किसानों की मेहनत होने लगी बर्बाद

ऊना। सूखे की मार से जिला ऊना के गैर सिंचित क्षेत्रों में गेहूं की फसल दिन-प्रतिदिन पीली पडऩा शुरू हो गई है। कृषि विभाग के अनुसार एक सप्ताह के भीतर अगर बारिश नहीं होती है, तो जिला में 5 से 10 फीसदी गेहूं की फसल तबाह हो जाएगी, जिससे गेहूं की पैदावार में किसानों को …

Update: 2024-01-16 03:43 GMT

ऊना। सूखे की मार से जिला ऊना के गैर सिंचित क्षेत्रों में गेहूं की फसल दिन-प्रतिदिन पीली पडऩा शुरू हो गई है। कृषि विभाग के अनुसार एक सप्ताह के भीतर अगर बारिश नहीं होती है, तो जिला में 5 से 10 फीसदी गेहूं की फसल तबाह हो जाएगी, जिससे गेहूं की पैदावार में किसानों को घाटा तो होगा ही, लेकिन पशुचारा (तूड़ी) में भी किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा। हालांकि समय पर फसल सिंचित न होने से नुकसान का आंकड़ा शुरू हो गया है।

लेकिन जैसे-जैसे दिन व्यतीत हो रहे हैं, यह आंकड़ा बड़ा होता जा रहा है। बता दें कि जिला ऊना में प्रति वर्ष गेहूं की फसल की पैदावार 80 हजार मीट्रिक टन के करीब होती है और करीब 8 लाख क्विंटल तूड़ी निकलती है। अगर सूखे के कारण जिला ऊना में 5 से 10 फीसदी गेहूं की फसल सूख जाती है, तो किसानों को करीब 16 करोड़ रुपए से भी अधिक का नुकसान होंने की संभावना जताई गई है। हालांकि मौसम विभाग की ओर से अभी तक बारिश होने के कोई भी आसार नहीं जताएं जा रहे हैं।

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