब म्यूजियम बना दी गई है। बता दें कि डगशाई छावनी में ब्रिटिशकाल में 1849 में बनी सेंट्रल जेल डगशाई अपने जुल्मों के लिए काफी मशहूर थी। इस जेल में भारतीयों व आयरिश सैनिकों पर हुए जुल्मों की कहानी सुनकर आज भी लोग सिहर उठते हैं। अंडमान निकोबार की सेलुलर जेल के बाद हिमाचल के कालापानी के नाम से मशहूर डगशाई जेल को अब एक म्यूजियम में बदला जा चुका है, लेकिन आज भी इसकी कोठरियां रूह तक को कंपा देती हैं। इस जेल की सबसे दिलचस्प बात यह है कि इसमें महात्मा गांधी ने भी एक रात बिताई थी, लेकिन सजा के तौर पर नहीं, बल्कि वह जेल में बंद आयरिश कैदियों से मिलने यहां आए थे। प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना ने बड़ी संख्या में आयरिश सैनिकों को बंदी बनाया था। इनमें से कई को हिमाचल लाकर डगशाई जेल में बंद करके कठोर यातनाएं दी गईं। आयरिश सैनिकों ने जेल की प्रताडऩा के खिलाफ अनशन भी किया था।

इसकी भनक लगते ही वर्ष 1920 को महात्मा गांधी उन्हीं सैनिकों से मिलने डगशाई आए थे। उस समय महात्मा गांधी जिस सेल में रुके थे, उसके बाहर महात्मा गांधी की तस्वीर लगी हुई। इस सेल में एक कुर्सी और मेज के अलावा चरखा और दीवार पर बापू की चरखे वाली बड़ी तस्वीर टंगी है। उधर, महात्मा गांधी की हत्या करने के बाद जब गोडसे पर केस चला, तो इसकी सुनवाई शिमला के कोर्ट में हुई। इसी दौरान जब गोडसे को ट्रायल के लिए शिमला लाया गया था, तो उसे डगशाई में रखा गया। डगशाई जेल के मेन गेट के साथ वाली सेल में उसे बंद किया गया था। यहां दीवार पर गोडसे की फोटो लटकी है। नाथूराम गोडसे डगशाई जेल का अंतिम कैदी था। उसके बाद सरकार ने यहां कैदियों को बंद करना छोड़ दिया। डगशाई छावनी के पूर्व वार्ड सदस्य मनीष शर्मा ने बताया कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी डगशाई जेल में आयरिश सैनिकों से मिलने यहां पहुंचे और उन्होंने यहां रात गुजारी थी। डगशाई की इस जेल को हिमाचल का काला पानी कहा जाता था इस जेल का नाम दाग-ए-शाही था, जो बाद में डगशाई पड़ गया। यहां कैदियों के माथे और शरीर के दूसरे भागों पर लोहे की गर्म सलाखों व सांचों से दाग लगा दिया जाता था।

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